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    उत्तराखंड चुनाव 2017: वफा से ज्यादा ताकत पर खेला दांव

    By BhanuEdited By:
    Updated: Tue, 24 Jan 2017 06:00 AM (IST)

    उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2017 के लिए कांग्रेस की सूची बहुत ही सोच समझकर तैयार की। इसमें वफादारों को टिकट देने की बजाय जिताऊ, गंभीर और मजबूत प्रत्याशियों को तवज्जो दी गई है।

    उत्तराखंड चुनाव 2017: वफा से ज्यादा ताकत पर खेला दांव

    देहरादून, [विकास गुसाईं]: कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों पहली सूची बहुत ही सोच समझकर तैयार की। इसमें वफादारों को टिकट देने की बजाय जिताऊ, गंभीर और मजबूत प्रत्याशियों को तवज्जो दी गई है। इतना ही नहीं, भाजपा से कांग्रेस में आने वाले और मजबूत माने जाने वाले नेताओं को भी इस सूची में स्थान दिया गया है।

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    उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2017 के लिए कांग्रेस की सूची जारी होने से पहले तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे थे। टिकट के दावेदारों में ऐसे नामों को सबसे आग रखा जा रहा था, जो मुख्यमंत्री के काफी नजदीकी माने जाते थे।

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    कांग्रेस की सूची जारी होते ही सारे कयास धरे रह गए। पहली सूची में शामिल 63 नाम ऐसे हैं जिनमें से अधिकांश मुख्यमंत्री के बहुत नजदीकी तो नहीं माने जा सकते, लेकिन इनका अपना अच्छा खासा जनाधार है। कांग्रेस ने इस सूची में परिवारवाद से दूरी बनाने का प्रयास किया है।

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    इतना ही नहीं, पार्टी के पुराने और मजबूत चेहरों पर भी कांग्रेस ने फिर से दांव खेला है। देहरादून जिले में ही राजपुर और डोईवाला सीटों पर मौजूदा विधायक के साथ ही दून कैंट व मसूरी सीट पर मजबूत प्रत्याशियों को टिकट दिया गया है।

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    इन दोनों सीटों पर मुख्यमंत्री के कई चहेते भी टिकट की दौड़ में थे। ऐसा ही कुछ रुद्रप्रयाग में हुआ, तमाम अनुमानों के उलट ऐसे प्रत्याशी को टिकट दिया गया, जिससे एक मौजूदा भाजपा नेता का करीबी माना जाता है।

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    हरिद्वार में भी कांग्रेस ने पुराने भरोसेमंद और जिताऊ माने जा रहे प्रत्याशियों को आगे किया है। मुख्यमंत्री ने स्वयं हरिद्वार ग्रामीण से ताल ठोक कर आसपास की सीटों पर भी प्रभाव डालने की कोशिश की है। उत्तरकाशी और चमोली सीट पर भी अपेक्षाकृत मजबूत प्रत्याशी मैदान में लाए गए हैं।

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    टिहरी जिले में फिलहाल दो सीटों को रोका गया है। पौड़ी की छह विधानसभा सीटों पर भी जो प्रत्याशी लाए गए हैं, उनकी क्षेत्र में अपनी पहचान है। जाहिर है कि यहां भी कांग्रेस ने भाजपा की राह में मुश्किलें खड़ी करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

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    पिथौरागढ़ में मौजूदा व पूर्व विधायकों के साथ ही नए चेहरे को तवज्जो दी गई है। बागेश्वर जिले में कपकोट सीट पर मौजूदा विधायक को टिकट दिया गया है तो एक सीट अभी रोकी गई है।

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    अल्मोड़ा जिले में मौजूदा विधायकों के साथ कुछ नए चेहरे मैदान में लाए गए हैं। चंपावत में मौजूदा विधायक के साथ ही कांग्रेस ने लोहाघाट में नए स्थानीय चेहरे पर दांव लगाया है। नैनीताल में सभी सिटिंग विधायकों को टिकट दिया है तो रामनगर व कालाढूंगी में चेहरे बदले गए हैं। इनकी क्षेत्र में अच्छी पकड़ मानी जाती है।

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    उधमसिंह नगर की नौ सीटों पर सिटिंग विधायकों के साथ ही पुराने दिग्गजों पर दांव खेला गया है। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने किच्छा सीट से खुद उतरकर शेष सीटों को प्रभावित करने का प्रयास किया है। जाहिर है कि कांग्रेस की सूची में पहली प्राथमिकता जिताऊ व मजबूत प्रत्याशी रहे। इसमें भाजपा से बागी होकर आने वाले कद्दावर नेता तक शामिल हैं।

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