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जिसने कड़े फैसले लेने से कभी परहेज नहीं किया वह थी ‘इंदिरा गांधी’

इंदिरा गांधी की छवि एक ऐसी महिला प्रधानमंत्री की थी जिसने कड़े फैसले लेने से कभी परहेज नहीं किया। उनके ही कड़े फैसलों की बदौलत आज बांग्‍लादेश का अस्तित्‍व भी मौजूद है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sat, 18 Nov 2017 05:06 PM (IST)Updated: Sun, 19 Nov 2017 04:01 PM (IST)
जिसने कड़े फैसले लेने से कभी परहेज नहीं किया वह थी ‘इंदिरा गांधी’
जिसने कड़े फैसले लेने से कभी परहेज नहीं किया वह थी ‘इंदिरा गांधी’

नई दिल्‍ली (स्‍पेशल डेस्‍क)। 19 नवंबर को भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जन्मशती है। इंदिरा गांधी का नाम जब भी जहन में आता है तो उनकी एक दमदार छवि सामने उभरकर सामने आती है। उनकी छवि एक ऐसी महिला प्रधानमंत्री की थी जिसने कड़े फैसले लेने से कभी परहेज नहीं किया। उनके ही कड़े फैसलों की बदौलत आज बांग्‍लादेश का अस्तित्‍व भी मौजूद है। बात चाहे बांग्‍लादेश की हो या फिर खालिस्‍तान की कमर तोड़ने के लिए चलाए गए ऑपरेशन ब्‍लू स्‍टार की या फिर पोखरण में पहला परमाणु परीक्षण करने की सभी में उनकी दमदार छवि साफतौर पर उभरकर सामने आती है।

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इंदिरा का आखिरी भाषण

30 अक्‍टूबर को दिए उनके आखिरी भाषण में भी इस बात को साफतौर पर देखा जा सकता है। इसमें उन्‍होंने कहा था कि "मैं आज यहां हूं, कल शायद यहां न रहूं। मुझे चिंता नहीं मैं रहूं या न रहूं। मेरा लंबा जीवन रहा है और मुझे इस बात का गर्व है कि मैंने अपना पूरा जीवन अपने लोगों की सेवा में बिताया है। मैं अपनी आखिरी सांस तक ऐसा करती रहूँगी और जब मैं मरूंगी तो मेरे खून का एक-एक कतरा भारत को मजबूत करने में लगेगा। "

हमले को लेकर था अंदेशा

उन्‍होंने यह भाषण ओडिशा में दिया था। कहा जा सकता है कि उन्‍हें शायद इस बात का अंदेशा रहा होगा कि उनके ऊपर हमला किया जा सकता है। ऐसा इसलिए क्‍योंकि ऑपरेशन ब्‍लू स्‍टार के बाद खुफिया एजेंसियों की तरफ से इस बात का संकेत आया था कि इंदिरा गांधी को अपनी सुरक्षा में लगे सिख सुरक्षाकर्मियों को हटा देना चाहिए। रिपोर्ट के मुताबिक यह सुरक्षाकर्मी ऑपरेशन ब्‍लू स्‍टार का बदला ले सकते थे। 31 अक्‍टूबर को जब उनके सुरक्षाकर्मियों ने उनपर दनादन गोलियां चलाकर उनका शरीर छलनी कर दिया तब यह बात हकीकत बनकर सभी के सामने आ चुकी थी। एम्‍स में खून की करीब अस्‍सी बोतल चढ़ाने के बाद भी उन्‍हें बचाया नहीं जा सका था।

