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प्रशंसक नहीं चाहते कि उनका हीरो जेल जाए!

फिल्मों का पत्रकार होने की एक मुश्किल यह रहती है कि हमें फिल्मी सितारों के बारे में चल रही अफवाहों और प्रचलित छवि के बारे में सभी की जिज्ञासाओं के जवाब देने पड़ते हैं। ये जिज्ञासाएं ज्यादातर आरोप और लांछन के रूप में होती हैं। मैंने महसूस किया है कि

By Monika SharmaEdited By: Published: Thu, 07 May 2015 08:11 AM (IST)Updated: Thu, 07 May 2015 08:40 AM (IST)
प्रशंसक नहीं चाहते कि उनका हीरो जेल जाए!

फिल्मों का पत्रकार होने की एक मुश्किल यह रहती है कि हमें फिल्मी सितारों के बारे में चल रही अफवाहों और प्रचलित छवि के बारे में सभी की जिज्ञासाओं के जवाब देने पड़ते हैं। ये जिज्ञासाएं ज्यादातर आरोप और लांछन के रूप में होती हैं। मैंने महसूस किया है कि सभी इन कलाकारों के लिए तृतीय पुरूष 'वह' का इस्तेमाल करते हैं। पूछते हैं कि उसके बारे में क्यां कहेगें? मुझे दिक्करत होती है। फिल्म कलाकरों के लिए 'आप' संबोधन क्यों नहीं होता? क्यों माना जाता है कि वे बदचलन, बददिमाग और बदमाश ही होते हैं?

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पर्दे पर उन्हें देखकर हम भाव विभोर होते हैं। अपने आचार-व्यएवहार में उनकी नकल करते हैं। मिलने या दिख जाने पर उल्लेसित होते हैं। इन सभी के बावजूद कहीं न कहीं फिल्म कलाकारों के प्रति एक तिरस्कातर और हेय भाव रहता है। यह हमारे समाज की विडंबना है कि हम जिन्हें चाहते हैं, उनसे घृणा भी करते हैं। बुधवार 6 मई को को सलमान खान को सेशन कोर्ट ने पांच साल की सजा सुनाई और हाई कोर्ट ने चंद घंटों के अंदर ही उन्हेंर दो दिनों की अंतरिम जमानत दे दी। अब शुक्रवार को पता चलेगा कि सलमान खान के साथ आगे क्या होगा?

हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में शुक्रवार की रिलीज के दिन ही सितारों के भविष्य बदलते हैं। इस शुक्रवार को सलमान के भविष्य का पता चलेगा। प्रशंसक नहीं चाहते हैं कि सलमान खान को सजा हो। हिंदी फिल्मी इंडस्ट्रीे के उनके परिचित, सहयोगी और मित्र भी नहीं चाहते कि सलमान को सजा हो।

सबूतों के आधार पर कोर्ट ने फैसला सुनाया। देश की न्याय प्रणाली में जिनकी आस्था है और जो कानून के जानकार हैं कि वे अनुमान लगा सकते हैं कि ऐसे मामलों में क्या होता है? अंतिम फैसले और सजा के पहले किसी भी तरह की बात करना उचित नहीं है।

सलमान खान को मैं 20 सालो से जानता हूं। लगभग हर फिल्म की रिलीज के आसपास और अनेक इवेंट में उनसे मुलाकातें होती रही हैं। अब आरंभिक मुलाकातों की औपचारिकता भी नहीं रह गई है। वक्त-बेवक्त पर उनसे यों भी मुलाकतें हो जाती हैं। पिछले कुछ सालों में बीइंग ह्यूमन के अधीन चैरिटी करते हुए सलमान खान को मैंने बदलते भी देखा है। आज के सलमान वही सलमान नहीं हैं, जो छवि अभी तक प्रचलित है। उनकी उच्छृंखलताएं खत्म हो गई हैं। निजी जीवन में उनकी चिंताओं का दायरा बड़ा हुआ है। जिम्मेंदारियों का एहसास बढ़ा है। वे व्यक्ति और कलाकार के तौर पर समझदार हुए हैं।

