हादसे के बाद फिर डटे जवान, आकाश में उड़े हेलीकॉप्टर
देहरादून [जागरण न्यूज नेटवर्क]। हेलीकॉप्टर दुर्घटना में हुई शहादत पर सेवा के जज्बे को ऊपर रखते हुए वायुसेना प्रमुख एनएके ब्राउन ने एलान किया कि उत्तराखंड में राहत कार्य रुकेगा नहीं। ऊंचे मनोबल के साथ वायुसेना कर्मी राहत कार्य में लगे रहेंगे। इस बीच मौसम खराब होने के बावजूद बदरीनाथ और गंगोत्री के नजदीक हर्षिल में फंसे लोगों को निकालने का कार्य जारी रहा। बुधवार को दो हजार से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। अभी भी पांच हजार यात्री विभिन्न स्थानों पर फंसे हुए हैं।
देहरादून [जागरण न्यूज नेटवर्क]। हेलीकॉप्टर दुर्घटना में हुई शहादत पर सेवा के जज्बे को ऊपर रखते हुए वायुसेना प्रमुख एनएके ब्राउन ने एलान किया कि उत्तराखंड में राहत कार्य रुकेगा नहीं। ऊंचे मनोबल के साथ वायुसेना कर्मी राहत कार्य में लगे रहेंगे।
तस्वीरों में देखें: सेना की सेवा को सलाम
इस बीच मौसम खराब होने के बावजूद बदरीनाथ और गंगोत्री के नजदीक हर्षिल में फंसे लोगों को निकालने का कार्य जारी रहा। बुधवार को दो हजार से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। अभी भी पांच हजार यात्री विभिन्न स्थानों पर फंसे हुए हैं।
मंगलवार को हुई हेलीकॉप्टर दुर्घटना में आइटीबीपी और एनडीआरएफ के 15 जवान शहीद हुए हैं। लेकिन इन दोनों संगठनों और वायुसेना कर्मियों के चेहरे पर दुख की शिकन भी दिखाई नहीं दी। वे पूरे समर्पण और मुस्तैदी से आपदाग्रस्त इलाके से लोगों को सुरक्षित पहुंचाने के कार्य में जुटे रहे। उनका जज्बा काम पूरा किए बगैर पीछे नहीं हटने का है। वायुसेना जहां अपने इतिहास के सबसे बड़े बचाव अभियान में जुटी है।
तस्वीरों में देखें: हम सब साथ हैं
वहीं सेना, आइटीबीपी [भारत-तिब्बत सीमा पुलिस], एनडीआरएफ [राष्ट्रीय आपदा राहत बल] और बीआरओ [सीमा सड़क संगठन] के जवान हर संभव तरीकों का इस्तेमाल करके खतरनाक स्थानों पर फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रहे हैं। इन संगठनों ने दस दिनों से जारी अभियान में करीब एक लाख लोगों को आपदाग्रस्त क्षेत्र से निकाला है।
चमोली में बदरीनाथ में फंसे यात्रियों को छह हेलीकॉप्टर की मदद से 500 यात्रियों को निकाला गया, जबकि 780 लोगों को पैदल मार्ग से सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया गया। उत्तरकाशी में हर्षिल से सात हेलीकॉप्टरों के जरिये 527 से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। सेना व सीमा सड़क संगठन बदरीनाथ-जोशीमठ पैदल मार्ग पर ध्वस्त पुल के स्थान पर अस्थाई पुल बनाने में जुट गया है। बताया जा रहा कि इससे पैदल मार्ग से ज्यादा लोगों को निकाला जा सकेगा।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने बदरीनाथ और हर्षिल से दो दिन में सभी लोगों के निकाले जाने की संभावना जतायी है। साथ ही प्रदेश सरकार आपदाग्रस्त इलाकों में महामारी फैलने के खतरे से निपटने के लिए सारे कदम उठा रही है। विदित हो कि आपदा में बड़ी संख्या में लोग और जानवर मारे गए हैं। खुले में और मलबे के बीच पड़े ये शव अब दुर्गध छोड़ रहे हैं। इसलिए उनसे अब बीमारियों के फैलने का खतरा पैदा हो गया है। सर्वाधिक प्रभावित केदारनाथ इलाके में डेढ़ सौ से ज्यादा लोगों को डायरिया होने की खबर भी सामने आई है।
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