मर चुकी थी दंगाइयों की इंसानियत, समर्थक थैलों में भरकर लाए थे पत्थर
पंचकूला में हिंसा के दौरान आग लगाने वालों में पुरुष या युवा ही नहीं, बल्कि महिलाएं बड़ी संख्या में थी। जिन्होंने पहले वाहनों को जमकर तोड़ा।
पंचकूला, [राजेश मलकानियां]। डेरा प्रेमियों ने पंचकूला में शुक्रवार को जमकर तांडव मचाया। डेरा प्रेमियों ने शहर मेें लगभग 200 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान कर दिया। कई बिल्डिंगें, सरकारी कार्यालय, गाड़ियों, सिनेमा घरों, बैंक, होटल को नुकसान पहुंचाया। इस आगजनी के बाद एक बड़ा क्षेत्र उजड़ गया। लोग अब शहर में डर चुके हैं और पूरी रात वह सो नहीं पाए।
हरियाणा के सीएम ने आर्थिक नुकसान की भरपाई करने की बात तो कह दी है लेकिन लोगों के मन में जो भय बैठ गया है, उसे कैसे मिटाएंगे। लोगों के मुंह से बस एक ही बात निकल रही थी कि उजड़ गया पंचकूला। ऐसे में पंचकूला पुलिस की नाकामी ने साबित कर दिया कि इस पंचकूला को उजाड़ने में उसका सबसे बड़ा योगदान है। अमित शर्मा जोकि कवरेज के लिए आए थे, ने अपनी कार सेक्टर-5 निक बेकरर्स के पास खड़ी की थी। यहां पर उनकी कार को उपद्रवियों ने पहले पटक दिया और उसके बाद कागज से आग लगा दी।
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दमकल विभाग की गाड़ी के पहले शीशे तोड़े और फिर उसे आग लगा दी। इसके बाद तो फिर तांडव का ऐसा दौर चला कि रुकने का नाम नहीं लिया। एक के बाद एक कार, ओबी वैन, स्कूटर, मोटरसाइकिल जोकि सामने आया, उसे डेरा समर्थकों ने आग लगा दी। यह आग लगाने वालों में पुरुष या युवा ही नहीं, बल्कि महिलाएं बड़ी संख्या में थी। जिन्होंने पहले वाहनों को जमकर तोड़ा।
हिंसा के दौरान गाड़ियों में लगाई गई आग।
सरकारी दफ्तरों को कर दिया आग के हवाले
इन उपद्रवियों का मन यहीं नहीं भरा, इन्होंने हरियाणा स्टाफ सेलेक्शन कमीशन, एलआइसी कार्यालय सहित कुछ अन्य भवनों में आगजनी की। राजहंस सिनेमा में तोडफ़ोड़ की। हालात काबू करने में फ्लॉप पंचकूला पुलिस की बदौलत सेक्टर-16 में एक निजी बैंक और होटल पल्लवी में भी तोडफ़ोड़ की। हालातों का जायजा लेने के लिए हमारी टीम ने रात लगभग पौने 12 बजे शहर का दौरा किया, तो पाया कि जगह-जगह पेड़ों से डंडे तोड़ रखे थे, पेड़ पूरी तरह उजाड़ दिए थे। पत्थर जगह-जगह बिखरे पड़े थे।
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सड़कों पर भयानक खामोशी छोड़ गया यह मंजर
सुनसान सड़कों पर हालात देखकर ऐसा लग रहा था कि कोई भयंकर तूफान आने के बाद सड़कों पर पत्थर बरसे हैं। गाडिय़ों में चिंगारियां सुलग उठी हों। पार्कों के इस शहर में डेरा समर्थकों की गंदगी फैली हुई थी। डेरा प्रेमी पिछले 5 दिनों से यहीं पर शौचादि करते रहे और अब उपद्रव करके गायब हो गए। डेरा प्रमुख के 133 मानव भलाई के कामों जिनका डेरा समर्थक पिछले 5 दिनों से गुणगान कर रहे थे, उसमें उपद्रव करना भी शामिल हो गया।
उपद्रव देख सहम गई थी आबादी
टीम को रात 12 बजे एक व्यक्ति सुखप्रीत सिंह मिला, तो उसने बताया कि तीन बजे टीवी पर जब उपद्रव का समाचार आने लगा तो वह सहम गए। लगभग चार घंटे तक लगातार टीवी रिपोर्ट देखकर हमारी सांसें थमी रहीं। हम डरे रहे कि कहीं उपद्रवी हमारे घर के अंदर न आ जाएं। अब जब टीवी पर पता चला कि सब कुछ सामान्य है तो मैं हिम्मत करके शहर की हालात देखने के लिए आया, तो दिल बहुत दुखी हुआ है। 200 करोड़ रुपये की भरपाई तो शायद सरकार कर दे, लेकिन पंचकूला के लोगों के मन में बैठे डर को कौन दूर करेगा।
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डेरा प्रेमियों द्वारा की सड़क पर की गई हिंसा का मंजर।
डेरा समर्थक थैलों में भरकर लाए थे पत्थर
पुलिस द्वारा लगातार दावा किया जा रहा था कि डेरा समर्थकों को पूरी चेकिंग के बाद ही पंचकूला में प्रवेश करने दिया है लेकिन पुलिस का यह दावा भी हवा ही रहा। डेरा समर्थक पूरी प्लानिंग के साथ पंचकूला में दाखिल हुए थे। वह जहां से भी चले थे, वहीं से उनके बैगों, थैलों में पत्थर भरे हुए थे। उन्होंने सबसे नीचे पत्थर और ऊपर कपड़े रखे थे। सीआइडी के कर्मचारी भी कई दिनों तक डेरा के समर्थकों के बीच में रहे लेकिन उन्हें भी नहीं पता चल पाया कि थैलों में पत्थर भरे हुए हैं। शुक्रवार को पूरे समर्थकों ने थैलों में से पत्थर निकालकर पुलिस, सीआरपीएफ और सेना पर बरसाए, जिसमें पुलिस के लगभग 60 जवान घायल हुए हैं।
मर चुकी थी दंगाइयों की इंसानियत
डेरा समर्थक जोकि खुद को शांतिदूत कहते थे, उनकी इंसानियत इतनी मर चुकी थी कि जब उन्हें घायलावस्था में अस्पताल लाया गया, तब भी कुछेक ने हाथ में पत्थर ले रखे थे और वह अस्पताल के डॉक्टर और स्टाफ पर मारने शुरू कर दिए। जिसके बाद अस्पताल स्टाफ ने उनको बाहर निकाल दिया। इस बारे में पुलिस कमिश्नर एएस चावला ने कहा कि जिनकी भी लापरवाही है, उन पर अवश्य कार्रवाई की जाएगी।
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