घाटों को और जख्म दे जाएंगी गंगा की लहरें
गंगा वैसे तो कई शहरों से होकर गुजरी हैं लेकिन काशी में आकर इनकी महत्ता और आकर्षण कई गुना बढ़ जाती है। आध्यात्मिक पहलू के अलावा दूसरा पक्ष है अर्द्ध चंद्राहार पक्के घाटों की श्रृंखला की। अद्भुत पक्के घाटों और उनकी बनावट के देश-दुनियां के लोग दीवाने हैं। काशी के ये विश्व प्रसिद्ध घाट अब अपन
वाराणसी [जासं]। गंगा वैसे तो कई शहरों से होकर गुजरी हैं लेकिन काशी में आकर इनकी महत्ता और आकर्षण कई गुना बढ़ जाती है। आध्यात्मिक पहलू के अलावा दूसरा पक्ष है अर्द्ध चंद्राहार पक्के घाटों की श्रृंखला की। अद्भुत पक्के घाटों और उनकी बनावट के देश-दुनियां के लोग दीवाने हैं। काशी के ये विश्व प्रसिद्ध घाट अब अपने जख्मों को लेकर कराह रहे हैं। यह जख्म उन्हें मिला तो है व्यवस्था की उपेक्षा के चलते लेकिन हर बार गंगा की बाढ़ को ही वजह बताया जाता है। रामनगर से राजघाट तक कछुआ सेंचुरी का क्षेत्र निर्धारित होने से उस पार रेती बढ़ती जा रही है। रेती की ऊंचाई प्राकृतिक तटबंध का काम कर रही है जिससे गंगा का प्रवाह का दबाव घाटों की तरफ बढ़ गया है।
वर्ष 2013 के अगस्त-सितंबर में गंगा में रिकार्ड बाढ़ आई थी। जीवनदायिनी के हर-हर प्रवाह के आगे तटवर्ती सभी अस्तित्व थरथरा गए। लिहाजा पक्के घाट भला कैसे बचे रहते। नतीजा दर्जनों घाटों की सीढि़यां दरक गई, पत्थर उखड़ गए और चबूतरे बाढ़ उतरने के बाद जगह-जगह धंसे मिले। इससे पहले के वर्षो में भी मरम्मत न होने से घाट जर्जर हुए जा रहे थे। दूसरी बड़ी वजह यह कि पक्के घाटों की सीढि़यों के नीचे की मिट्टी बाढ़ से कट रही है लिहाजा घाट नीचे ही नीचे पोले होते जा रहे हैं।
एक करोड़ का बजट
करीब 50 लाख रुपये की लागत से जायका के तहत 11 घाटों की मरम्मत शुरू हुई थी। इनमें से नौ घाट ही मरम्मत हो पाए, शेष बाढ़ के बाद किए जाएंगे। इस बीच नगर निगम ने आठ और घाट चिन्हित किए हैं जिनकी मरम्मत के लिए निविदा की प्रक्रिया चल रही है। इनकी भी मरम्मत पर करीब 50 लाख रुपये खर्च होने का अनुमान है।
-एससी सिंह, अधिशासी अभियंता, नगर निगम
मरम्मत हुए घाट
अस्सी, तुलसी घाट, चेतसिंह घाट, हनुमान घाट, भैंसासुर घाट, अखाड़ा घाट, रामघाट, सिंधिया घाट व शीतला घाट।
शेष दरकते घाट
रानीघाट, प्रह्लाद घाट, नयाघाट, नंदेश्वरघाट, तेलियानाला घाट, गोलाघाट, भदैनी घाट, ललिता घाट, जलासेन घाट, मीरघाट, मणिकर्णिका घाट, त्रिपुराभैरवी घाट।
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