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    डीएनए टेस्ट ने साबित किया, बदला था केएनएच में बच्चा

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    Updated: Fri, 21 Oct 2016 10:42 AM (IST)

    ह‍िमाचल प्रदेश की राजधानी श‍िमला के कमला नेहरू अस्पताल (केएनएच) में बच्चा बदलने का मामला सुलझ गया है। डीएनए र‍िपोर्ट में साफ हो गया है क‍ि बच्‍चें बदले गए थे।

    शिमला [जेएनएन] : हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के कमला नेहरू अस्पताल (केएनएच) में बच्चा बदलने का मामला सुलझ गया है। पुलिस ने इस मामले में जिन दो बच्चों के अभिभावको का डीएनए टेस्ट करवाया था, उसमें मिलान हो गया है कि कौन किसका बच्चा है तथा बच्चे बदले गए थे। हाईकोर्ट ने दोनों दंपती कोर्ट में तलब किए है। वीरवार को मामले की सुनवाई के दौरान उक्त फैसला सुनाया गया। डीएनए रिपोर्ट एसपी शिमला ने हाईकोर्ट में पेश की।

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    गौरतलब है कि कोर्ट ने पिछली सुनवाई में दौरान एसपी शिमला को जांच का जिम्मा सौपा था। रपट में बताया गया है कि फॉरेसिक लैब जुन्गा से आई डीएनए रिपोर्ट के मुताबिक बदले गए बच्चे नितांश ठाकुर का डीएनए याचिकाकर्ता शीतल व अनिल कुमार के डीएनए से मैच करता है, जबकि बेबी शीतल का डीएनए अंजना व जितेद्र ठाकुर के डीएनए से मैच करता है। कमला नेहरू हॉस्पिटल के एमएस से उन डॉक्टरों के नाम व पते देने को भी कहा गया है, जिनकी तैनाती 26 मई को लेबर रूम में की गई थी। मुख्य न्यायाधीश मंसूर अहमद मीर व न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने रपट को देखने के बाद अंजना व जितेद्र को प्रतिवादी बनाया।

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    यह हुआ 26 मई से अब तक

    26 मई को कमला नेहरू हॉस्पिटल में शीतल ने एक बच्चें को जन्म दिया था। मौके पर मौजूद नर्सो ने उससे कहा था कि उसके बेटा हुआ है परंतु बाद में उसे एक बिटिया दे दी गई। दोनों प्रार्थियों शीतल व अनिल कुमार ने अपने स्तर पर इस गड़बड़ी की छानबीन की। इस छानबीन के दौरान उन्हें कुछ लोगों ने बताया गया कि कमला नेहरू हॉस्पिटल में बच्चों की अदला-बदली वाले गिरोह सक्रिय है। इसके बाद उन्होंने खुद ही उन्हें सौपी गई बच्ची का डीएनए टेस्ट करवाया। डीएनए में वह बच्ची उनकी नहीं पाई गई। अब पुलिस जांच में भी यह साफ हो गया कि बच्चा बदला गया।

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    यह रहा घटनाक्रम

    -26 मई को शिकायतकर्ता शीतल का प्रसव केएनएच अस्पताल में हुआ था। शिकायतकर्ता के साथ एक अन्य लड़की थी। उसे नर्स ने बताया कि शीतल के लड़का हुआ है। लेकिन कुछ देर बाद यह बताते हुए कि बिटिया हुई, उन्हें लड़की दे दी गई।

    -13 जून को शिकायतकर्ता ने बच्ची का डीएनए करवाया।

    - 28 जून को डीएनए रिपोर्ट आई, जो परिजनों से मेल नहीं खा रही थी।

    - 30 जून को परिजनों ने केएनएच प्रबंधन को लिखित में शिकायत की।

    - 13 जुलाई को परिजनों ने पुलिस अधीक्षक शिमला को शिकायत की।

    - 14 जुलाई को थाना प्रभारी छोटा शिमला ने मामले की जांच के लिए परिजनों को थाने मे बुलाया।

    -15 जुलाई को पुलिस की निगरानी डीएनए टेस्ट करवाया गया।

    - 28 जुलाई को रिपोर्ट पुलिस को सौपी गई।

    - 4 अगस्त को दोबारा पुलिस के पास शिकायत की गई ।

    - 27 अगस्त को छोटा शिमला ने बच्ची का डीएनए सैंपल लिया।

    -9 सितंबर को रिपोर्ट जुन्गा फारेसिक लैब से प्राप्त हुई, जिसमें पुष्टि हुई कि बच्चे बदले गए है।

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