सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर सरकार से मांगा हलफनामा
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव को किश्तवाड़ में फंसे तीर्थयात्रियों को निकालने और हिंसा को नियंत्रित करने के लिए ...और पढ़ें

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव को किश्तवाड़ में फंसे तीर्थयात्रियों को निकालने और हिंसा को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। अब जम्मू-कश्मीर पैंथर पार्टी की याचिका पर अगली सुनवाई 21 अगस्त को होगी। पैंथर पार्टी की याचिका में किश्तवाड़ हिंसा की न्यायिक जांच कराने, मृतकों व घायलों के परिजनों को मुआवजा और फंसे तीर्थयात्रियों को सुरक्षित निकालने के साथ ही तत्काल भोजन, पानी व दवाइयां मुहैया कराने की मांग की गई है।
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मुख्य न्यायाधीश पी. सतशिवम की अध्यक्षता वाली पीठ ने तत्काल कोई आदेश सुनाने से परहेज करते हुए कहा, 'यह नहीं कहा जा सकता कि राज्य सरकार चुपचाप बैठी है। वह कार्रवाई कर रही है। कोर्ट प्रशासन को नियंत्रित नहीं कर सकता। राज्य सरकार का कार्रवाई करना ही उचित है। पीठ कोई भी आदेश हलफनामा देखने के बाद ही दे सकती हैं।' इससे पहले याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता भीम सिंह ने कहा कि राज्य सरकार ने जम्मू कश्मीर में स्थानीय टीवी चैनलों, एसएमएस पर अफवाहें फैलाने का आरोप लगाते हुए रोक लगा दी है, जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का हनन है।
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जम्मू-कश्मीर की ओर से पेश वकील ने बताया कि किश्तवाड़ हिंसा की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए गए हैं। हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जांच करेंगे, लेकिन भीम सिंह हाई कोर्ट के वर्तमान जज से जांच कराने की मांग करते रहे। राज्य सरकार ने कहा कि कुल 357 तीर्थयात्री फंसे हैं। उन्हें भोजन, पानी और दवाइयां उपलब्ध कराई जा रही हैं। स्थिति ठीक होते ही उन्हें वहां से निकाल लिया जाएगा। हिंसा में मृतकों के परिजनों को पांच-पांच लाख और घायलों को दो-दो लाख रुपये मुआवजा दिया गया है। संपत्ति के नुकसान पर भी दो-दो लाख मुआवजा देने की घोषणा की गई है।
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