शेख से जताई थी चिंता

जब 1975 में इंदिरा गांधी की बंगबंधु शेख मुजीबुर्र रहमान के साथ जमैका में मुलाकात हुई तब उन्होंने शेख को उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर की। हालांकि उन्‍होंने भी इसको इतना गंभीरता से नहीं लिया और 15 अगस्‍त 1975 को वह खतरनाक साजिश का शिकार बन गए। बांग्‍लादेश की आजादी के लिए वहां पर भारतीय सेना भेजने का फैसला उन्‍होंने रातों रात नहीं लिया था। इसके लिए उन्‍होंने स्थिति का पूरा जायजा लिया और तब सेना भेजने का निर्णय लिया था। इतना ही नहीं भारतीय फौज की तैयारियों को लेकर भी उन्‍होंने तत्‍कालीन सेनाध्‍यक्ष जनरल मानिकशॉ की बातों को नजरअंदाज नहीं किया था।

परमाणु परीक्षण

वहीं जब परमाणु परीक्षण की बात आई तब भी उन्‍होंने पूरी दुनिया को अपना लोहा मनवाया था। उन्‍होंने साफ कर दिया था कि यह परीक्षण परमाणु बम के लिए नहीं बल्कि शांति के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए किया गया है। इंदिरा गांधी वह शक्सियत थीं जिन्‍हें लोगों ने सिरमाथे पर बिठाया था। हालांकि आपातकाल को लेकर उनकी तीखी निंदा जरूर की जाती है। लेकिन उन्‍हें जानने वाले इस बात से इंकार नहीं करते हैं कि यह आपातकाल पूरी तरह से उनका लगाया हुआ नहीं था। इन जानकारों का यह भी कहना है कि उन्‍होंने बेहद कम समय के लिए इसको लगाया था।

यादगार बनाने की पूरी तैयारी

उनके शताब्दी वर्ष समारोह को यादगार बनाने की पूरी तैयारी की जा चुकी है। इस क्रम में इंदिरा गांधी के जीवन और आधुनिक भारत के निर्माण में उनके योगदानों से जुड़ी 200 से अधिक दुर्लभ तस्वीरों की विशेष प्रदर्शनी का आयोजन भी किया जा रहा है। वहीं इंदिरा गांधी के ऐतिहासिक योगदानों का स्मरण कराने के लिए 1971 के युद्ध में पाकिस्तान की पराजय और आत्मसमर्पण के साथ बांग्लादेश के नए राष्ट्र के रुप में निर्माण की घोषणा का वीडियो भी इस प्रदर्शनी का एक मुख्य आकर्षण है।

इसका आयोजन इंदिरा गांधी स्मारक ट्रस्ट की ओर से राजधानी दिल्ली के 1 सफदरजंग स्थित इंदिरा स्मारक संग्रहालय में किया गया है। इस प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है। पूर्व प्रधानमंत्री के जन्म दिन 19 नवंबर को इस छायाचित्र प्रदर्शनी का आगाज होगा और 21 नवंबर से इसे आम जनता के लिए खोला जाएगा। ट्रस्ट के मुताबिक इंदिरा गांधी से जुड़ी जिन 200 तस्वीरों से लोगों को रूबरू कराया जाएगा वह अति दुर्लभ हैं।

शादी का रंगीन वीडियो

इस प्रदर्शनी का एक दूसरा आकर्षण इंदिरा गांधी की 1942 में इलाहाबाद के आनंद भवन में फिरोज गांधी से हुई शादी का रंगीन वीडियो भी है क्योंकि उस जमाने में रंगीन तो दूर ब्लैक एंड व्हाइट वीडियो भी काफी दुर्लभ थी। गरीबी हटाने और हरित क्रांति लाने के लिए पीएम के तौर पर इंदिरा के अहम फैसलों के क्षण से जुड़ी तस्वीरें भी उनके योगदानों की कहानी बताएंगी। इंदिरा गांधी स्मारक ट्रस्ट के सचिव और गांधी परिवार के मित्र सुमन दुबे के मुताबिक इस छायाचित्र के जरिए युवा पीढ़ी इंदिरा गांधी की शख्सियत और देश निर्माण में उनके अमूल्य योगदान से रुबरू होगी।

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