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    सम्मेलन में बशीर और अल-सीसी पर होगी सभी की नजर

    By Sanjeev TiwariEdited By:
    Updated: Mon, 26 Oct 2015 01:36 AM (IST)

    भारत अफ्रीका सम्मेलन में वैसे तो 40 देशों के राष्ट्राध्यक्ष हिस्सा लेने के लिए आ रहे हैं लेकिन दो देशों के राष्ट्राध्यक्षों पर न सिर्फ देश की बल्कि विदेशी मीडिया की भी नजर लगी हुई है।

    जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। भारत अफ्रीका सम्मेलन में वैसे तो 40 देशों के राष्ट्राध्यक्ष हिस्सा लेने के लिए आ रहे हैं लेकिन दो देशों के राष्ट्राध्यक्षों पर न सिर्फ देश की बल्कि विदेशी मीडिया की भी नजर लगी हुई है। यह हैं सूडान के राष्ट्रपति ओमार हसन अल-बशीर और मिस्त्र के राष्ट्रपति अब्दुल फतेह अल-सीसी। इन दोनों राष्ट्राध्यक्षों के इस सम्मेलन में शामिल होने को लेकर अंतिम समय तक उहापोह की स्थिति थी। इस वजह से इनकी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार को जबरदस्त कूटनीतिक पहल दिखानी पड़ी है। दरअसल, कूटनीतिक और आर्थिक लिहाज से इन दोनों राष्ट्राध्यक्षों का शामिल होना भारत के लिए बेहद अहम है।

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    सूडान के राष्ट्रपति ओमार हसन अल-बशीर को इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट ने वर्ष 2009 में अंतरराष्ट्रीय अपराधी घोषित किया था। अल बशीर पर अपने देश के नागरिकों की सामूहिक हत्या करने का आरोप है और अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में चले मुकद्दमे के बाद उनकी गिरफ्तारी के दो अंतरराष्ट्रीय नोटिस जारी हो चुकी है। इस वजह से ही वर्ष 2009 के बाद से बशीर ने अभी तक किसी दक्षिणी-पूर्वी देश की यात्रा नहीं की है। बहरहाल, जैसे ही यह साफ हुआ कि अल बशीर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए आने वाले हैं आइसीसी और मानवाधिकार संगठनों ने भारत से आग्रह किया है कि वह बशीर का स्वागत नहीं करे और उन्हें गिरफ्तार करने में मदद करे। लेकिन भारत के विदेश मंत्रालय का कहना है कि चूंकि भारत आइसीसी के उस मामले में कोई पक्ष नहीं है इसलिए वह उसके फैसले को मानने के लिए बाध्य नहीं है।

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    सूत्रों के मुताबिक सूडान की सरकार को भले ही अंतरराष्ट्रीय मंच पर आज की तारीख में 'अछूत' के तौर पर देखा जा रहा हो लेकिन अपनी पेट्रोलियम संपदा की वजह से वह भारत के लिए एक आकर्षक निवेश स्थल है। पहले से ही भारत की सरकारी कंपनी ओएनजीसी वहां के पेट्रोलियम ब्लाक में भारी भरकम राशि निवेश कर चुकी है। निकट भविष्य में सूडान अपने कई पेट्रोलियम व स्वर्ण ब्लाकों की नीलामी करने वाला है। विदेशों में ऊर्जा स्त्रोत तलाश रहे भारतीय कंपनियों के लिए यह एक अच्छा मौका होगा। जब से सूडान पर अंततरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगे हैं तब से भारत उसका एक बड़ा व्यापारिक साझेदार हो गया है। पिछले वित्त वर्ष इनका द्विपक्षीय कारोबार 1.5 अरब डॉलर के करीब था।

    इस सम्मेलन में भाग लेने वाले दर्जनों राष्ट्राध्यक्षों में मिस्त्र के राष्ट्रपति अब्दुल फलेह अल-सीसी का आने को अभी से भारतीय कूटनीति की एक अहम जीत के तौर पर पेश किया जा रहा है। विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक अल-सीसी मंगलवार को भारत की यात्रा पर पहुंचेगे लेकिन इनके प्रवक्ता ने आज ही यह ऐलान कर दिया कि भारत अफ्रीका का सबसे बेहतरीन आर्थिक साझेदार है। वैसे भी अल सीसी के आने को लेकर एक हफ्ते पहले तक स्थिति साफ नहीं थी। दरअसल, वर्ष 2013 में मिस्त्र की चर्चित जन आंदोलन के बाद अल-सीसी को वहां का राष्ट्रपति नियुक्त किया गया था।

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    अब जा कर वहां शांति भी स्थापित होने लगी है और भारत नए सिरे से इस अहम अफ्रीकी देश के साथ अपने रिश्ते को आगे बढ़ाना चाहता है। ऐसे में मोदी सरकार हर कीमत पर उन्हें इस सम्मेलन में बुलाना चाहती थी। माना जा रहा है कि अल-सीसी के साथ पीएम नरेंद्र मोदी की द्विपक्षीय बैठक में भविष्य के द्विपक्षीय रिश्तों की नई शुरुआत की जाएगी। मिस्त्र अफ्रीका में भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार देश ( 4.76 अरब डॉलर) है जिसे पांच वर्षो में 15 अरब डॉलर करने करने का लक्ष्य तय होना है। दोनों नेताओं में मिस्त्र के स्वेज नहर में बने रहे नए संपर्क मार्ग में हिस्सेदारी को लेकर भी बातचीत होगी।

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