प्रारंभिक जांच में बीएसएफ को नहीं मिला खराब खाने का सुबूत
प्रारंभिक रिपोर्ट सौंप दी गई है और कांस्टेबल के आरोप के पक्ष में कोई सुबूत नहीं मिला है।
नई दिल्ली, आइएएनएस/प्रेट्र। जवानों को खराब खाना दिए जाने के कांस्टेबल तेज बहादुर यादव के आरोप पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) से बुधवार तक तथ्यपरक रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा है। बल के अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में प्रारंभिक रिपोर्ट सौंप दी गई है और कांस्टेबल के आरोप के पक्ष में कोई सुबूत नहीं मिला है।
बल के महानिरीक्षक (आइजी) डीके उपाध्याय ने मंगलवार को बताया, 'डीआइजी स्तर के एक अधिकारी वहां गए थे और उन्होंने बीएसएफ जवानों को दिए जा रहे खाने के बारे में पूछताछ की। प्रथमदृष्टया अन्य जवानों ने कोई शिकायत नहीं की है।' जम्मू-कश्मीर के राजौरी में नियंत्रण रेखा पर तैनात बीएसएफ की 29वीं बटालियन के कांस्टेबल तेज बहादुर ने सोमवार को सोशल मीडिया में वीडियो जारी करके खराब खाना दिए जाने का आरोप लगाया था। उसका आरोप है कि जवानों के लिए आने वाला राशन अधिकारी गैरकानूनी रूप से बाजार में बेच देते हैं। उसके आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए उपाध्याय ने कहा कि बीएसएफ में अधिकारियों और जवानों को एक जैसा खाना ही दिया जाता है। उन्होंने बताया कि इस मामले में रसोइये से भी पूछताछ की जाएगी।
कांस्टेबल यादव का हो चुका है कोर्ट मार्शल
डीके उपाध्याय ने बताया कि कांस्टेबल यादव पर पूर्व में आदेश की अवज्ञा के आरोप लग चुके हैं। एक अधिकारी पर बंदूक तान देने के लिए 2010 में उसका कोर्ट मार्शल भी किया गया था। लेकिन, उसके परिवार और बच्चों की स्थिति को ध्यान में रखते हुए बीएसएफ ने नरम रुख अपनाया और बर्खास्त करने की बजाये उसकी सेवाएं बरकरार रखी गईं। उसे सिर्फ 89 दिनों के सश्रम कारावास की सजा ही दी गई थी। उसके बाद से उसे मुख्यालय में ही तैनात रखा गया ताकि वह निगरानी में कार्य करे और वैसी गलती न दोहराए। एक जवान के छुट्टी पर जाने की वजह से उसे 15 दिन पहले ही वहां भेजा गया था। उसने 31 जनवरी से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के लिए भी आवेदन किया है जिसे स्वीकार कर लिया गया है।
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