उपलब्धियां गिनाने पर होगा चिदंबरम का जोर
नई दिल्ली। वित्त मंत्री पी चिदंबरम जब सोमवार को लोकसभा में अंतरिम बजट पेश करने के लिए उठेंगे तो उनका मकसद अवाम को नए सपने दिखाने से ज्यादा यूपीए की पिछले पांच वर्षो की उपलब्धियों का गुणगान करना होगा। इस दौरान भले ही देश की आर्थिक विकास दर रसातल में पहुंच गई हो और महंगाई से आम जनता हलकान हो लेकिन चिदंबरम के पास बखान करने के लिए
नई दिल्ली। वित्ता मंत्री पी चिदंबरम जब सोमवार को लोकसभा में अंतरिम बजट पेश करने के लिए उठेंगे तो उनका मकसद अवाम को नए सपने दिखाने से ज्यादा यूपीए की पिछले पांच वर्षो की उपलब्धियों का गुणगान करना होगा। इस दौरान भले ही देश की आर्थिक विकास दर रसातल में पहुंच गई हो और महंगाई से आम जनता हलकान हो लेकिन चिदंबरम के पास बखान करने के लिए तथ्यों व आंकड़ों की कमी नहीं है।
उनके एजेंडे में चालू खाते के घाटे और राजकोषीय घाटे में कमी को सरकार की एक बड़ी सफलता के तौर पर पेश करने की है। साथ ही हाल के दिनों में खुदरा व थोक महंगाई दर में आई कमी को भी वे यूपीए की नीतियों का ही नतीजा बताने वाले हैं।
आमतौर पर अंतरिम बजट में बड़ी लोकलुभावन घोषणाएं नहीं की जाती हैं। मगर जिस तरह से पिछले हफ्ते सरकार ने अंतरिम रेल बजट में दर्जनों नई ट्रेनें चलाने का एलान किया है, उसके बाद इस बात की संभावना जताई जा रही है कि चिदंबरम भी अपनी भावी कार्ययोजना की झलक पेश करने के लिए कुछ घोषणाएं कर सकते हैं। उन्होंने पिछले दिनों इस बात के संकेत भी दिए थे कि वे सेवाकर और उत्पाद शुल्क की दरों में कुछ बदलाव कर सकते हैं।
मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र से जुड़े कुछ उद्योगों को शुल्कों मे राहत देकर वित्ता मंत्री लगातार घट रही औद्योगिक विकास दर को तेज करने की कोशिश कर सकते हैं। हां, इतना तय है कि वे टैक्स प्रावधानों से जुड़े किसी कानून में संशोधन का प्रस्ताव नहीं करेंगे।
जानकारों के मुताबिक चिदंबरम जिन तथ्यों को पेश कर सरकार की पीठ थपथपाने की कोशिश करेंगे, उसमें कृषि क्षेत्र की स्थिति सबसे ऊपर है। अपने कार्यकाल में किसानों को सबसे ज्यादा कर्ज देने और रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन को वित्ता मंत्री अपने बजट भाषण में शामिल करेंगे। भारत निर्माण के प्रचार में पहले से ही इसे काफी तवज्जो दिया जा रहा है।
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सोना आयात घटा कर चालू खाते के घाटे को भी संभावित 4.8 फीसद से काफी नीचे लाने की सफलता को वित्ता मंत्री पेश करेंगे। इसके साथ ही राजकोषीय घाटे की स्थिति भी सुधरी है। इनके जरिये चिदंबरम यह पेश करने की कोशिश करेंगे कि वह एक बेहतर अर्थव्यवस्था छोड़ कर जा रहे हैं।
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