ऑटो उद्योग के लिए खुशखबरी, रियायत की संभावना
स्पेक्ट्रम नीलामी और विनिवेश से मिलने वाली संभावित राशि के बाद खजाने की हालत से आश्वस्त वित्त मंत्री अगले सप्ताह लेखानुदान में कुछ रियायतों का भी एलान कर सकते हैं। सरकार के खर्चो में बचत और आयात को सीमित रखने के लिए उठाए गए कदमों के बाद राजकोषीय घाटा पूरी तरह काबू में रहने के चलते अंतरिम बजट में
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। स्पेक्ट्रम नीलामी और विनिवेश से मिलने वाली संभावित राशि के बाद खजाने की हालत से आश्वस्त वित्त मंत्री अगले सप्ताह लेखानुदान में कुछ रियायतों का भी एलान कर सकते हैं। सरकार के खर्चो में बचत और आयात को सीमित रखने के लिए उठाए गए कदमों के बाद राजकोषीय घाटा पूरी तरह काबू में रहने के चलते अंतरिम बजट में सरकार कुछ राहत भी दे सकती है।
वित्त मंत्री अगले सोमवार को लोकसभा में लेखानुदान पेश करेंगे। सूत्र बताते हैं कि चार महीने के खर्च की मंजूरी लेने के अलावा चिदंबरम उद्योगों खासकर आटो उद्योग को कुछ राहत दे सकते हैं। इसके अलावा सोने पर सीमा शुल्क की दर में भी कमी की संभावना है। माना जा रहा है कि शुल्क की जिन दरों में कर कानूनों में संशोधन की आवश्यकता नहीं है, उनमें रियायत दी जा सकती है। वर्तमान में उद्योगों में ऑटो क्षेत्र बुरी तरह मंदी के दौर से गुजर रहा है।
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कार कंपनियों की बिक्री गिर रही है। इसे देखते हुए वित्त मंत्री अंतरिम बजट में ऑटो कंपनियों को उत्पाद शुल्क में कुछ राहत दे सकते हैं। औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर में लगातार गिरावट को देखते हुए इस तरह के उपाय कुछ अन्य क्षेत्रों के लिए भी किए जा सकते हैं। सोने के आयात पर शुल्क की दर को चार से बढ़ाकर दस फीसद तक लाने के बाद सरकार ने सोने के आयात को बेहद सीमित कर दिया है। जनवरी में मात्र 1.72 अरब डॉलर का सोना-चांदी आयात हुआ। सोने के आयात को सीमित कर सरकार ने चालू खाते के घाटे को बेहद नीचे ला दिया है। वित्त मंत्री खुद पिछले दिनों स्वीकार कर चुके हैं कि अब सोने पर आयात शुल्क दर की समीक्षा की जा सकती है।
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चालू वित्त वर्ष 2013-14 की शुरुआत के बाद से खजाने की खराब हालत से जूझ रहे वित्त मंत्री को आखिरी दो महीने में भारी राहत मिली है। 2जी स्पेक्ट्रम से 61,000 करोड़ रुपये और विनिवेश से सरकार को 30,000 करोड़ रुपये तक मिलने की उम्मीद है। मंत्रालयों के योजना और गैर योजना खर्च में कटौती से भी सरकार के खजाने में काफी बचत हुई है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि गैर कर राजस्व और बचत से सरकार का राजकोषीय घाटा 4.8 फीसद के लक्ष्य से भी नीचे आ सकता है। लिहाजा इस बचत का इस्तेमाल वित्त मंत्री जनता व उद्योग को राहत देने के लिए भी कर सकते हैं।
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