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    असम विधानसभा चुनाव में असम गण परिषद के साथ भाजपा का गठबंधन तय

    By Sachin BajpaiEdited By:
    Updated: Thu, 03 Mar 2016 01:34 AM (IST)

    असम में पहली बार सत्ता में आने की कोशिश में जुटी भाजपा ने बुधवार को गठबंधन की गुत्थी सुलझा ली है।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । असम में पहली बार सत्ता में आने की कोशिश में जुटी भाजपा ने बुधवार को गठबंधन की गुत्थी सुलझा ली है। दिल्ली में असम गण परिषद के प्रफुल्ल महंत और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की बैठक के बाद साथ मिलकर चुनाव लड़ने पर मुहर लग गई। बैठक में भाजपा के मुख्यमंत्री उम्मीदवार सर्बानंद सोनोवाल, अगप के अध्यक्ष अतुल बोरा समेत कई अन्य नेता भी मौजूद थे। विधानसभा की 126 सीटों में 24 सीट अगप को दी जाएगी। दो-तीन अन्य सीटों पर आपसी समझ के साथ दोनों चुनाव लड़ सकते हैं।

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    असम में भाजपा और असम गण परिषद दोनों के लिए यह जरूरी था कि इकट्ठे होकर ही कांग्रेस को चुनौती दें। हालांकि, अगप की अंदरूनी वजहों के कारण यह वार्ता बीच में टूटने के कगार पर चली गई थी। लेकिन आखिरकार बात बन गई। फिलहाल गठबंधन की औपचारिक घोषणा नहीं की गई है। कारण वे दो-तीन सीटें हैं, जहां आपसी समझ से लड़ने की बात हुई है। लेकिन दोनों दल यह भी मानते हैं कि किसी भी सीट पर गठबंधन से सिर्फ एक ही पार्टी का उम्मीदवार होना चाहिए।

    सूत्रों के अनुसार, अगप को 19 सीटें वैसी दी गई हैं, जहां बहुसंख्यक वर्ग का प्रभुत्व है। इसके अलावा पांच अल्पसंख्यक बहुल सीटें दी गई हैं। एक-दो दिनों में उन सीटों को लेकर फैसला हो जाएगा, जहां दोनों का दावा है। बताते हैं कि भाजपा इस रणनीति के साथ आगे बढ़ रही है कि विधानसभा में पार्टी अपने दम पर कम-से-कम साठ सीट लाए।

    गौरतलब है कि भाजपा राज्य में पहले ही जनजातियों में प्रभाव रखने वाली पार्टियों के साथ समझौता कर चुकी है। जल्द ही ऐसे ही किसी और दल से गठबंधन हो सकता है। अगप के साथ लड़ने पर फैसला होने के बाद भाजपा कड़ी टक्कर देने के लिए तैयार है। सूत्र बताते हैं कि शुरुआती अड़चन कई कारणों से आ रही थी। इसमें एक कारण यह भी था कि अगप के कुछ नेता सोनोवाल के नेतृत्व को लेकर असहज थे। दरअसल, सोनोवाल चार-पांच वर्ष पहले तक अगप में ही थे। दूसरी तरफ, भाजपा के अंदर भी छिटपुट इस गठबंधन का विरोध हो रहा था। लेकिन केंद्रीय नेतृत्व और संघ यह गठबंधन चाहता था।