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    जयललिता और सलमान के केस से गिरी न्यायपालिका की साख

    By Sanjeev TiwariEdited By:
    Updated: Mon, 13 Jun 2016 11:13 PM (IST)

    जस्टिस हेगड़े के ने कहा कि जया अौर सलमान केस में अदालत के फैसलों से यह गलत संदेश गया कि धनी और प्रभावशाली लोग जल्द जमानत ले सकते हैं।

    हैदराबाद, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश संतोष हेगड़े ने जयललिता व सलमान खान के मामलों में न्यायपालिका की भूमिका पर सवालिया निशान लगाया है। उनका कहना है कि तमिलनाडु की मुख्यमंत्री और बॉलीवुड स्टार के केस की बिना बारी की सुनवाई और फिर जमानत मिलने की घटना से न्यायपालिका की साख पर बट्टा लगा है। जस्टिस हेगड़े के अनुसार, 'दोनों मामलों में अदालत के फैसलों से यह गलत संदेश गया कि धनी और प्रभावशाली लोग जल्द जमानत ले सकते हैं।

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    कर्नाटक के पूर्व लोकायुक्त हेगड़े ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपरोक्त टिप्पणी की। बकौल हेगड़े, 'मैं खुद भी इस आम राय से सहमत हूं कि अमीर और रसूख वाले कानून के चंगुल में फंसने से बच जाते हैं।' उनके मुताबिक, 'जिन दो मामलों ने न्यायपालिका को दागदार किया, उनमें एक जयललिता के आय से अधिक संपत्ति का मामला है। इसमें उन्हें 14 साल बाद सजा मिली। हाई कोर्ट ने जया की अपील तो मंजूर कर ली, लेकिन जमानत नहीं दी। फिर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।

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    जहां से न केवल जयललिता को जमानत मिली, बल्कि हाई कोर्ट को तीन महीने में मामला निपटाने का निर्देश भी दिया गया।' जस्टिस हेगड़े ने कहा, 'ठीक इसी प्रकार हिट एंड रन मामले में सलमान खान भी 14 साल बाद सजा पाए। हाई कोर्ट ने उन्हें एक घंटे में जमानत दे दिया।' उन्होंने सवालिया अंदाज में पूछा, 'जया, सलमान में क्या जल्दबाजी थी? फैसला सुनाने वाले दोनों ही जज रिटायर होने वाले थे।' पूर्व लोकायुक्त का कहना था, 'अदालतों को तात्कालिक मामलों का जल्द निपटारा करना चाहिए।

    मसलन किसी शख्स को कल फांसी पर लटकाया जाना हो अथवा किसी छात्र का इम्तिहान कल हो और आज तक उसे एडमिट कार्ड न मिला हो तो ऐसे मामलों की तत्काल सुनवाई होनी चाहिए। लेकिन जया, सलमान मामले कौन सी तात्कालिकता थी?' हेगड़े ने खुद ही जवाब दिया, 'चूंकि दोनों ही लोग अमीर और प्रभावशाली थे। इसलिए इनके मामलों की जल्द सुनवाई हुई और फौरन जमानत दे दी गई।'

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