अब्दुल मन्नान ने 19 साल की उम्र में शुरू की राजनीति, 69 में छठी बार विधायक बनने को बहा रहे पसीना
Abdul Mannan कांग्रेस घराने के विश्वसनीय सिपहसालार व बंगाल की राजनीति के निपुण खिलाड़ी अब्दुल मन्नान इस बार भी हुगली जिले की चांपदानी विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में हैं। अब्दुल मन्नान का चांपदानी से बहुत गहरा नाता है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : कांग्रेस घराने के विश्वसनीय सिपहसालार व बंगाल की राजनीति के निपुण खिलाड़ी अब्दुल मन्नान इस बार भी हुगली जिले की चांपदानी विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में हैं। अब्दुल मन्नान का चांपदानी से बहुत गहरा नाता है। अपने 50 साल के राजनीतिक जीवन में वे चार बार इस विधानसभा सीट से विधायक निर्वाचित हुए हैं। उन्होंने 19 साल की उम्र में छात्र राजनीति शुरू की थी और अब 69 की उम्र में छठी बार विधायक बनने के लिए पसीना बहा रहे हैं। भाजपा ने इस बार चांपदानी से हिंदीभाषी उम्मीदवार दिलीप सिंह को खड़ा किया है जबकि सत्ताधारी दल तृणमूल कांग्रेस ने बैद्यबाटी नगरपालिका के पूर्व चेयरमैन अरिंदम गुइन को उम्मीदवार बनाया है। दोनों से अब्दुल मन्नान को कड़ी टक्कर मिल रही है।
गौरतलब है कि हुगली जिले की 18 विधानसभा सीटों में चांपदानी ही ऐसी सीट है, जहां बड़े पैमाने पर हिंदीभाषी वास करते हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में तीन बड़ी जूट मिलें हैं-नार्थ ब्रुक, डलहौसी और अंगस जूट मिल। इन मिलों में कुल मिलाकर 15 हजार श्रमिक काम करते है। यहां की कुल आबादी के लगभग 60 फीसद हिंदी व उर्दूभाषी हैं। कल-कारखानों से घिरे इस इलाके में अधिकांश लोग मजदूरी करने वाले हैं।
अब्दुल मन्नान ने कहा-'चांपदानी से मेरा गहरा नाता है। यहां का एक-एक मतदाता मुझे पहचानता है और मैं भी यहां की एक-एक गली से वाकिफ हूं। देखा जाए तो बंगाल में एकमात्र अब्दुल मन्नान ही ऐसे मुस्लिम नेता हैं, जो हिंदुओं की तरह धोती-कुर्ता पहनते हैं। 1982 में पहली बार अब्दुल मन्नान ने आरामबाग विधानसभा सीट से जीत दर्ज की थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनके समर्थन में सभा की थी। उसके बाद अब्दुल मन्नान 1991, 1996 व 2001 में चांपदानी विधानसभा सीट से निर्वाचित हुए, हालांकि उसके बाद 2006 व 2011 के विधानसभा चुनावों में उन्हें इस सीट से हार का सामना करना पड़ा।
कांग्रेस ने वाममोर्चा के साथ मिलकर 2016 का विधानसभा चुनाव लड़ा तो अब्दुल मन्नान फिर यहां से निर्वाचित हुए। फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी द्वारा गठित पार्टी इंडिया सेक्युलर फ्रंट के साथ समझौता करने को लेकर उन्होंने ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखा था। अब्दुल मन्नान का कहना है कि केंद्र में भाजपा और बंगाल में तृणमूल सरकार की जनता विरोधी नीतियों से जनता तंग आ चुकी है। 1998 में ममता बनर्जी ने कांग्रेस को तोड़कर तृणमूल कांग्रेस का गठन किया था। आज उनकी पार्टी के सांसद-विधायक भाजपा से हाथ मिला रहे हैं।