उत्तराखंड चुनाव 2017: पीके की टीम दमदार भूमिका में
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2017 में सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस के लिए विधानसभा चुनाव में पुख्ता जमीन तैयार करने में इस बार पेशेवरों यानी पीके की टीम की दमदार भूमिका रही।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: सूबे की सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस के लिए विधानसभा चुनाव में पुख्ता जमीन तैयार करने में इस बार पेशेवरों यानी पीके की टीम की दमदार भूमिका रही। चुनावी जंग में मैदान मारने के लिए पेशेवरों ने पूरा जोर लगाया, चुनावी प्रबंधन को लोहा भी मनवाया।
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2017 में कांग्रेस पार्टी के चेहरे हरदा की विधानसभावार रणनीति बनाने से लेकर उत्तराखंड में पार्टी के स्टार प्रचारक राहुल गांधी की एंट्री का पूरा ब्लू प्रिंट तैयार करने वाले इस पेशेवराना अंदाज के आगे कांग्रेस का आम कार्यकर्ता जरूर फीका पड़ गया।
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हालत ये रही कि कांग्रेस प्रत्याशियों के समर्थन में होने वाली स्टार प्रचारकों की सभाओं से लेकर विभिन्न कार्यक्रमों को तय करने में भी इस बार कार्यकर्ताओं के मशविरे पर पीके के फीडबैक को तरजीह मिली।
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कांग्रेस की मौजूदा चुनावी रणनीति ने पार्टी की सोच और कार्यप्रणाली में आ रहे बदलाव की झलक भी दिखा दी है। पार्टी ने इस बार विधानसभा चुनाव में प्रचार मुहिम के लिए प्रदेश संगठन के जंगजुओं से अधिक भरोसा पेशेवरों पर किया है।
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इसकी वजह पिछले कुछ अरसे से सरकार और संगठन में खींचतान को तो माना ही जा रहा है, भाजपा खासतौर पर मोदी मैजिक से निपटने के लिए भी पेशेवरों की सेवाएं ली गईं। केंद्र की सत्ता पर काबिज भाजपा के बड़े नेटवर्क के आगे सूबे में पार्टी के अपने नेटवर्क को चुनाव प्रचार की रणनीति तय करने के लिहाज से महत्वपूर्ण नहीं माना गया।
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प्रशांत किशोर यानी पीके की टीम ने सोशल मीडिया पर तो पार्टी की चुनाव प्रचार को दिशा दी, साथ में विधानसभावार प्रत्याशियों के क्षेत्रों में विपक्ष से मिलने वाली चुनौती को देखते हुए जवाबी रणनीति तय करने में अहम भूमिका निभाई।
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विधानसभावार मुख्यमंत्री हरीश रावत के चुनावी कार्यक्रम से लेकर उनके ट्विट भी पीके की टीम ने तय कर अपनी पार्टी के मंच पर अपनी मौजूदगी के संकेत दिए।
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हालांकि, पीके टीम की मौजूदगी के चलते तस्वीर का दूसरा पहलू भी सामने आया। कांग्रेस चूंकि उत्तरप्रदेश में पहले से ही पीके टीम की मदद ले रही थी, इसे देखते हुए पंजाब में इस टीम को मदद के लिए उतारा गया। उत्तरप्रदेश और पंजाब के हालात उत्तराखंड से अलहदा हैं।
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उत्तरप्रदेश में लंबे अरसे से कांग्रेस हाशिए पर चल रही है, जबकि पंजाब में वह दस वर्ष से सत्ता से बाहर है और पार्टी के संगठन को मजबूत बनाने की जरूरत महसूस की जा रही थी। दोनों राज्यों की तुलना में उत्तराखंड में कांग्रेस का प्रदेश संगठन मजबूत और सक्रिय है।
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बीती मार्च माह में कांग्रेस सरकार पर संकट मंडराने के दौरान संगठन की प्रदेशभर में पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने में अहम भूमिका मानी जाती है। उत्तराखंड में आम कांग्रेसजन की ये पीड़ा भी है कि संगठन मजबूत स्थिति में होने के बावजूद स्टार प्रचारकों के कार्यक्रम तय करने से लेकर विधानसभा क्षेत्रों में प्रचार रणनीति तय करने में पीके टीम निर्णायक रही।
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पेशेवरों पर बढ़ती निर्भरता कार्यकर्ताओं को आगे जोड़े रखने और आपसी भरोसे को भविष्य में असर डालती दिखे तो आश्चर्य नहीं किया जाना चाहिए।
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