मां कैसे हो गई इतना कठोर, पति से हुआ झगड़ा तो मासूम बेटियों के साथ किया ऐसा...
एक महिला ने पति से झगड़ा हुअा तो उसने अपनी नौ माह अौर तीन साल की मासूम बेटियों के साथ ऐसा किया कि मां की ममता पर भी सवला उठ गए। भरी पंचायत में उसने बच्चियों का परित्याग कर दिया।
जेएनएन, कलायत (कैथल)। कहा जाता है सारी दुनिया मुंह मोड़ ले लेकिन मां की ममता की छांव सदा बनी रहती है, लेकिन यहां एक महिला ने पति से विवाद होने पर अपनी दो मासूम बच्चियों का भरी पंचायत मेंं परित्याग कर दिया। नौ माह और तीन साल की ये बच्चियां बिलखती रहीं, लेकिन मां का दिल नहीं पसीजा। पति-पत्नी के विवाद को समाप्त करने के लिए पंचायत मासूमों को देख की भी इस पत्थर दिल मां का दिल नहीं पसीजा।
पति-पत्नी का विवाद खत्म कराने के लिए पंचायत हुई। पंचायत में ही महिला ने अपनी दोनों मासूम बेटियों का त्याग कर दिया और उन्हें वहां नीचे जमीन पर छोड़ दिया। महिला को काफी समझाया गया कि वह बच्चियों को अपना ले, लेकिन उसने इससे साफ इन्कार कर दिया।
दादी के साथ बच्चियां।
मासूम को त्यागने की घटना उसने चोरी छिपे नहीं उठाया बल्कि कैथल महिला सेल में अधिकारियों व भरी पंचायत के बीच हुआ। बच्चियों के पिता मुकेश कुमार का कहना है कि परिवार व उनके साथ गई पंचायत के लाेग लगातार उसकी पत्नी से ससुराल आने के लिए कहते रहे, लेकिन उसने पूरी तरह ठुकरा दिया।
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मुकेश ने बताया कि उसकी पत्नी ने खुद घर आने से इंकार कर दिया साथ उनकी नौ माह की बेटी तानिया व तीन साल की बेटी ऋतिका को ठुकराते हुए जमीन पर पटक दिया। इसके बावजूद दूसरे पक्ष की ओर से आए पंचायत प्रतिनिधि मूक दर्शक बने सब कुछ देखते रहे और वहां से चलते बने। बिलख रही बच्चियों की हालत पर उनकी मां का पत्थर दिल नहीं पिघला।
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मुकेश का कहना है कि वह इपनी नन्ही परियों को इस हालात में नहीं छोड़ सकता था और वह व उसके परिजन उन्हें घर ले आए। दोनों मासूमों का मां के लिए में रो-रोकर बुरा हाल है। इन परिस्थितियों में मनोज की 65 वर्षीय नानी भागली बच्चियों को संभालने में लगी है। इनका कहना है कि बेहद गरीबी में पांच बेटियों की उन्होंने बेटों की तरह परवरिश की और घर बसाया। बेटियां सबसे बड़ा धन हैं।
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उनका कहना है कि भले ही बहू ने नन्ही बेटियों को त्याग दिया हो, लेकिन वे मासूमों की दादी रामरती व बुआ कुसुम के साथ हर हालात से गुजरते हुए इनका पालन पोषण करेंगी। पंचायत की जिम्मेवारी एक-दूसरे का घर बसाना है। जिस तरह से भरी पंचायत के बीच बहू ने बच्चियों को तपती जमीन पर फेंका वह ममता को तार-तार करने वाली घटना है।
अधिकारों का दुरुयोग मानवता के लिए संकट
मासूम बच्चियों की बुआ कुसुम का कहना है कि काूनन में महिलाओं को सम्मान से जीने के अधिकार प्राप्त हैं। लेकिन, अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए मानवीय संवेदनाओं से खिलवाड़ करना गलत है। जिम्मेवारी से भागने से किसी मसले का हल नहीं होता बल्कि मिल बैठकर मेलजोल की राह निकलती है।
मां की दूरी बच्चियों को पड़ रही भारी:
परिजनों का कहना है कि 9 फरवरी 2010 को मुकेश कुमार व मुक्ति का विवाह हुआ था। कुछ समय पहले घरेलू विवाद के कारण पति-पत्नी अलग रह रहे थे। मां ने दोनों मासूमों से जिस तरह दूरी बनाई है उसके बाद अब बच्चों के लालन-पालन की जिम्मेवारी मुकेश कुमार व उसके परिवार के लोगों पर आ गई है।