पूजा के साथ कोई और फिल्म ऑफर हुई तो जरूर करूंगा: रितिक रोशन
पूजा हेगड़े मोहेंजो-दारो से बॉलीवुड में डेब्यू कर रही हैं। रितिक रोशन अपनी इस को-एक्टर से बेहद प्रभावित हैं।
मुंबई। रितिक रोशन 'मोहनजोदारो' को लेकर काफी उत्साहित हैं। वे मानते हैं कि इस फिल्म की वजह से उन्होंने एक अलग दुनिया देखी है। उन्होंने अपनी दिलचस्प बातें अनुप्रिया वर्मा से शेयर कीं।
'मोहनजोदारो' एक पीरियड फिल्म है, तो बतौर एक्टर आपको काफी मेहनत करनी पड़ी होगी ?
आशुतोष जिस तरह के निर्देशक हैं। उन्होंने पहले ही काफी काम कर लिया होता है। वह खुद बहुत रिसर्च के बाद ही किसी विषय के साथ आगे बढ़ते हैं। सच कहूं तो मैंने कोई किताब नहीं पढ़ी है. न ही मेरे पास ऐसा कोई रेफरेंस पॉइंट है। मैंने सिर्फ वही सुना है जो मुझे आशु सर ने कही है। यह फिल्म करने में मजा इसलिए आया कि यह किरदार आपको एक अलग दुनिया में लेकर जाता है। आप उस दुनिया के किरदार के लिए खुद को तैयार करते हैं, जिसके बारे में आप जानते नहीं है. सरमन की दुनिया भी ऐसी होती है। वह कभी बाहरी दुनिया से वाकिफ नहीं होता है। वह अपने काका की दिखायी दुनिया ही जी रहा होता है। बाद में वह तय करता है कि वह जायेगा बाहरी दुनिया को देखने के लिए. एक सिंपल से आदमी की इंटरेस्टिंग जर्नी है इस किरदार की।
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आशुतोष इस लिहाज से अलग तरह के निर्देशक हैं। वे बारीकियों को काफी तवज्जो देते हैं ?
जी हां बिलकुल, आप विश्वास नहीं करेंगी। उन्होंने इस फिल्म में 'मोहनजोदड़ो' को अपनी नजर से पूरा क्रियेट कर दिया है। हमें किसी रेफरेंस पॉइंट की जरूरत ही नहीं होती थी। उन्होंने पूरी सिटी को क्रियेट किया है। हर गली को, पूरा स्ट्रक्चर, हर सामान को उन्होंने खुद गढ़ा है। मैं आशुतोष के साथ बार -बार काम करना चाहूंगा। इस तरह की फिल्में करने में सिर्फ यह आती है कि ये फिल्में बहुत वक़्त लेती हैं। अगर ऐसी फिल्में 80 दिनों में बन कर तैयार हो जायें तो क्या बात है। लेकिन प्रैक्टिकली यह संभव नहीं है. क्योंकि ऐसी फिल्में वक़्त लेती ही है। आशु जैसे निर्देशक के साथ काम करके आपको फेथ मिलता है। आप अपने दायरे से बढ़ कर काम कर पाते हैं।
पूजा हेगड़े के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा ?
मैं तो उनकी एनर्जी देख कर दंग रह गया था। लगा ही नहीं कि यह उनकी पहली फिल्म है। आज की जेनेरेशन पूरी तैयारी से आती हैं। हमलोग अधिक नर्वस रहते थे पहली फिल्म के वक़्त। पूजा तो भारी-भरकम कॉस्ट्यूम पहना करती थीं और उसे उसमें 12-12 घंटे तक बिठा कर रखते थे। लेकिन उसके चेहरे पर शिकन तक नहीं आती थी। वह काफी कॉन्फिडेंट हैं और मुझे फिर से उनके साथ कोई फिल्म ऑफर हुई तो मैं जरूर करूंगा।
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आप फिल्मों को लेकर काफी सेलेक्टिव हैं। इसकी कोई खास वजह ?
हां, मुझे फिल्मों की लिस्ट लंबी नहीं करनी है। मुझे वैसी फिल्में करनी है, जिसमें मेरे किरदार की जर्नी हो. फिर चाहे वह जर्नी इमोशनल हो, ड्रामेटिक हो. मैं उस जर्नी को एन्जॉय करता हूं। जैसे इस फिल्म में मैंने एक्शन किया है। वैसा एक्शन पहले कभी नहीं किया था. इस फिल्म में मैंने एरिना फाइट किया है और वह काफी मजेदार सीक्वेन्स है।
क्या चीजें आपको अपना बेस्ट देने के लिए इंस्पायर करती हैं ?
एक ही तो जिंदगी मिली है। तो मैं अपना बेस्ट क्यों न दूं। मुझे कई लोग कहते हैं कि मैं तो फ़िल्मी बैकग्राउंड से हूं। मुझे मेहनत की क्या जरुरत है। मैं तो यूं ही चलता रहूंगा। लेकिन मेरी पहली फिल्म के बाद ही लगातार मेरी फिल्में फ्लॉप होने लगी थी। तो शुरुआती दौर में मैं यह समझ चुका था कि मुझे मेहनत से ही अपनी पहचान बनानी होगी। और मैं उस वक़्त से लग गया था. आज मैं कह सकता कोई फ़िल्मी-विल्मी बैकग्राउंड काम नहीं आता। आपको अकेले ही सफर तय करना होता है अपनी टैलेंट के दम पर।
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