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    गंगा को बचाने को उठाया एक कदम

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    Updated: Thu, 17 Jul 2014 07:27 PM (IST)

    एक तरफ चेतना की अलख जगाती गंगा जागरण यात्रा लाखों दिलों को जाह्नवी के दर्द से जोड़ती अपनी मंजिल की ओर बढ़ रही है। दूसरी ओर गंगोत्री रथ के पहियों के पीछे छूटे लीक के निशान संकल्पों के मुकाम बनते जा रहे हैं। यात्रा से प्रेरित हजारों लोग और दर्जनों संस्थाएं इन संकल्पों को प्रकल्पों का रूप देने के लिए आगे बढ़ कर गंगा के लिए कुछ कर गुजरने का बीड़ा उठा रहे हैं।

    वाराणसी (कुमार अजय)। एक तरफ चेतना की अलख जगाती गंगा जागरण यात्रा लाखों दिलों को जाह्नवी के दर्द से जोड़ती अपनी मंजिल की ओर बढ़ रही है। दूसरी ओर गंगोत्री रथ के पहियों के पीछे छूटे लीक के निशान संकल्पों के मुकाम बनते जा रहे हैं। यात्रा से प्रेरित हजारों लोग और दर्जनों संस्थाएं इन संकल्पों को प्रकल्पों का रूप देने के लिए आगे बढ़ कर गंगा के लिए कुछ कर गुजरने का बीड़ा उठा रहे हैं। कुछ तो ऐसे जो यात्रा के दूसरे ही दिन से मोर्चा खोल कर गंगा गंदलाने वाले कारकों से दो-दो हाथ किये जा रहे हैं।

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    इस दिशा में पहली पहल कदमी का श्रेय हासिल हुआ है ज्येष्ठ गंगा पुत्र के गौरव से मंडित निषाद समुदाय के नौजवानों के नाम जिन्होंने गुरुवार को मान मंदिर घाट पर हुई एक संक्षिप्त बैठक के बाद से ही गंगा के घाटों पर अपनी तयशुदा जिम्मेवारियां संभाल लीं। वाराणसी निषाद राज कल्याण समिति के अध्यक्ष प्रदीप साहनी कहते हैं- हम गंगा के सबसे बड़े बेटे हैं और इसकी पहली जिम्मेदारी हमारी है इसका अहसास हमें जागरण यात्रा ने कराया। इरादा तो पहले से ही था मगर इसको पुख्तगी दी साक्षात गंगोत्री के दर्शन ने। गंगा सेवा के लिए हमने बैठक में कई बिंदु तय किये हैं मगर पहला प्रयास शुरू हुआ है गंगा को दिन-रात अगोरने का। हमारी कोशिश है कि किसी मांझी के घाट पर होते कोई कूड़ा-कबाड़ तो क्या एक तिनका भी गंगा में न डाल सके। इसके लिए हम आज से ही लोगों की मनुहार करके गंगा को गंदलाने से उन्हें बरजेंगे।

    संगठन के सचिव राकेश साहनी जानकारी देते हैं कि गंगा तक गंदगी न पहुंचने देने की अपनी कोशिशों के तहत हमने घाटों पर बड़े-बड़े कूड़ा दान रखने। देव निर्माल्य को उस पार रेती में दबा कर विसर्जित करने के साथ ही गंगा और घाटों की देखरेख की एक बड़ी योजना हमारी ओर से तय है। संभावित बाढ़ का पानी उतरने के बाद हमारा काम लोगों को दिखाई देगा।

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