राज्यपालों का पद खत्म करने की नीतीश कुमार ने उठाई आवाज
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्यपाल पद की प्रासंगिकता पर सवाल उठाते हुए गवर्नर का पद खत्म करने की मांग की।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। गैर भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने कुछ राज्यों में सत्ता के सियासी उठापठक के बीच हुई अंतर्राज्यीय परिषद की बैठक में केन्द्र को आड़े हाथों लिया। राज्यों के अधिकार क्षेत्र में दखल को तीन मुख्यमंत्रियों नीतीश कुमार, अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी ने सबसे मुखर आवाज उठाई। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तो राज्यों में राज्यपाल पद की प्रासंगिकता पर ही सवाल उठाते हुए कहा कि गवर्नर का पद ही खत्म कर दिया जाना चाहिए। तो केजरीवाल ने नीतीश का समर्थन करते हुए कहा कि राज्यपालों की नियुक्ति राज्यों की सलाह से ही होनी चाहिए।
उन्होंने गैर भाजपा शासित राज्य सरकारों को अस्थिर करने की कथित कोशिशों को लेकर केन्द्र पर निशाना साधा। वहीं कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने लगातार बढ़ते कथित केन्द्रीय हस्तक्षेप को लेकर आवाज उठाई।दस साल बाद हुई अंतर्राज्यीय परिषद की बैठक में केन्द्र-राज्य संबंधों के सवाल पर कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों के मुकाबले इन तीनों ने केन्द्र की जमकर घेरेबंदी की। नीतीश ने कहा कि वास्तव में मौजूदा संघीय व्यवस्था में राज्यपाल पद की जरुरत ही नहीं है। यदि इसे खत्म करना संभव नहीं है तो फिर राज्यपालों की नियुक्ति में राज्यों की राय को अहमियत देते हुए इसे पारदर्शी बनाया जाए।
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नीतीश ने कहा कि केन्द्र में सत्ता बदलने के बाद राज्यपालों को बदलने की परिपाटी भी खत्म होनी चाहिए। बिहार के मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड और अरुणाचलप्रदेश के हालिया प्रकरणों की ओर इशारा करते हुए अनुच्छेद 356 के गैरवाजिब उपयोग को लेकर चेताते हुए कहा कि राष्ट्रपति शासन बेहद विषम हालातों में ही लगने का विकल्प होना चाहिए। उपराज्यपाल के साथ लंबे समय से खींचतान में उलझे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने नीतीश का समर्थन करते हुए कहा कि अंतर्राज्यीय परिषद को एक प्रस्ताव पारित करना चाहिए कि उपराज्यपालों-राज्यपालोंकी नियुक्ति में राज्यों की राज्य बिल्कुल ली जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्यपालों के जरिए भाजपा की अगुवाई वाली केन्द्र की एनडीए सरकार विपक्ष शासित राज्यों की सरकारों को बेबुनियाद आधारों पर अस्थिर करने की कोशिश कर रही है। केजरीवाल ने कहा कि राज्य में राष्ट्रपति शासन तभी लगना चाहिए जब विधानसभा में सरकार अपना बहुमत खो देती है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी केजरीवाल का समर्थन करते हुए कहा कि दिल्ली में उपराज्यपाल की भूमिका को लेकर उठाए गए उनके सवाल का वे समर्थन करती हैं। संघीय रिश्तों को लेकर केन्द्र पर निशाना साधते हुए ममता ने कहा कि बात तो खूब होती है मगर अंतर्राज्यीय परिषद का एजेंड़ा बनाने में राज्यों की कोई भूमिका ही नहीं है।
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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने हालांकि सीधे तौर पर उनकी सरकार को लेकर हुए घटनाक्रम का जिक्र नहीं किया मगर परोक्ष रुप से केन्द्र की एजेंसियों के सहारे राज्यों में दखल के सवाल को उठाया। जबकि एनडीए शासित राज्य पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल ने केन्द्र पर निशाना तो नहीं साधा मगर राज्यों को और अधिकार दिए जाने की आवाज उठाई। बादल ने कहा कि राज्यों को ज्यादा अधिकार इसलिए चाहिए ताकि वे अपनी हिस्सेदारी सम्मान के साथ लें और याचक की तरह दिखाई न दें।
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