अपने ही बने 'आप' के लिए 'विभीषण', पार्टी साख पर लगाया बट्टा
दिल्ली में संघर्ष से सत्ता पर काबिज हुई आप के लिए उसके ही नेता 'विभीषण' साबित होते रहे हैं। जानें पार्टी में रहकर कौन-कौन निभा चुके हैं यह भूमिका और लगा चुके हैं पार्टी की साख पर बट्टा।
नई दिल्ली (स्पेशल डेस्क)। आम आदमी पार्टी (आप) में कई बार ऐसा वक्त आया है जब उसके अपने ही लोग खुलेतौर पर पार्टी और पार्टी नेतृत्व के खिलाफ खड़े होते हुए दिखाई दिए। हाल ही में दिल्ली के पूर्व जल मंत्री कपिल मिश्रा भी इसी फेहरिस्त का एक हिस्सा हैं। उन्होंने भी पूर्व के कई नेताओं की तरह की पार्टी नेताओं पर कइ्र तरह के संगीन आरोप लगाए हैं, जिसके बाद उनका पार्टी से निष्कासन भी तय माना जा रहा है। पार्टी से इस तरह से बाहर होने या निकाले जाने वाले नेताओं की लिस्ट काफी लंबी रही है। पार्टी के गठन से लेकर अब तक कई नेता इससे जुड़े और कई चले भी गए। ऐसे नेताओं पर ही एक नजर :-
कपिल मिश्रा
कपिल मिश्रा ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर सत्येंद्र जैन से दो करोड़ रुपये नगद लेने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि यह सब उनके सामने और सीएम के आवास पर हुआ था। उनके इस खुलासे से दिल्ली सरकार पर फिर संकट के बाद छाते हुए दिखाई दे रहे हैं।
अमानतुल्ला खान
अमानतुल्ला खान ने कुमार विश्वास पर संघ और बीजेपी का एजेंट होने के आरोप लगाए थे। खान ने कुमार विश्वास पर आरोप लगाया था कि वह पार्टी तोड़ने की साजिश रच रहे हैं और उन्होंने कुछ विधायकों से 30-30 करोड़ रुपए के बदले भाजपा में शामिल होने के लिए कहा है। इन आरोपों के बाद उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया गया था।
वेद प्रकाश
आप के मुखिया अरविंद केजरीवाल पर चापलूसों से घिरे रहने का आरोप लगाते हुए पार्टी की सदस्यता और बवाना विधानसभा क्षेत्र के विधायकी से इस्तीफा दे दिया था। उनका कहना था कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस बात से ‘चिंतित’नहीं दिखते कि जमीनी स्तर पर क्या हो रहा है। इसकी बजाय उनका सारा ध्यान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार पर हमला करने में लगा रहता है।
पूनम आजाद
निगम चुनाव से पहले ही पूनम आजाद आप से नाता तोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गईं। लंबे समय से भाजपा में हाशिए पर चल रही पूनम ने करीब पांच महीने पहले ही आम आदमी पार्टी ज्वाइन की थी।
विनोद कुमार बिन्नी
दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार बनते ही असंतुष्ट नजर आने वाले पार्टी के पूर्व नेता विनोद कुमार बिन्नी ने भी पार्टी पर कई आरोप लगाते हुए पार्टी से इस्तीफा दे दिया था।
शाजिया इल्मी
केजरीवाल की पार्टी के पार्टी के सदस्य और आप के संस्थापकों में से एक शाजिया ने पार्टी से नाराजगी के चलते इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने केजरीवाल पर तानाशाही करने का आरोप लगाया साथ ही यह एक व्यक्ति की पार्टी बनकर रह गई है।
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योगेंद्र यादव, शांति भूषण और प्रशांत भूषण
योगेंद्र यादव शांति भूषण और प्रशांत भूषण पर दिल्ली के चुनाव हराने में योगदान देने का आरोप लगाते हुए इन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। इसके बाद योगेंद्र यादव ने अरविंद केजरीवाल पर वास्तविक मुद्दों से बेहद अपरिपक्व तरीके से निपटने के लिए निशाना भी साधा था।
यामिनी गोमर
2014 के लोकसभा चुनाव में आप के टिकट पर होशियारपुर संसदीय क्षेत्र से चुनाव भी लड़ चुकी यामिनी गोमर ने आम आदमी पार्टी से इस्तीफा दिया था। उनका कहना था कि पार्टी अपने सिद्धांत से भटक चुकी है। आप की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देते हुए यामिनी ने पार्टी पर 'तानाशाह' और 'भ्रष्ट' होने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि आप का नेतृत्व 'दलित विरोधी', 'सिख विरोधी' और 'पंजाब विरोधी' हो चुका है।
सीमा कौशिक
सीमा कौशिक ने पार्टी में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए आप की महिला इकाई की उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। उनका कहना था कि इसकी वजह से आप के कार्यकर्ता मुश्किलें झेल रहे हैं।
प्रोफेसर आनन्द
टीम केजरीवाल में थिंकटैंक का हिस्सा रहे प्रोफेसर आनन्द कुमार को पार्टी और सरकार में एक व्यक्ति एक पद की बात उठाने के बाद पार्टी से बाहर कर दिया गया था।
मेधा पाटकर
आम आदमी पार्टी के लिए लोकसभा चुनाव लड़ चुकीं मेधा पाटेकर ने अपनी उपेक्षा से नाराज होकर अरविन्द केजरीवाल का साथ छोड़ दिया। मेधा ने केजरीवाल को मकसद से भटका हुआ बताया।
एमएस धीर
आप सरकार में स्पीकर रहे एमएस धीर ने सिखों के प्रति अरविंद केजरीवाल की कथनी और करनी में अंतर बताते हुए पार्टी छोड़ी। उन्होंने पार्टी नेतृत्व पर सिख दंगे में मारे गये लोगों के परिजनों को इंसाफ दिलाने में विफल रहने का आरोप उन्होंने लगाया।
मयंक गांधी
योगेन्द्र यादव, प्रशांत भूषण समेत अन्य साथियों को पार्टी से गलत तरीके से निकाले जाने का आरोप लगाते हुए उन्होंने 11 नवंबर 2015 को पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने केजरीवाल पर तानाशाह होने का आरोप लगाया था।
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