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    जेल पहुंचे तो टूटी डेरा अनुयायियाें की अंधभक्ति, अब कर रहे पछतावा

    By Sunil Kumar JhaEdited By:
    Updated: Wed, 13 Sep 2017 02:52 PM (IST)

    डेरा सच्‍चा सौदा प्रमुख राम रहीम की अंधभक्ति में अपना काफी कुछ तबाह कर चुके लोगों को अब होश आ रहा है। जेल में बंद सैकड़ों अनुयायी अब डेरा सच्‍चा सौदा से पल्‍ला झाड़ रहे हैं।

    जेल पहुंचे तो टूटी डेरा अनुयायियाें की अंधभक्ति, अब कर रहे पछतावा

    चंडीगढ़, [सुधीर तंवर]। दुष्कर्म के मामले में जेल में बंद गुरमीत राम रहीम की अंधभक्ति पंजाब सहित दूसरे राज्यों के सैकड़ों परिवारों को भारी पड़ी है। इन डेरा प्रेमियों को होश भी तब आया, जब इनका सब कुछ तबाह हो गया। पंचकूला और सिरसा में आगजनी के बाद 20 दिन से जेलों में बंद इन अनुयायियों से डेरा सच्चा सौदा ने भी पल्ला झाड़ लिया। ऐसे में अब उन्हें अपनी जमानत कराने के लाले पड़े हैं।

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    सीबीआइ अदालत में 25 अगस्त को गुरमीत राम रहीम पर फैसले के दिन पंचकूला में जमा भीड़ में आधे से अधिक लोग पंजाब के ही थे। उपद्रव में मारे गए 34 लोगों में से सर्वाधिक 12 लोग पंजाब के थे। इसी तरह हिंसा में घायल कुल 264 लोगों में से 150 लोग पंजाब के विभिन्न जिलों से यहां पहुंचे थे।

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    इसके अलावा, आगजनी में गिरफ्तार कुल 976 लोगों में से 412 पंजाब के हैं। राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से भी काफी लोग अंबाला सहित दूसरी जेलों में बंद हैं। अब इन लोगों का कोई खैर-ख्वाह नहीं है और उन्हें पंचकूला में आने के अपने निर्णय पर पछतावा हो रहा है।

    पैरवी के लिए छूटे पसीने

    आगजनी में गिरफ्तार इन डेरा प्रेमियों को अदालत में पैरवी के लिए वकील करने में भी पसीने छूट रहे हैं। ज्यादातर वकीलों ने इनके केस लड़ने से हाथ खड़े कर दिए। किसी ने हामी भी भरी तो मोटी फीस की एवज में। उस पर तुर्रा यह कि डेरा ने इन लोगों को अपना अनुयायी मानने से ही इनकार कर दिया।

    जेल में मुखिया, रोजी-रोटी का संकट

    कई परिवार ऐसे हैं जिनका मुखिया ही जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गया। ऐसे में उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। ज्यादातर परिजनों को समझ नहीं आ रहा कि कैसे संकट की इस घड़ी से पार पाएं। सरकारों की तरफ से भी इनके लिए पैरवी की कोई गुंजाइश नहीं।

    पंचकूला उपद्रव में मारे गए पंजाब के डेरा प्रेमी

    गुरपाल सिंह (पटियाला), अमन (फाजिल्का), लवप्रीत (मलोट), जगरूप सिंह (बरनाल), हरी सिंह (बठिंडा), मनीष शर्मा (पटियाला), उग्रसैन (मानसा), रणजीत सिंह (संगरूर), वीरेंद्र (मोगा), गुरप्यार सिंह (मुक्तसर), गुरदीप (मलोट) और दरवारा सिंह (पटियाला)।

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    '' पंचकूला में जमा डेरा समर्थकों में से 50 फीसद से अधिक लोग पंजाब से आए थे, लेकिन वहां की सरकार ने उन्हें रोका नहीं। पंजाब की सोच तो यह थी कि हरियाणा जलता है तो जलता रहे। डेरा मुखी के दोषी घोषित होने के बाद जिन 13 कमांडो ने उसे भगाने की कोशिश की, उनमें आठ पंजाब के ही थे। जहां तक हिंसा के आरोप में जेलों में बंद लोगों का सवाल है, कानून अपना काम करेगा। दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाना चाहिए।

                                                                                                      - मनोहरलाल, मुख्यमंत्री, हरियाणा।

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