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बिजली बिल संग्रह केंद्रों में लगेंगे वाटर कूलर और एसी

प्रदेश के कुल 160 बिलिंग केंद्रों पर नागरिक सुविधाएं चाक-चौबंद करने के लिए ऊर्जा निगम साढ़े 11 करोड़ रुपये खर्चेगा। ये केंद्र सुविधाओं से लैस होंगे और इनमें वाटर कूलर व एसी लगेंगे।

By BhanuEdited By: Published: Tue, 21 Feb 2017 01:18 PM (IST)Updated: Wed, 22 Feb 2017 04:00 AM (IST)
बिजली बिल संग्रह केंद्रों में लगेंगे वाटर कूलर और एसी
बिजली बिल संग्रह केंद्रों में लगेंगे वाटर कूलर और एसी

देहरादून, [जेएनएन]: बिलिंग संग्रह केंद्रों पर समुचित व्यवस्था न करने पर 99 लाख का जुर्माना लगने के बाद ऊर्जा निगम की नींद टूट गई है। प्रदेश के कुल 160 बिलिंग केंद्रों पर नागरिक सुविधाएं चाक-चौबंद करने के लिए निगम साढ़े 11 करोड़ रुपये खर्चेगा। निवेश की स्वीकृति के लिए यूईआरसी के समक्ष प्रस्ताव भेजा गया है। इसके बाद टेंडर निकाले जाएंगे।

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उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग (यूईआरसी) बिल संग्रह केंद्रों पर उपभोक्ताओं को होने वाली परेशानी को लेकर सख्त है। तभी तो वर्ष 2005 में यूईआरसी ने ऊर्जा निगम पर ढाई हजार रुपये प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना लगाने का प्रावधान किया था, जो अभी तक जारी है। यह रकम 99 लाख से ज्यादा हो चुकी है।

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कुछ दिन पहले निगम ने याचिका दायर कर कहा था कि व्यवस्थाओं में सुधार कर लिया जाएगा, लिहाजा जुर्माना माफ कर दिया जाए। लेकिन, यूईआरसी ने याचिका खारिज कर दी थी। निगम के प्रबंध निदेशक एमके जैन ने बताया कि हर बिल संग्रह केंद्र पर शेड, स्वच्छ पेयजल, पंखे-कूलर, टॉयलेट, बैठने आदि का समुचित प्रबंध किया जाएगा।

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देहरादून में कुछ केंद्रों को मॉडल बनाया जाएगा, जहां एसी भी लगाए जाएंगे। भविष्य में बिल संग्रह केंद्रों की संख्या बढ़ाने की भी योजना है। यहां निर्माण के समय पर सभी सुविधाएं विकसित की जाएंगी।

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यूईआरसी के सचिव नीरज सती का कहना है कि पहाड़ में कई-कई किलोमीटर दूरी तय कर लोग केंद्रों तक जाते हैं। वहां उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है। आयोग इस पर बेहद गंभीर है। सूचना प्रोद्योगिकी विभाग के सभी कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) से करार करने को कहा है।

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कहां कितना आएगा खर्च

जोन----------------धनराशि

गढ़वाल----------4.49 करोड़

कुमाऊं-----------4.50 करोड़

हरिद्वार---------1.53 करोड़

रुद्रपुर------------1.13 करोड़

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54 लाख भरा है अभी तक जुर्माना

ऊर्जा निगम ने 99 लाख रुपये में से वर्ष 2011 तक का 54 लाख रुपये जुर्माना भरा है। जुर्माना माफी की याचिका पर सुनवाई करते हुए आयोग ने शेष राशि को जमा कराने के लिए किश्त तय कर दी थी।

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