Uttarakhand Lockdown : लॉकडाउन के कारण बिगड़ी अर्थव्यवस्था, पीएफ फंड आ रहा काम
लाकडाउन के बाद भारत सरकार ने घोषणा की थी कि कोई भी व्यक्ति अपने प्रॉविडेंड फंड की 75 फीसदी रकम या फिर तीन महीने की सैलरी के बराबर की रकम निकाल सकता है।
हल्द्वानी, जेएनएन : कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए जारी लाकडाउन के बाद भारत सरकार ने घोषणा की थी कि कोई भी व्यक्ति अपने प्रॉविडेंड फंड की 75 फीसदी रकम या फिर तीन महीने की सैलरी के बराबर की रकम निकाल सकता है। लॉकडाउन की वजह से काम-धंध ठप होने के कारण सेलरी नहीं मिल रही, है ऐसे में लोग अपनी बचत पूंजी खर्च कर रहे हैं। और संकट की इस घड़ी में काम आ रहा है उनका पीएफ फंड।
लॉकडाउन के कारण आर्थिक संकट से जूझ रहे कामगारों ने भविष्य निधि (पीएफ) में जमा फंड का सहारा लिया है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के कुमाऊं कार्यालय के मुताबिक एक अप्रैल से 5098 कार्मिकों ने पीएफ फंड निकालने के लिए आवेदन किया है। कार्मिक अब तक 9.79 करोड़ रुपये फंड निकाल चुके हैं। कोरोना वायरस व लॉकडाउन के कारण कामगारों को आर्थिक मदद देने के लिए ईपीएफओ सभी दावों का 72 घंटे के भीतर निस्तारण कर रहा है। यहां बता दें कि कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना पैकेज के तहत ईपीएफओ से जुड़े कर्मचारी तीन माह तक का मूल वेतन और डीए या खाते में जमा धनराशि का 75 फीसद रकम निकालने का विकल्प दिया है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के मुताबिक कुमाऊं में सकरी भविष्य निधि (पीएफ) खाता धारकों की संख्या 1.87 लाख के करीब है।
ग्राहक का केवाईसी पूरा होना जरूरी
इस स्कीम का फायदा लेने के लिए ग्राहक का केवाईसी पूरा होना जरूरी होगा। सरकार ने ये भी व्यवस्था की है कि आधार के जरिए ऑनलाइन केवाईसी पूरा किया जा सकता है। सरकार ने लोगों के लिए राहत पैकेज का ऐलान करते हुए ये भी घोषणा की थी कि कोई भी व्यक्ति अपने प्रॉविडेंड फंड की 75 फीसदी रकम या फिर तीन महीने की सैलरी के बराबर की रकम निकाल सकता है। इसके लिए कोई भी पेनाल्टी नहीं लगेगी। सरकार ने ईपीएफओ को ये भी निर्देश दिया था कि कोरोना के चलते निकाले जा रहे पीएफ की रकम को प्राथमिकता दी जाए।
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