उत्तराखंड चुनाव 2017: आर्य के आने से भाजपा को ताकत भी चुनौती भी
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2017 के मद्देनजर कद्दावर नेता यशपाल आर्य के भाजपा में शामिल होने से भाजपा की ताकत काफी बढ़ेगी। लेकिन, चुनौती से भी इंन्कार नहीं किया जा सकता।
देहरादून, [अनिल उपाध्याय]: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा ने कांग्रेस को डैमेज करने की ओर एक और बड़ा कदम बढ़ाया। कांग्रेस के दलित चेहरे, राज्य की पहली निर्वाचित विधानसभा के अध्यक्ष और दो बार प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल चुके कद्दावर नेता यशपाल आर्य के भाजपा में शामिल होने से भाजपा की ताकत काफी बढ़ेगी।
खासतौर पर कुमाऊं के दलित वोट बैंक पर अब भाजपा की पकड़ कहीं मजबूत होगी। हालांकि, इसके साथ ही भाजपा के लिए तमाम बड़े नेताओं को एडजस्ट करने की चुनौती भी होगी। कांग्रेस मुक्त भारत करी कड़ी में कांग्रेस मुक्त उत्तराखंड की बात को भाजपा पूरी तरह साबित करने में लगी है। सतपाल महाराज, विजय बहुगुणा, हरक सिंह रावत और अब विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा ने यशपाल आर्य के रूप में कांग्रेस को पूरी तरह डैमेज करने की रणनीति जमीन पर उतार दी।
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इसमें कोई संदेह नहीं कि यशपाल आर्य और उनके पुत्र संजीव आर्य के आने से भाजपा को दलित वोट बैंक का लाभ मिलेगा। भाजपा की ताकत में इजाफे और कांग्रेस को कमजोर करने का मंसूबा पूरा होने के साथ भाजपा के लिए आगामी विधानसभा में तमाम बड़े चेहरों के सामंजस्य स्थापित करने की चुनौती भी बढ़ गई है। पार्टी ने मौजूदा चुनाव के लिए सीएम का चेहरा तय नहीं किया है। ऐसे में भाजपा के कद्दावर नेताओं और कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए बड़े चेहरों को संतुष्ट करने की चुनौती भाजपा के लिए परेशानी बन सकती है।
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प्रत्याशी घोषित करने से लेकर चुनाव जीतने (अगर जीतते हैं तो) के बाद पोर्टफोलियो बांटने तक में भाजपा के सामने तमाम बड़े नेता परेशानी बन सकते हैं। राज्य की 70 विधानसभा सीटों में से 13 सीटों पर भाजपा से शामिल हुए नेताओं को उतारने से बगावत की आशंका से भी इन्कार नहीं किया जा सकता। कई सीटों पर पहले ही बगावत के सुर सुनाई देने लगे हैं।
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डॉ. हरक सिंह रावत को कोटद्वार से टिकट दिए जाने की चर्चा पर ही विरोध शुरू हो गया। इसी तरह खानपुर सीट से कुंवर प्रणव सिंह को टिकट दिए जाने पर भी लोगों ने विरोध शुरू कर दिया। ऐसे में भाजपा कैसे संगठन और पुराने चेहरों को समझा पाएगी, बड़ा सवाल है।
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उधर, अगर भाजपा बहुमत के साथ जीतने में सफल होती है तो सतपाल महाराज, विजय बहुगुणा, हरक सिंह रावत, यशपाल आर्य को अपने मौजूदा पांच सांसदों और सीएम पद के अन्य दावेदारों के साथ कैसे फिट करेगी, ये सवाल भी अभी से चर्चाओं में आ गया है। भाजपा सीएम पद के लिए किस चेहरे पर दांव खेलेगी और बाकी चेहरों को कैसे समझा पाएगी, ये चुनौती भाजपा के सामने होगी।
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सीएम पद को लेकर भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती होंगे सतपाल महाराज, यशपाल आर्य, विजय बहुगुणा, बीसी खंडूड़ी, भगत सिंह कोश्यारी, डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, अजय भट्ट, अनिल बलूनी, तरुण विजय आदि। इनमें से किसके सिर भाजपा ताज रखेगी और उस स्थिति में बाकी को कैसे साधेगी। उप मुख्यमंत्री जैसे दांव भी खेले गए तो भी इन तमाम चेहरों में से दो को ही भाजपा सेट करने में सफल हो पाएगी। ऐसे में बाकी चेहरे आफत बन सकते हैं।
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