जानें, आम आदमी पार्टी के लिए क्यों घातक साबित हो रहा है 'K' फैक्टर
दिल्ली सरकार में मंत्री कपिल मिश्रा को हटाए जाने के बाद एक बार फिर आप पार्टी में संकट खड़ा हो गया है। कपिल मिश्रा ने कुछ सनसनीखेज जानकारियां दीं।
नई दिल्ली [ स्पेशल डेस्क]। करीब 6 साल पहले अप्रैल के महीने में दिल्ली में एक ऐसे आंदोलन ने जन्म लिया जिसने यूपीए सरकार की चूलें हिला दी। अन्ना आंदोलन के कुछ खास चेहरों अरविंद केजरीवाल मनीष सिसोदिया, कुमार विश्वास ने बदलाव का वो नारा बुलंद किया जिससे भारतीय जनमानस में ये संदेश गया कि अब इस देश को भ्रष्टाचार के दंश से आजादी मिलेगी। अन्ना के विरोध के बावजूद अरविंद केजरीवाल और उनकी टीम ने एक राजनीतिक पार्टी बनाई जिसका मकसद राजनीति में उन आदर्शों के उच्च मानदंडों को स्थापित करना था जिसमें मौजूदा दल नाकाम हो गए थे। करीब दो साल के कार्यकाल में 'आप' पार्टी अपनी कामयाबियों से ज्यादा अपने किस्सों से चर्चा में है। आइए जानने की कोशिश करते हैं कि नया मामला क्या है और उनके नायक-खलनायक कौन हैं। कुमार विश्वास से शुरू हुई ये कहानी अब सरकार से हटाए जा चुके कपिल मिश्रा पर जा टिकी है।
कपिल मिश्रा की कहानी
कपिल मिश्रा हाल तक दिल्ली सरकार में जल मंत्री थे। लेकिन शनिवार को उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने उन्हें ये कहते हुए पद से हटा दिया था कि वो पानी के बढ़ते बिल से लोगों को राहत दिलाने में नाकाम रहे। इससे पहले साल 2015 के अगस्त महीने में कपिल मिश्रा ने दिल्ली जल बोर्ड टैंकर घोटाले की जांच की बात कही थी। दिल्ली के कानून मंत्री के तौर पर तब उनको कानून मंत्री के पद से भी हटाया गया था। उस दौरान कपिल मिश्रा ने अरविंद केजरीवाल को एक चिट्ठी भी लिखी थी। आप को बता दें कि सीएम केजरीवाल ने दिल्ली जल बोर्ड के प्रदर्शन पर कपिल मिश्रा की तारीफ की थी।
कपिल मिश्रा के तीन बड़े आरोप
1. कपिल मिश्रा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि शुक्रवार को उन्होंने देखा कि केजरीवाल जी को सत्येंद्र जैन दो करोड़ रुपये दे रहे थे। ये सब देखने के बाद उन्होंने पूछा कि ये क्या है तो केजरीवाल ने कहा कि राजनीति में कुछ बातें बाद में बताई जाती हैं।
2. दूसरे आरोप में कपिल ने कहा कि केजरीवाल जी के एक रिश्तेदार को सत्येंद्र जैन ने 50 करोड़ में जमीन का सौदा कराया था।
3. तीसरे आरोप में उन्होंने कहा कि शीला दीक्षित सरकार के समय उन्होंने टैंकर घोटाले की जांच रिपोर्ट सौंपी लेकिन क्या कुछ हो रहा है, वो सबके सामने है। सच तो ये है कि वही ठेकेदार अभी भी काम कर रहे हैं जो कांग्रेस सरकार के दौरान होता था।
मनीष सिसौदिया का जवाब
कपिल मिश्रा के आरोपों के तुरंत बाद दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसौदिया मीडिया से मुखातिब हुए और ये कहा कि भला ऐसे आरोपों पर क्या कहा जाय। उनके आरोपों पर कुछ बोलना उचित नहीं होगा।
जब कुमार के समर्थन में थे कपिल
एमसीडी चुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद कपिल ने विश्वास के बयान का समर्थन करते हुए कहा था पार्टी ईवीएम के कारण नहीं हारी है। कपिल ने कहा था कि आत्मविश्लेषण का समय आ गया है। एमसीडी परिणाम को महज ईवीएम पर दोष मढ़कर नहीं देखा जा सकता है।
कपिल ने विधायक अमानतुल्लाह की विश्वास के साथ जुबानी जंग में भी विश्वास का साथ दिया था और अमानतुल्लाह को पार्टी से बाहर करने की मांग की थी। वहीं कुछ दिन पहले जब कुमार विश्वास ने कश्मीर के मौजूदा हालात को लेकर वीडियो रिलीज किया तो इसे भी केजरीवाल पर हमला माना गया था. कुमार विश्वास का यह वीडियो आने के बाद उनपर माफी मांगने का दबाव बढ़ा लेकिन उन्होंने माफी मांगने से साफ मना कर दिया और साथ ही पार्टी के सामने अपनी तीन शर्तें रखी थीं।
कपिल के आरोपों पर नेताओं के बयान
केंद्रीय मंत्री विजय गोयल ने कहा कि आम आदमी पार्टी देश की सबसे भ्रष्ट सरकार है। इस सरकार को बर्खास्त करने की आवश्यकता है।
आम आदमी पार्टी की असलियत सामने आ चुकी है। कपिल मिश्रा ने सत्येंद्र जैन के बारे में जो कुछ कहा है कि 100 फीसद सही है। उन्होंने कहा कि कपिल ने सच बोलने की सजा भुगती है। आम आदमी पार्टी भ्रष्टाचार में लिप्त है। अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसौदिया की चौकड़ी काम कर रही है- शाजिय इल्मी, भाजपा
कांग्रेस नेता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि अब ये साफ हो चुका है कि अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में दिल्ली में भ्रष्टाचार का खुला खेल चल रहा है।
कुमार विश्वास ने क्या कहा था ?
