लछमपुर बनेगा उत्तराखंड का पहला कैशलैस गांव, जानिए खासियत
नैनीताल जिले का लछमपुर गांव कैशलैस गांव बनने जा रहा है। यहां सभी काम नोटमुक्त होंगे। गांव के हर सदस्य का अपना बैंक खाता होगा और सबके पास डेबिट और क्रेडिट कार्ड होंगे।
हल्द्वानी, [प्रदीप रावत]: देश को कैशलैस बनाने के प्रधानमंत्री मोदी के सपने को जिले का लछमपुर गांव साकार करने की ओर बढ़ चला है। प्रदेश में लछमपुर पहला गांव होगा, जहां सभी काम नोटमुक्त यानि प्लास्टिक करेंसी से होंगे। गांव के हर सदस्य का अपना बैंक खाता होगा और सबके पास डेबिट और क्रेडिट कार्ड होंगे। प्रत्येक खाता इंटरनेट बैंकिंग से जुड़ा होगा। हर स्मार्ट फोन में बैंकिंग की सभी सुविधाएं होंगी। यह पहल की है बैंक ऑफ बड़ौदा ने।
नोटबंदी से आम लोगों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में सरकार का जोर कैशलैस ट्रांजिक्सन पर है। बड़े शहरों के लोग तो नेट बैंकिंग, कार्ड स्वैपिंग, पेटीएम से भुगतान कर अपनी मुश्किलों को कम कर ले रहे हैं, फिर भी ग्रामीणों को दिक्कत हो रही है। ऐसे में लछमपुर गांव औरों के लिए नजीर बनेगा। गांव को कैशलेस बनाने की दिशा में काम शुरू कर दिया गया है।
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नौ दिसंबर को होगी शुरुआत
तीन सौ परिवारों वाला लछमपुर गांव नौ दिसंबर को कैशलेस होने दिशा में पहला कदम रखेगा। ग्रामसभा ने गांव के सभी लोगों की सूची बैंक ऑफ बड़ौदा को सौंप दी है। बैंक यह चेक कर रहा है कि सूची में शामिल किन लोगों के पास बैंक खाते नहीं हैं।
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पूरी जानकारी जुटाने के बाद नौ दिसंबर को गांव में शिविर लगाया जाएगा। इसमें गांव के उन लोगों का खाता खोला जाएगा, जिनके पहले से बैंक खाते नहीं हैं। उन लोगों को इंटरनेट बैंकिंग से जोड़ा जाएगा, जिनके खाते पहले से खुले हैं। प्रत्येक खाताधारक को एटीएम कार्ड भी जारी किए जाएंगे।
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मुफ्त दी जाएगी स्वैप मशीन
गौलापार क्षेत्र के लछमपुर गांव में छोटी दुकान से लेकर बड़े रिटेल स्टोर पहले से खुले हैं, और कुछ नए खुलने जा रहे हैं। पेट्रोल पंप से लेकर वेडिंग प्वांइट तक गांव में सभी सुविधाएं हैं। बैंक ऑफ बड़ौदा गांव की हर दुकान और दूसरे व्यापारिक प्रतिष्ठानों को मुफ्त में स्वैप मशीन तो देगा ही, उसे इंस्टाल करने का शुल्क भी नहीं लगेगा।
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बैंक ने गोद लिया है गांव
बैंक ऑफ बड़ौदा के आरएम केसी पाठक के मुताबिक बैंक ने लछमपुर गांव को गोद लिया है। गांव को सौ फीसद डिजीटल बनाने के साथ कैशलेस बनाया जाएगा। इसकी शुरुआत नौ दिसंबर को होगी। इसके बाद अन्य गांवों को भी गोद लेने का प्रयास किया जाएगा।
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