सलमान खान खुद मानते हैं कि वे उम्दा कलाकार नहीं हैं, लेकिन वे यह जानते हैं कि उनकी जबरदस्त फैन फॉलोइंग है। दर्शकों से उनका सीधा कनेक्शन हैं। उनकी फिल्मों के बारे में लिखते समय हमें एहसास रहता है कि हमारे रिव्यू से उनके दर्शकों को फर्क नहीं पड़ता। अगर आप उनकी पिछली 10-12 फिल्मों पर गौर करें तो उनमें कई कॉमन पैटर्न दिखेंगे। वे उनसे अलग नहीं होना चाहते। उनके प्रशंसक उन्हें बार-बार उसी अवतार में देख कर प्रफुल्लित होते हैं।

सलमान खान ने कभी स्पष्ट तौर पर नहीं कहा कि उन्हें अपनी गलतियों और भूलों का एहसास है। फिर भी उनके बात-व्यरवहार से जाहिर होता है कि वें निरंतर प्रायश्चित के मूड में चले गए हैं। उनके मानस को पढ़ पाना इतना भी जटिल नहीं है। वे जरूरतमंदों की मदद करते ही हैं। यह उनका ओढ़ा हुआ काम नहीं है। हां, इस बीच अपने परमार्थ के कार्यों को उन्होंने व्यवस्ति करने के साथ संस्थागत रूप दे दिया है। वे स्वयं इन कार्यों में रुचि लेते हैं।

एक बार उन्होंने एक सवाल के जवाब में बताया था कि मुझे सही-सही नहीं मालूम कि मैं कितना कमाता हूं और मेरे पैसे कहां खर्च होते हैं। उन्हें आने पिता पर भरोसा है। पिता सलीम खान की निगरानी में सारा हिसाब-किताब होता है। सलमान खान के पारिवारिक मित्रों के पास उनके अनेक किस्से हैं। उन किस्सों से सलमान खान की जो छवि बनती है, वह दोस्त, मददगार, वफादार, फैमिली पर्सन और पॉपुलर कलाकार की है।

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कोर्ट के फैसलों के बीच सलमान खान निश्चित ही अंतर्द्वंद्व से गुजर रहे होंगे। अनिश्चितता तो समान्य व्यक्तियों की जिंदगी तबाह कर देती है। हमरी आह और वाह के बीच सलमान खान के सीने में चल रहे झंझावात उन्हें चैन और सुकून से सोने भी नहीं देते होंगे। अजीब सी बात है कि इस मामले में फंसी जिंदगियों से बड़ी चिंता यह देखी और बतायी जा रही है कि सलमान खान के जेल जाने से फिल्म इंडस्ट्री को कितने करोड़ों का नुकसान होगा। सच कहूं तो यह चिंता प्यर्थ है। उनभेक्ता संस्कृति के इस दौर में हमारी संवेदनाएं और जिज्ञासाएं भी धन से जोड़ दी गई हैं। देखना यह चाहिए कि पूरे प्रकरण से गुजर रहे सलमान खान किस मनोदशा और स्थिति में हैं। इस मामले से जुड़े अन्य व्यक्तियों की जिंदगी कैसे प्रभावित हो रही है?

महेश भट्ट कहते हैं कि 50 के होने जा रहे सलमान खान के अंदर का बच्चाै बड़ा ही नहीं होना चाहता। आज भले ही उसे मां की उंगलियां थाम कर चलने की जरूरत नहीं रह गई है, लेकिन भीतरी तौर पर वह मां-बाप के साए में ही सुरक्षित महसूस करता है। पर्दे पर नायक के तौर पर हर विपरीत स्थितियों का परास्त कर विजयी होने वाला सलमान खान निजी जिंदगी में भावनात्मक रुप से बहादुर नहीं है। अब वे बांद्रा का बैड बॉय नहीं रह गए हैं।

बीइंग ह्यूमन की गतिविविधयों ने उनकी इंसानियत बढ़ा दी है। वे ज्सादा संवेदनशील, भावुक और दयालु हो गए हैं। मुमकिन है कि वे अघोषित प्रायश्चित कर रहे हों। भारतीय संस्कृति में प्रायश्चय का प्रावधान है।

अजय ब्रह्मात्मज

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