एमसीडी चुनाव में आम आदमी पार्टी की बुरी हार के बाद कुमार विश्वास ने कहा था, ‘’सफलता के सौ पिता होते हैं, असफलता की कोई मां नहीं होती। आज हम हारे हैं तो ये हमारे लिए वक्त है कि हम आत्मचिंतन करें कि हमारे सामने क्या समस्याएं आ रही है।
एक तरफ कुमार विश्वास इशारों इशारों में अरविंद केजरीवाल को आत्मचिंतन की सलाह दे रहे थे। दूसरी तरफ पार्टी के अंदर उनको संयोजक बनाने की मांग उठने लगी थी. कुमार विश्वास को आप का संयोजक बनाने की मांग के बाद विधायक अमानतुल्लाह ने कुमार विश्वास पर बीजेपी का एजेंट होने और विधायकों को खरीदने का आरोप लगाते हुए पीएसी से इस्तीफा दिया था।
जिसके बाद कुमार विश्वास का कहना था कि वो इस आरोप से आहत हैं। बाद में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और अरविंद केजरीवाल के दाहिने हाथ कहे जाने वाले मनीष सिसोदिया सामने आए और कुमार विश्वास पर पलटवार किया था. इस पूरे मामले में कपिल मिश्रा कुमार विश्वास के साथ नजर आए थे।
कुमार विश्वास की शर्तें
कुमार विश्वास ने सबसे बड़ी शर्त ये रखी थी अमानतुल्लाह को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जाए, जिसे पूरा कर दिया गया। इसके अलावा तीन शर्तें रखी थीं। पहली शर्त में उन्होंने कहा था कि कश्मीर सेना पर हमले को लेकर जो वीडियो जारी किये हैं उस पर कोई माफी नही मांगेगे। वो अपनी शर्त पर अड़े रहे और उनकी जीत हुई। इस वीडियो के बहाने उन पर आरोप लगाए जा गए कि उन्होंने केजरीवाल पर निशाना साधा है, उस पर वह किसी तरह से माफी मांगने को तैयार नहीं हैं।
दूसरी शर्त के मुाताबिक पार्टी के जिन नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते हैं, उनके खिलाफ तुरंत कार्रवाई हो।पार्टी के भीतर भ्रष्टाचार के खिलाफ और दोषियों पर कार्रवाई करने को लेकर एक कमेटी बने। इस पर भी कमेटी बनाने का एलान हुआ है। तीसरी शर्त में कुमार विश्वास ने कहा था कि पार्टी में कार्यकर्ताओं की भूमिका कम कर दी गई है। उसे दोबारा बहाल किया जाए।
आप की कहानी
2013 में दिल्ली विधानसभा के चुनाव में आप पार्टी एक बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी लेकिन सरकार बनाने के लिए आवश्यक संख्या बल की कमी थी। जोड़तोड़ की राजनीति के खिलाफ आग उगलने वाले केजरीवाल ने पहली बार अपने सिद्धांतों से समझौता किया जब उन्होंने कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई और बड़ी चालाकी से दिल्ली के लिए किया गया करार बताया। हालांकि कांग्रेस और आप की सरकार महज 49 दिन ही चल सकी। राजनीति का पहिया भी अपनी चाल चलता रहा। करीब 2 साल बाद 2015 में दिल्ली विधानसभा के चुनाव परिणामों ने एक नई कहानी लिख दी।
70 सदस्यों वाली विधानसभा में प्रचंड जीत के बाद आप पार्टी ने जहां कांग्रेस का सुपड़ा साफ कर दिया वहीं भाजपा के तीन सदस्यों की जीत पार्टी की जीत से ज्यादा उनकी खुद की जीत मानी गई। दिल्ली की जनता को उम्मीद थी कि केजरीवाल की अगुवाई में एक ऐसी सरकार बनी जिसका चाल चरित्र और चेहरा औरों से अलग होगा। लेकिन हकीकत तो कुछ और ही थी। पार्टी की चाल दूसरी पार्टियों की तरह नजर आने लगी जब पार्टी के विधायक ठीक वही काम करने लगे जो दूसरे विधायक किया करते थे। फर्जी डिग्री मामले में जीतेंद्र तोमर के प्रकरण के बाद आप का वही चेहरा सामने आया जिसे लेकर केजरीवाल और उनकी टीम विरोध करती थी। इसके बाद पार्टी के चरित्र पर सवाल उठने लगे जब संदीप कुमार के सेेक्स स्कैंडल की गाथा सुर्खियां बन गईं। आप पार्टी एक बार फिर गंभीर संकट से गुजर रही हैं।
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