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    नीतू चंद्रा की 'वन्‍स अपॉन ए टाइम इन बिहार' इस वजह से सेंसर बोर्ड में फंसी

    By Pratibha Kumari Edited By:
    Updated: Mon, 19 Oct 2015 10:57 AM (IST)

    एक्‍ट्रेस से प्रोड्यूसर बनीं नीतू चंद्रा की अपकमिंग फिल्‍म 'वन्‍स अपॉन ए टाइम इन बिहार' को सेंसर बोर्ड की तरफ से मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। सोशल-पॉलिटिकल ड्रामा पर बेस्‍ड इस फिल्‍म को उनके भाई नितिन चंद्रा ने लिखा है और उन्‍होंने ही इसे डायरेक्‍ट भी किया है।

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    मुंबई। एक्ट्रेस से प्रोड्यूसर बनीं नीतू चंद्रा की अपकमिंग फिल्म 'वन्स अपॉन ए टाइम इन बिहार' को सेंसर बोर्ड की तरफ से मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। सोशल-पॉलिटिकल ड्रामा पर बेस्ड इस फिल्म को उनके भाई नितिन चंद्रा ने लिखा है और उन्होंने ही इसे डायरेक्ट भी किया है। इसकी कहानी 2008 में मुंबई में यूपी-बिहार के प्रवासियों पर हुए हमलों के इर्द-गिर्द घूमती है।

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    सेंसर बोर्ड चाहता है कि इसमें से महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे और पूर्व बिहार मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के जिक्र को हटा दिया जाए। मेकर्स को आपत्तिजनक शब्दों और डायलॉग्स को भी हटाने को कहा गया है, जो नेताओं की छवि को गलत तरीके से पेश करते हैं। पिछले हफ्ते नितिन चंद्रा ने सेंसर बोर्ड प्रमुख पहलाज निहलानी से मुलाकात की थी। मगर उनसे कहा गया कि वो या तो फिल्म को रिवाइजिंग कमेटी को भेजें या फिर सर्टिफिकेट पाने के लिए उनकी सलाह मान लें।

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    इस बारे में नीतू ने कहा कि वो हैरान हैं कि सेंसर बोर्ड ने 'कमीने' जैसी फिल्म पर कोई आपत्ति नहीं जताई। जबकि इसका टाइटल ही अपशब्द है। मगर हम अपनी फिल्म में 'साला' शब्द का इस्तेमाल नहीं कर सकते। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि अगर हम राज ठाकरे और राबड़ी देवी के नाम का इस्तेमाल नहीं करेंगे तो फिर कैसे राजनीतिक परिदृश्य को दिखला पाएंगे। यह फिल्म सच्ची घटनाओं पर बेस्ड है। वहीं नितिन ने बताया कि सेंसर बोर्ड को जो दो सीन से परेशानी है, उनमें एक में न्यूजरीडर हमलों के बाद राज ठाकरे को कोट कर रहा है। वहीं दूसरे सीन में राबड़ी देवी के साक्षरता स्तर पर कटाक्ष किया गया है।