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    बंगाल चुनाव में सोशल मीडिया पर भी नजर रखेगा आयोग

    By Kamal VermaEdited By:
    Updated: Thu, 03 Mar 2016 09:09 AM (IST)

    पश्चिम बंगाल के चुनावी इतिहास में यह पहला मौका है जब चुनाव आयोग सोशल मीडिया पर नजर रखेगा। आयोग ने यह कदम सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए उठाया है।

    कोलकाता [मिलन कुमार शुक्ला]। पश्चिम बंगाल के चुनावी इतिहास में यह पहला मौका है जब चुनाव आयोग सोशल मीडिया पर नजर रखेगा। आयोग ने यह कदम सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए उठाया है।आयोग की असल चुनौती 294 सीटों के लिए करीब साढ़े छह करोड़ मतदाताओं के बीच उनके मताधिकार को सुनिश्चित करने के साथ निष्पक्ष चुनाव कराने की है। इसके तहत राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के जरिए सोशल मीडिया पर पोस्ट की जाने वाली सामग्री चुनाव आचार संहिता के दायरे में आएगी। आयोग कार्यालय के सूत्रों ने बताया कि बिहार चुनाव से सबक लेते हुए आयोग ने बंगाल विधानसभा के लिए यह कदम उठाया है।

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    निर्वाचन कानून की हो रही अनदेखी

    चुनाव आयोग ने यह पाया है कि सोशल नेटवर्किग का इस्तेमाल कर निर्वाचन कानून की अनदेखी की जा रही है। इसलिए इस पर दूसरे प्रचार माध्यमों की तरह निगरानी रखने का निर्णय लिया है। इस पर निगरानी के लिए जल्द ही काम शुरू कर दिया जाएगा। इसमें विकीपीडिया, ट्विटर अकाउंट, यूट्यूब, फेसबुक और एप्स जैसे विकल्प पर आयोग की नजर रहेगी।

    इस तरह होगी निगरानी

    नामांकन के दौरान फार्म नंबर 26 के शपथ पत्र के साथ उम्मीदवार को सोशल मीडिया अकाउंट की सूचना देनी होगी। इसमें प्रत्याशी का मोबाइल नंबर, ई-मेल आइडी और सोशल मीडिया पर बनाए गए सभी अकाउंट्स की सूचना देनी होगी। सोशल मीडिया पर प्रचार से पहले आयोग की मंजूरी लेनी होगी और यहां मीडिया सर्टिफिकेशन एंड मानीटरिंग कमेटी (एमसीएमसी) से मंजूरी लेना अनिवार्य होगा। इसके लिए वही प्रक्रिया होगी जो कि प्रिंट व इलेक्ट्रानिक माध्यम के प्रचार सामग्री के लिए मंजूरी लेने की होती है। सेक्शन 77 सब सेक्शन (1) के तहत सभी प्रत्याशियों को सोशल मीडिया पर खर्च का अलग ब्यौरा बनाना होगा।

    बंगाल चुनाव में आठ पुलिस पर्यवेक्षक देंगे ग्राउंड रिपोर्ट

    पश्चिम बंगाल में निष्पक्ष व शांतिपूर्ण चुनाव संपन्न कराने को लेकर चुनाव आयोग ने आधा दर्जन से अधिक पुलिस पर्यवेक्षकों को तैनात करने का फैसला किया है, जो यहां की जमीनी हकीकत के बारे में अवगत कराएंगे।जानकार सूत्रों के अनुसार, आयोग बिहार मॉडल की तर्ज पर यहां चुनाव संपन्न कराना चाहता है। लिहाजा वहां संपन्न हुए चुनाव में अपनाए गए कदम यहां भी कठोरता से लागू करने की तैयारी है।

    बताया जा रहा है कि बिहार की तरह आयोग केंद्रीय बलों को यहां सिर्फ कानून-व्यवस्था पर नजर बनाए रखने तक ही सीमित नहीं रखेगी। सूत्रों के अनुसार, आयोग ने पहली दफा बंगाल में आठ पुलिस पर्यवेक्षकों को तैनात करने का फैसला किया है, जो केंद्रीय बलों की तैनाती व उपयोगिता के बारे में अंतिम फैसला लेंगे।

    चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि, यह पर्यवेक्षक देखेंगे कि किस विधानसभा क्षेत्र में कितने सुरक्षाकर्मी तैनात हैं और उनकी वहां कितनी उपयोगिता है। यदि पुलिस पर्यवेक्षकों को ऐसा लगेगा कि गैर जरूरी अथवा राजनीतिक कारणों से केंद्रीय बलों को गलत स्थान पर तैनात किया गया है तो वे आयोग को इससे तुरंत अवगत कराएंगे। इसके बाद उनके सुझाव के आधार पर तैनाती के बारे में आयोग फैसला लेगा।

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