अफ्रीका से बाहर अफ्रीकी देशों का सबसे बड़ा जमघट
आपसी गुटबाजी और सीमा विवाद को लेकर एक दूसरे से लड़ने वाले अफ्रीका के देशों को भारत एक मंच पर एकजुट होने का मौका दे रहा है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आपसी गुटबाजी और सीमा विवाद को लेकर एक दूसरे से लड़ने वाले अफ्रीका के देशों को भारत एक मंच पर एकजुट होने का मौका दे रहा है। यह मौका इन देशों को 26 अक्टूबर से होने वाले भारत अफ्रीका सम्मेलन में मिलेगा। सम्मेलन में 40 अफ्रीकी देशों के राष्ट्राध्यक्षों समेत 54 देशों के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। इस तरह से अफ्रीका के बाहर अफ्रीकी देशों का सबसे बड़ा सम्मेलन भी है।
विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक इस बात का पहले संभावना थी लेकिन अब यह पक्का हो गया है कि अफ्रीका से बाहर वहां के देश एक साथ एक ही सम्मेलन में इतनी बड़ी संख्या में शिरकत नहीं किये हैं। यह बताता है कि भारत के साथ अपने रिश्ते को नए मायने देने के लिए अफ्रीकी देश भी काफी रुचि रखते हैं। इसमें से कई देश हैं जिनके हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में भारत निवेश करना चाहता है। यह सम्मेलन भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए भी बेहद अहम साबित हो सकता है।
कई से एक दर्जन देश इसमें ऐसे आएंगे जिनके पास हाइड्रोकार्बन उत्पादों का बहुत बड़ा भंडार है। मसलन, हाल ही में उत्तरी अफ्रीका के नाइजीरिया को हाल ही में हाइड्रोकार्बन उत्पादों का बड़ा भंडार मिला है। भारत चाहता है कि वह नाइजरिया को इन उत्पादों को निकालने के लिए आर्थिक मदद करे। इसी तरह से संकेत है कि मोजाम्बिक के पास गैस का बहुत बड़ा भंडार है। यहां भी भारतीय कंपनियां निवेश करना चाहती हैं। इन देशों की सरकारों के साथ इसके लिए बातचीत होगी। वैसे इन देशो में पहले से ही भारत निवेश कर रहा है लेकिन अब इसका आकार बढ़ाना चाहते हैं।
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