..और दोस्ती दुश्मनी में बदल गई
सन्नाउल्लाह और विनोद कुमार सिंह की दोस्ती बीते पांच सालों से लगातार गहराती जा रही थी। पूरे जेल परिसर में दोनों की दोस्ती की खूब चर्चा रहती थी। दोनों ही अपने-अपने सैल में बंद कैदियों में नबंरदार के तौर पर भी जाने जाते थे। अगर कभी कैदियों में कोई विवाद हो या जेल प्रशासन के साथ कोई मुद्दा हल करना हो
जम्मू, जागरण ब्यूरो। सन्नाउल्लाह और विनोद कुमार सिंह की दोस्ती बीते पांच सालों से लगातार गहराती जा रही थी। पूरे जेल परिसर में दोनों की दोस्ती की खूब चर्चा रहती थी। दोनों ही अपने-अपने सैल में बंद कैदियों में नबंरदार के तौर पर भी जाने जाते थे। अगर कभी कैदियों में कोई विवाद हो या जेल प्रशासन के साथ कोई मुद्दा हल करना हो तो ये दोनों ही सबकी बात करते नजर आते थे।
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सुबह नाश्ते का समय हो या जेल में किसी तरह का समारोह दोनों साथ ही नजर आते थे। जब भी दोनों को मौका मिलता, आपस में खूब गप्पबाजी करते। जब भी किसी के लिए बाहर से कोई तोहफा आता, दोनों एक-दूसरे के लिए उसे संभालकर रखते और उसे आपस में बांटते थे।
जेल प्रशासन के एक अधिकारी ने अपना नाम न छापे जाने की शर्त पर कहा कि दोनों की दोस्ती खूब थी। हमारे लिए यह यकीन करना मुश्किल है कि दोनों आपस में इस तरह से लड़े हैं कि एक मौत से लड़ रहा है। यह सब सरबजीत की पाकिस्तान की जेल में हुई मौत का नतीजा है। सरबजीत की मौत ने दो दोस्तों को दुश्मन ही नहीं बनाया बल्कि एक दोस्त को दूसरे दोस्त का कातिल तक बना डाला है।
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