मंत्रोच्चार से उठी गंगा स्वच्छता की लहर
त्रिभुवनतारिणी सुर-सरिता गंगा को निर्मल-अविरल बनाने का संदेश लेकर 27 जून को चली 'गंगा जागरण' यात्रा बुधवार को विश्वामित्र की धरती पर पहुंची। गोमती को अंकवारी में भरती हुई काशी की उत्तरवाहिनी गंगा जब पूरब की ओर बढ़ती है तो बिहार के बक्सर जिले के चौसा ही पहुंचती है। चौसा बक्सर से करीब 12 किलोमीट
बक्सर, शशि भूषण। त्रिभुवनतारिणी सुर-सरिता गंगा को निर्मल-अविरल बनाने का संदेश लेकर 27 जून को चली 'गंगा जागरण' यात्रा बुधवार को विश्वामित्र की धरती पर पहुंची। गोमती को अंकवारी में भरती हुई काशी की उत्तरवाहिनी गंगा जब पूरब की ओर बढ़ती है तो बिहार के बक्सर जिले के चौसा ही पहुंचती है। चौसा बक्सर से करीब 12 किलोमीटर पश्चिम में है। यहीं कर्मनाशा-गंगा कासंगम है। चौसा में कर्मनाशा के जल को लेकर गंगा बक्सर आती है।
बक्सर को उप्र के बलिया से जोड़ने वाले वीर कुंवर सिंह सेतु के सिंडिकेट गोलंबर से बुधवार को जब यात्रा की शुरुआत वेदपाठी बटुकों के गगनभेदी मंत्रोच्चार से हुई तो रथ पर रखे गंगा-कलश के दर्शन को हुजूम उमड़ पड़ा। रथ पर फूल चढ़ाने पहुंची माता जी भाव-विभोर हो उठीं, बोलीं - जगत के तारे वाली माई आज दुआरी आइल बाड़ी। माई के आज तारणहार के तलाश बा। यहां से यात्रा शहर के विभिन्न मोहल्लों से होती हुई रामरेखा घाट पहुंची। रास्ते भर लोगों ने पुष्प वर्षा से स्वागत किया। गंगा को प्रदूषण मुक्त करने का संदेश देती तहलका कला मंच की झांकी भी जनमानस के बीच गहरा प्रभाव छोड़ रही थी। रामरेखा घाट के पास है चरित्रवन। जहां ऋषि विश्वामित्र से राम और लक्ष्मण ने शस्त्र और शास्त्र की विद्या प्राप्त की थी। रामरेखा घाट पर भव्य गंगा-पूजन के बाद गंगा यात्रा डुमरांव की ओर बढ़ी। अद्भुत संयोग था। गंगा का निर्मल जल लिए यात्रा जिस रास्ते बढ़ रही थी, वह गंगा का प्राचीन प्रवाह-मार्ग था। कभी चिलहरी, प्रताप सागर, भोजपुर के रास्ते गंगा पूरब की ओर बढ़ती थी। आज गंगा इन रास्तों से काफी दूर जा पहुंची है। भोजपुर के आगे डुमरांव में महाराज कमल सिंह और युवराज चंद्रविजय सिंह ने रथ का स्वागत किया। यहां से रथ कृष्णा ब्रह्मा होते हुए ब्रह्मापुर के प्रसिद्ध शिव-मंदिर पहुंचा।
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