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    GST बिल की राह हुई आसान, केंद्र-राज्यों के बीच अहम मुद्दों पर बनी सहमति

    By Lalit RaiEdited By:
    Updated: Wed, 27 Jul 2016 09:33 AM (IST)

    जीएसटी पर आम सहमति बनाने में केंद्र सरकार को अहम कामयाबी मिली। राज्यों के वित्त मंत्रियों और केंद्र सरकार में जीएसटी दर पर सहमति बन गई है।

    नई दिल्ली । लंबे समय से अटके पड़े वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) विधेयक पर केंद्र और राज्यों के बीच मंगलवार को महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात आगे बढ़ी। दोनों पक्षों में इस सिद्धांत पर सहमति बनी है कि जीएसटी दर मौजूदा स्तर से कम रहनी चाहिए। मोटे तौर पर यह सहमति भी उभरी है कि जीएसटी दर का उल्लेख संविधान संशोधन विधेयक में नहीं किया जाएगा।

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    वित्त मंत्री अरुण जेटली के आह्वान पर बुलाई गई राज्यों के वित्त मंत्रियों की प्राधिकृत समिति की बैठक में यह सहमति बनी। इस बात पर भी सहमति बनी है कि जीएसटी लागू होने के पहले पांच साल के दौरान राज्यों को राजस्व नुकसान होने की स्थिति में उसकी भरपाई की प्रणाली की भी व्यवस्था की जानी चाहिए। उल्लेखनीय है कि जीएसटी के लागू होने पर केंद्र और राज्यों में लगने वाले अप्रत्यक्ष करों को इसमें समाहित कर लिया जाएगा।

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    राज्यों के वित्त मंत्रियों की प्राधिकृत समिति के चेयरमैन और पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने बैठक के बाद कहा कि इस बारे में व्यापक सहमति बनी है कि साधारण व्यवसायी और आम करदाता को जीएसटी की शुरुआत से फायदा होना चाहिए और इसके लिए कर की दर कम रहनी चाहिए। इसके साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा जाएगा कि राज्यों को इससे राजस्व का नुकसान नहीं होना चाहिए।

    वित्त मंत्री भी रहे मौजूद

    वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी बैठक में जाकर राज्यों के वित्त मंत्रियों से मुलाकात की। हालांकि उन्होंने इस संबंध में आधिकारिक तौर पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। जीएसटी के कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर राज्यों के बीच सहमति बनने का सीधा मतलब है कि सरकार अब इसके लिए जरूरी संविधान संशोधन विधेयक को राज्य सभा से पारित करने में सहयोग के लिए विपक्ष पर दवाब बनाएगी।

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    ये है कांग्रेस की शर्त

    असल में कांग्रेस पार्टी कुछ शर्तो को लेकर जीएसटी का विरोध कर रही है। इनमें से एक शर्त यह है कि जीएसटी की दरें संविधान संशोधन विधेयक में ही तय कर दी जाएं और इस पर एक उच्च्चतम सीमा निर्धारित कर दी जाए। सरकार यह करने को तैयार नहीं है। वहीं राज्यों की भी यही राय है कि जीएसटी दर को संविधान संशोधन में फिक्स नहीं किया जाए।

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    उल्लेखनीय है कि सरकार ने अप्रैल 2017 से जीएसटी लागू करने का लक्ष्य रखा है। वित्त मंत्री कह चुके हैं कि राज्य सभा में जीएसटी समर्थक सदस्यों की संख्या अब बढ़ गयी है। हालांकि कांग्रेस के विरोध के चलते जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक अटका हुआ है। पिछले कुछ दिनों में वित्तमंत्री कांग्रेस नेताओं से मिल चुके हैं। पर्दे के पीछे यह माना भी जाता रहा है कि इस बार कांग्रेस भी जीएसटी पारित कराने के पक्ष में है और इक्के दुक्के नेताओं को छोड़कर सब समर्थन में हैं। बहरहाल अब तक कांग्रेस नेतृत्व ने खुलकर कुछ नहीं कहा है। सरकार अगले सप्ताह विधेयक लाना चाहती है।

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