तीन मुद्दों पर भारत को चाहिए अफ्रीकी देशों का समर्थन
सितंबर, 2015 में अपने अमेरिका दौरे के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र के स्थाई परिषद की सदस्यता हासिल करने के लिए जो मुहिम शुरू की थी उसकी बानगी सोमवार से शुरू हो रहे भारत अफ्रीका सम्मेलन में भी देखने को मिलेगी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सितंबर, 2015 में अपने अमेरिका दौरे के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र के स्थाई परिषद की सदस्यता हासिल करने के लिए जो मुहिम शुरू की थी उसकी बानगी सोमवार से शुरू हो रहे भारत अफ्रीका सम्मेलन में भी देखने को मिलेगी। पीएम मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज जब मंगलवार से अफ्रीकी देशों के राष्ट्राध्यक्षों व विदेश मंत्रियों से द्विपक्षीय स्तर पर बातचीत शुरु करेंगे तो इसमें संयुक्त राष्ट्र के मौजूदा स्वरूप में बदलाव के लिए समर्थन हासिल करना का एजेंडा काफी अहम होगा।
विदेश मंत्री स्वराज ने यहां कहा कि यह समझ से बाहर की बात है कि भारत और अफ्रीका महादेश को संयुक्त राष्ट्र के स्थायी परिषद में कोई प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है। यह एक बहुत ही बड़ी असंगति है जिसे जितनी जल्दी हो दूर किया जाना चाहिए। स्वराज यहां अफ्रीका भारत संपादक सम्मेलन की शुरुआत करते हुए यहां बोल रही थी। विदेश मंत्री ने जिस तरह से संयुक्त राष्ट्र में सुधार के मुद्दे को केंद्र में लाने की कोशिश की है उससे साफ है कि भारत इस सम्मेलन में ज्यादा से ज्यादा अफ्रीकी देशों को अपने पक्ष में जुटाने की कोशिश करेगा। जानकारों का कहना है कि यह एक उपयुक्त फोरम होगा क्योंकि अफ्रीका के कई देश न सिर्फ मौजूदा व्यवस्था में बदलाव चाहते हैं बल्कि वह भारत जैसे करीबी राष्ट्र को स्थाई सदस्य के तौर पर इसलिए देखना चाहते हैं कि इससे उनके हितों की भी रक्षा होगी।
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स्वराज का कहना है कि संयुक्त राष्ट्र में अफ्रीका महादेश के सबसे ज्यादा सदस्य देश हैं जबकि भारत में दुनिया की एक छठी आबादी रहती है। लेकिन इन दोनो क्षेत्रों का कोई प्रतिनिधित्व स्थाई परिषद में नहीं है। यह एक अकल्पनीय तथ्य है। अफ्रीका और भारत को मिल कर इस अव्यवस्था को दूर करने की कोशिश करनी होगी। मीडिया इस काम में काफी योगदान कर सकता है। इसके अलावा विदेश मंत्री ने अफ्रीकी देशों के साथ पर्यावरण मुद्दे पर पेरिस (फ्रांस) में होने वाली आगामी शीर्षस्तरीय बैठक और केन्या में विश्व व्यापार संगठन (डब्लूटीओ) में भी अहम मुद्दों पर अफ्रीकी देशों के साथ एक रणनीति बनाने पर जोर दिया। ताकि इन दोनो सम्मेलनों में विकासशील देशों के हितों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर एकस्वर में बात किया जा सके।
भारतीय कूटनीति के लिहाज से उक्त तीनों मुद्दों आने वाले दिनों में सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण साबित होने वाले हैं। भारत को पर्यावरण हितों और डब्लूटीओ के मुद्दों सभी विकासशील देशों की मदद चाहिए और कमोवेश भारत जो मुद्दे इन क्षेत्रों को लेकर उठा रहा है उससे अफ्रीकी देश भी सहमत हैं। खास तौर पर अगर पेरिस सम्मेलन और केन्या सम्मेलन में अफ्रीकी देशों का समर्थन मिल जाए तो भारत विकासशील देशों की तरफ से और मजबूती से आवाज उठा सकेगा।
भारत अफ्रीका सम्मेलन में भारत का एजेंडा
1. यूएन के स्थाई सदस्य के लिए अफ्रीकी देश दे समर्थन
2. पेरिस पर्यावरण सम्मेलन में साझे हितों को दी जाए समर्थन
3. डब्लूटीओ की आगामी मंत्रिस्तरीय बैठक को लेकर एक रणनीति बनाना
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