हनीप्रीत के पॉवरफुल होते ही बदल गया डेरा में सिस्टम,पुरुषों का वर्चस्व तोड़ा
हनीप्रीत को लेकर खुलासे जारी हैं। हनीप्रीत ने डेरा सच्चा सौदा में वर्चस्व बढ़ने के साथ ही वहां का सारा सिस्टम बदल दिया। उसने पुरुषों का वर्चस्व तोड़ महिलाओं काे आगे किया।
चंडीगढ़, [सुधीर तंवर]। डेरा सच्चा सौदा गुरमीत राम रहीम के जेल जाने के बाद से अहम दस्तावेजों के साथ फरार हनीप्रीत पुलिस और खुफिया एजेंसियों के लिए पहेली बन गई है। हनीप्रीत और डेरा सच्चा सौदा को लेकर खुलासों का दौर जारी है। डेरे में हनीप्रीत का प्रभाव बढ़ने के साथ ही वहां का सारा सिस्टम बदल गया था। डेरे में उसकी तूती बोलती थी और गुरमीत राम रहीम के हर फैसले में वह भागीदार रहती थी।
यही कारण है कि पुलिस के लिए हनीप्रीत को पकड़ना बेहद जरूरी और महत्वपूर्ण है, लेकिन वह उसके लिए लगातार पहेली बनी हुई है। देश-विदेश में उसे पकड़ने के तमाम प्रयास विफल रहने के बाद पुलिस अब एक बार फिर डेरा मुखी से पूछताछ की तैयारी में जुटी है। पूरी आशंका है कि गुरमीत के निर्देश पर ही डेरा समर्थकों ने उसे छिपाकर रखा हुआ है। दूसरी
डेरे की मैनेजमेंट कमेटी में पुरुषों का वर्चस्व खत्म कर साध्वियों को किया आगे
गुरमीत की अजीज हनीप्रीत की डेरे में सबसे अहम भूमिका थी। गुरमीत राम रहीम के संपर्क में आने के बाद हनीप्रीत लगातार पावरफुल होती चली गई और इसके साथ ही डेरे का सिस्टम भी बदलता गया। डेरे की जिस मैनेजमेंट कमेटी में पुरुषों का वर्चस्व होता था, वहां महिला साध्वियों का बोलबाला हो गया।
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बाबा के हर फैसले में हनी का हाथ, परिजनों और चहेतों को अहम पदों पर कराया काबिज
सुनियोजित तरीके से हनी ने पुरुष साधुओं को दरकिनार कर महिलाओं को आगे कराया। उसकी सिफारिश पर ही विपसना को डेरा की प्रबंधन कमेटी का चेयरपर्सन बनाया गया और आज उसकी टीम के 250 सदस्यों में से डेढ़ सौ महिलाएं हैं। हनी ने डेरे में ज्यादातर अहम पदों पर महिलाओं को काबिज कर एक तरह से पूरा नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया। यहां तक कि डेरामुखी की सुरक्षा के लिए महिला गार्डों का ही पहरा बैठाया गया।
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गुरमीत राम रहीम कोई भी फैसला लेने से पहले हनीप्रीत से सलाह जरूर लेता था। डेरे की सभी चाबियां हनीप्रीत के पास होती थी तो बाबा का लेपटॉप और मोबाइल भी उसके पास ही रहता था। करीब 20 साल से वह साया बनकर गुरमीत के साथ रही थी।
1996 में आई थी डेरे के कॉलेज में पढ़ने
मूल रूप से फतेहाबाद जिले की रहने वाली प्रियंका तनेजा 1996 में पहली बार डेरा सच्चा सौदा के कॉलेज में 11वीं क्लास में पढ़ने के लिए आई थी। इसी साल गुरमीत राम रहीम लड़कियों को आशीर्वाद देने के बहाने उनके स्कूल में आया और देखते ही देखते वह प्रियंका से हनीप्रीत बनकर बाबा की सबसे करीबी हो गई।
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गुरमीत उस पर इतना मेहरबान हुआ कि उसकी सारी पढ़ाई-लिखाई डेरे में ही कराई और उसके नाम पर कई बड़े कारोबार भी शुरू किए। हनी ने अपने भाई साहिल तनेजा को भी बड़े स्तर पर कारोबार दिलाया तो पिता रामानंद तनेजा को डेरे में ही बड़ा सीड प्लांट दिलाया। इसके अलावा डेरा की पर्चेजिंग कमेटी का हेड बनाकर बाजार का सारा लेन-देन उसके हवाले कर दिया गया। हनीप्रीत की छोटी बहन नीशु तनेजा की शादी में भी गुरमीत राम रहीम ने अहम भूमिका निभाई।
जिंदा है हनीप्रीत, डेरे का संरक्षण
हनीप्रीत के पूर्व पति विश्वास गुप्ता कहते हैं कि हनीप्रीत जिंदा है और डेरा मुखी की अनुमति के बिना उसकी लवर को कोई छू भी नहीं सकता। गुरमीत के लिए हनीप्रीत द्वारा लड़कियों को फंसाने के आरोपों पर विश्वास ने कहा कि भला वह अपनी सौतन कैसे ला सकती थी। हनीप्रीत के साथ अवैध संबंध से पहले डेरा मुखी ने चाहे जो किया हो, लेकिन बाद में सब कुछ हनी के हाथ में ही था। विपसना भले ही डेरे की प्रबंधन कमेटी की चेयरपर्सन हो, लेकिन थी नौकर ही। असली रानी तो हनी ही थी।
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