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    ..जालिम घर और अफसर शिविरों में रहने नहीं देते

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    Updated: Wed, 01 Jan 2014 01:49 PM (IST)

    ए अल्लाह, हम सबको मुसीबत से बचा लीजिए, कोई सियासी पार्टी हमारी हमदर्द नहीं, मुजफ्फरनगर में जालिम हमें घर में नहीं रहने दे रहे हैं और हुकूमत शिविरों में नहीं रहने दे रही। ऐ अल्लाह, मुजफ्फरनगर में इम्तेहान ले लिया, अब कहीं मत लेना। मेरा आपके सिवा कोई नहीं है। यह पीड़ा कानपुर में हजरत अलाउल हक वद्दीन मख्दूम शाह आला के

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    लखनऊ। ए अल्लाह, हम सबको मुसीबत से बचा लीजिए, कोई सियासी पार्टी हमारी हमदर्द नहीं, मुजफ्फरनगर में जालिम हमें घर में नहीं रहने दे रहे हैं और हुकूमत शिविरों में नहीं रहने दे रही। ऐ अल्लाह, मुजफ्फरनगर में इम्तेहान ले लिया, अब कहीं मत लेना। मेरा आपके सिवा कोई नहीं है। यह पीड़ा कानपुर में हजरत अलाउल हक वद्दीन मख्दूम शाह आला के उर्स के मौके पर आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जदीद के संगठन मंत्री एवं गद्दियाना ईदगाह के इमाम मौलाना हाशिम अशरफी ने अल्लाह की बारगाह में रो-रोकर सुनाई और अल्लाह से मदद मांगी।

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    उन्होंने कहा कि ऐ अल्लाह, ऐसे जालिमों का खात्मा फरमा दे। बहन-बेटियों की इज्जत महफूज नहीं, उनकी हिफाजत फरमा। दरगाह शरीफ के संरक्षक इरशाद आलम ने कुलशरीफ के पूर्व लाखों अकीदतमंदों को संबोधित किया और कहा कि कोई सियासी पार्टी हितैषी नहीं है। मुजफ्फरनगर के शिविरों में ठंड और दवा के अभाव में बच्च्े मर रहे हैं और नेता जश्न मना रहे हैं। उन्होंने आह्वान किया कि देवबंदी, बरेलवी का चक्कर छोड़कर एक प्लेटफार्म पर आ जाओ। नेताओं पर कभी भरोसा मत करना।

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    जानें, मख्दूम शाह आला :

    मजार शरीफ के सज्जच्दानशीन ने बताया कि मख्दूम शाह आला के वालिद काजी सिराजुद्दीन उर्फ हजरत दादा मियां ईरान के शहर जनजान के काजी थे और मोहब्बत का पैगाम लेकर भारत आए, उस वक्त 1205-10 के मध्य दिल्ली में कुतुबुद्दीन ऐबक की सरकार थी। हजरत दादा मियां विभिन्न शहरों से होते हुए जाजमऊ पहुंचे तो क्षेत्रीय लोगों ने यहां के राजा जाज के जुल्म से निजात दिलाने की गुहार लगायी। हजरत दादा मियां ने ईरान में शिक्षा ले रहे अपने बेटे मख्दूम शाह आला को ईरान से बुलाया जिन्होंने नमाज में अल्लाह से दुआ करके आतंक का पर्याय रहे राजा जाज का किला पलट दिया। हजरत दादा मियां की मजार शरीफ भी जाजमऊ में है।

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