Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    फिर सामने आई न्यायपालिका और सरकार की तकरार

    By Manish NegiEdited By:
    Updated: Wed, 08 Jun 2016 01:43 AM (IST)

    सोमवार को एक कार्यक्रम के बाद मुख्य न्यायाधीश ने तल्ख टिप्पणी की। एक मीडिया को दिए बयान में उन्होंने कहा- 'कार्यपालिका अपना काम सही तरीके से करे तो इसकी नौबत ही नहीं आएगी।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पिछले कुछ महीनों में रुक-रुक कर दबे छुपे तौर पर न्यायपालिका और सरकार के बीच दिख रही जंग एक बार फिर से सामने आ गई है। मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने जहां परोक्ष रूप से सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि जनता कार्यपालिका के कामकाज से संतुष्ट नहीं होती है तभी न्यायपालिका दखल देती है। तो केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने सीमा के अतिक्रमण का संकेत देते हुए कहा कि संविधान का दायरा हर किसी के लिए है। अगर जनता नाखुश होती है तो वह सरकार बदल देती है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यूं तो संसद में भी कई बार न्यायपालिका की अति सक्रियता को लेकर सवाल उठते रहे हैं, वर्तमान सरकार के साथ तकरार शुरूआत से ही दिखी। न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर सरकार की ओर से प्रस्तावित विधेयक को कोर्ट ने सिरे से खारिज कर दिया था। हाल में सरकार ने फिर से एक सुझाव दिया कि जनहित में सरकार कोर्ट के किसी प्रस्ताव को खारिज कर सकती है तो कोर्ट ने उससे भी इनकार कर दिया। वहीं एक हाईकोर्ट के न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए कोर्ट ने सरकार को प्रस्ताव भेजा तो सरकार ने उसे पुनर्विचार के लिए वापस कर दिया।

    जेटली परोक्ष रूप से कोर्ट को यह सलाह देते रहे हैं कि सीमा का अतिक्रमण न किया जाए। उन्होंने उस वक्त भी अपनी असहमति जताई थी जब सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की ओर तय किए गए कालेजियम को नकार दिया था। परोक्ष रूप से इसकी भी याद दिलाई गई थी कि चुने हुए प्रतिनिधियों के निर्णय में जवाबदेही होती है।

    सोमवार को एक कार्यक्रम के बाद मुख्य न्यायाधीश ने तल्ख टिप्पणी की। एक मीडिया को दिए बयान में उन्होंने कहा- 'कार्यपालिका अपना काम सही तरीके से करे तो इसकी नौबत ही नहीं आएगी। 85 फीसद मामले ऐसे होते हैं जिसमें याचिकाकर्ता कार्यपालिका के कामकाज से असंतुष्ट होकर कोर्ट आते हैं और तब कोर्ट को दखल देना पड़ता है। आरोप लगाने से पहले सरकार को काम करना चाहिए।' यानी मुख्य न्यायाधीश ने सीधे तौर पर सरकार को ही कठघरे में खड़ा कर दिया।

    जवाब सरकार के तेज तर्रार और मुखर मंत्री गडकरी की तरफ से आया। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा - 'अगर जनता सरकार के कामकाज से संतुष्ट नहीं होती है तो वह बदल देती है, उसके पास अधिकार है.लेकिन संविधान में हर किसी की सीमा निर्धारित है, अगर न्यायपालिका को कुछ लगता है तो उसे कार्यपालिका के साथ एक बैठक कर लेनी चाहिए। देश के लिए भी यही अच्छा होगा।' जाहिर है कि इस खींचतान का असर अभी कुछ दिख सकता है।

    CJI को गडकरी का जवाब, सरकारों को बदलने में जनता नहीं करती है देर