Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    नाहक नहीं नीतीश समर्थकों का सपना

    By Kajal KumariEdited By:
    Updated: Sat, 18 Mar 2017 10:15 PM (IST)

    यूपी चुनाव के नतीजों के बाद राजग विरोधी पाले में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश को लेकर चर्चा हो रही है। सबका एकमत है कि भाजपा को टक्कर देने के लिए बिहार फार्मूला बेहतर रहेगा।

    नाहक नहीं नीतीश समर्थकों का सपना

    पटना [सद्गुरु शरण]। यूपी चुनाव नतीजों के तुरंत बाद नीतीश कुमार को राजग विरोधी पाले का मुखिया बनाए जाने की मांग नाहक नहीं। इसके पीछे बिहार विधानसभा चुनाव से लेकर यूपी विधानसभा चुनाव तक के राजनीतिक घटनाक्रम की पृष्ठभूमि है जिसमें सियासी दूरदृष्टि, निजी छवि और पारदर्शी सत्ता संचालन की कसौटी पर कोई अन्य गैर-राजग नेता नीतीश कुमार के सामने नहीं टिकता।
    जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला मोदी विरोधी लॉबी को नसीहत दे चुके हैं कि अब मिशन-2024 की तैयारी करो, 2019 में कुछ हासिल नहीं होगा। भाजपा के सामने दूसरे मुख्य राष्ट्रीय दल कांग्रेस ने भी मान लिया है कि 2019 लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी का मुकाबला अकेले कांग्रेस नहीं कर सकती।
    इस स्वीकारोक्ति के बाद नीतीश कुमार के 'बिहार फॉर्मूला' की प्रासंगिकता बढ़ गई है जिसके तहत उन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव में अलग-अलग प्रकृति के दलों (जदयू, राजद और कांग्रेस) का महागठबंधन बनाकर मोदी का 'विजय रथ' रोक दिया था।
    यूपी चुनाव से पहले नीतीश कुमार ने वहां भी बिहार जैसा महागठबंधन बनाने की पहल की थी यद्यपि कुछ पार्टियों के अडिय़ल रवैये के कारण यह संभव नहीं हुआ। इसके बाद नीतीश ने खुद को यूपी चुनाव से दूर कर लिया था।
    यूपी और पंजाब चुनाव ने राहुल गांधी, मुलायम सिंह, अखिलेश यादव, मायावती और अरविंद केजरीवाल जैसे नेताओं की लोकप्रियता पर बड़ा सवालिया निशान खड़ा कर दिया। ऐसे में स्वाभाविक रूप से मिशन-2019 के लिए आम-ओ-खास लोगों की नजरें नीतीश कुमार पर आ टिकी हैं जो अपने शराबबंदी के फैसले के लिए राष्ट्रव्यापी चर्चा में हैं।
    मौजूदा सरकार के करीब सवा साल के शासनकाल में उन्होंने अपने-पराये की परवाह किए बगैर भ्रष्टाचार व आपराधिक गतिविधियों में लिप्त सफेदपोश हस्तियों पर कठोर कार्रवाई की। गुरु गोविंद सिंह प्रकाशोत्सव के शानदार आयोजन की देशव्यापी सराहना हुई।
    इसके अलावा अपने 'सात निश्चय' के तहत उन्होंने महिलाओं, छात्रों और बेरोजगार युवाओं को जो सहूलियतें मुहैया कराई हैं, उसमें उनकी सामाजिक संवेदनशीलता के साथ सियासी दूरदृष्टि भी झलकती है।
    नीतीश कुमार की जिस सोच ने उन्हें गैर-राजग नेताओं में बिल्कुल अलग स्थान दिया, वह है राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी सहित आधा दर्जन फैसलों को बेझिझक प्रशंसा। उन्होंने प्रधानमंत्री के राष्ट्रहित संबंधी हर फैसले की जमकर तारीफ की।
    यूपी चुनाव नतीजों पर उनकी यह प्रतिक्रिया उनके आत्मविश्वास का प्रमाण है कि प्रतिकूल चुनाव नतीजों की एक अहम वजह नोटबंदी का कड़ा विरोध है। उनकी इस व्यापक राष्ट्रीय सोच ने उनके विरोधियों को भी उनका मुरीद बना दिया।
    शराबबंदी के मोर्चे पर उनकी दृढ़ता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी उनका प्रशंसक बनाया तो प्रतिकूल हालात में पिछले सवा साल से बिहार में बेहतरीन सत्ता संचालन के लिए हर कोई उनके हौसले की दाद देता है। राजग विरोधी पाले के किसी अन्य नेता के खाते में ऐसी उपलब्धियां नहीं हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें