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    उत्‍तराखंड इलेक्शन: भाजपा ने जिताऊ प्रत्याशियों पर खेला दांव

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Mon, 23 Jan 2017 07:15 AM (IST)

    चुनाव के लिए दूसरी सूची में भाजपा की कोशिश जिताऊ प्रत्याशियों को मैदान में उतारने पर केंद्रित दिखी। भाजपा ने 70 सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर मनोवैज्ञानिक बढ़त ली है।

    उत्‍तराखंड इलेक्शन: भाजपा ने जिताऊ प्रत्याशियों पर खेला दांव

    देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: भारतीय जनता पार्टी ने आखिरकार कांग्रेस की को दरकिनार कर शेष बची छह सीटों पर भी प्रत्याशी घोषित कर एक बार फिर मनोवैज्ञानिक बढ़त ली। भाजपा ने इसके साथ ही राज्य की सभी 70 सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। दूसरी सूची में भाजपा की कोशिश जिताऊ प्रत्याशियों को मैदान में उतारने पर केंद्रित दिखी। वहीं, बुजुर्ग कांग्रेसी नेता एनडी तिवारी के बेटे रोहित शेखर तिवारी पर भाजपा ने भरोसा नहीं जताते हुए उन्हें हल्द्वानी से टिकट नहीं दिया, जिसकी संभावना जताई जा रही थी। ऐसे में उनके सामने पार्टी से नहीं जुड़ने या न जुड़ने का विकल्प खुला है।

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    शनिवार देर रात भाजपा ने राज्य की 70 सीटों में से शेष बची देहरादून की तीन और कुमाऊं की तीन सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी। अगर भाजपा की इस दूसरी सूची पर गौर करें तो भाजपा ने जिताऊ प्रत्याशी उतारने की कोशिश की है। बात देहरादून की सीटों से करते हैं। देहरादून की धर्मपुर सीट पर पर्वतीय, मुस्लिम और अन्य मतदाताओं का वर्चस्व है।

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    इस नाते महापौर विनोद चमोली को उमेश अग्रवाल पर तरजीह दी गई। वहीं, विकासनगर और चकराता सीटों पर जनजातीय मतदाताओं पर चौहान दंपत्ति की मजबूत पकड़ के चलते उन्हें मौका दिया गया। मुन्ना सिंह चौहान की इच्छा और पकड़ विकासनगर में मजबूत है, इसलिए यहीं से चुनाव लड़ने की थी। इस का पार्टी ने एक तरह से सम्मान किया।

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    वहीं, चकराता सीट पर जनजातीय मतदाता निर्णायक हैं। उधर, कुमाऊं की सीटों की बात करें तो हल्द्वानी में भाजपा ने महापौर जागेंद्र रौतेला पर भरोसा जताया है। उनके जनाधार और काम करने के तरीके को पार्टी ने आधार माना। भीमताल में पार्टी ने वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री गोविंद सिंह बिष्ट पर भरोसा जताया है।

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    रामनगर सीट पर सीएम हरीश रावत के मैदान में उतरने की संभावनाओं को देखते हुए दीवान सिंह बिष्ट को मैदान में उतारा गया है। कांग्रेस से आईं विधायक अमृता रावत यहां से दूसरी प्रबल दावेदार थीं। पार्टी ने वरिष्ठ नेता एनडी तिवारी के बेटे पर भरोसा नहीं किया, ऐसे में उनके पार्टी ज्वाइन नहीं करने की संभावना भी सामने आ सकती है। उन्होंने अभी तक अधिकारिक रूप से भाजपा की सदस्यता नहीं ली थी।

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