उत्तराखंड के 1787 स्कूलों में नहीं हैं बिजली, राजधानी के भी बुरे हाल
ऊर्जा प्रदेश उत्तराखंड में 1787 विद्यालय बिजली विहिन हैं। प्रदेश की अस्थायी राजधानी देहरादून के भी बुरे हाल हैं। यहां के 47 प्राथमिक विद्यालयों में ब ...और पढ़ें

विकासनगर, [राकेश खत्री]: ऊर्जा प्रदेश के रूप में मशहूर उत्तराखंड में 1787 विद्यालय बिजली विहिन हैं। वहीं अस्थायी राजधानी देहरादून जिले के 47 प्राथमिक विद्यालयों में बिजली नहीं है।
आरटीआइ एसोसिएशन के अध्यक्ष व विकासनगर निवासी अरविंद शर्मा की ओर से सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में इस बात का पता चला है। आंकड़ों पर गौर करें तो सबसे अधिक बिजली विहिन विद्यालय चमोली जिले में हैं। यहां 802 विद्यालयों में बिजली नहीं है। वहीं टिहरी जिले में सबसे कम 20 प्राथमिक विद्यालयों में बिजली संयोजन नहीं है।
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यूं तो सरकारी स्कूलों में नौनिहालों को बेहतर माहौल में शिक्षा मुहैया कराने व उन्हें गुणवत्तापरक शिक्षा देकर निजी शिक्षण संस्थानों के समकक्ष तैयार करने के दावे किए जाते हैं। लेकिन, सरकार अपने विद्यालयों में बिजली तक मुहैया नहीं करा पा रही है। वो भी तब जब उत्तराखंड को ऊर्जा प्रदेश कहा जाता है।
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वहीं छात्र कंप्यूटर शिक्षा से भी महरूम रहते हैं। जिसकी वजह से वो जब उच्च शिक्षा के लिए आगे जाते हैं तो तकनीकी शिक्षा आड़े आ जाती है। इसके अलावा विद्यालयों में बिजली न होने से गर्मियों में छात्र-छात्राओं व शिक्षकों को परेशानी झेलनी पड़ती है।
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सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि अधिकतर दुर्गम विद्यालयों में बिजली संयोजन नहीं है। जिसमें पिथौरागढ़ व चमोली जिले मुख्य रूप से शामिल हैं। वहीं विद्युत परियोजनाओं से बिजली उत्पादन कर रहे टिहरी व उत्तरकाशी जिले के विद्यालयों में बिजली संयोजन होना अखर जाता है। वो भी तब जब वहां की बिजली दूसरे राज्यों को सप्लाई की जा रही हो और खुद का विद्यालय बिजली विहिन है।
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यह है स्थिति
जिला------------------बिजली विहिन विद्यालय
देहरादून------------------47
उत्तरकाशी--------------57
टिहरी--------------------20
चमोली----------------802
नैनीताल------------- 266
पिथौरागढ़------------416
चंपावत---------------179
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समस्या दूर करने के होंगे प्रयास
निदेशक, प्रारंभिक शिक्षा सीमा जौनसारी के मुताबिक प्रत्येक जिला शिक्षाधिकारी से विद्यालयों में बिजली कनेक्शन नहीं होने के कारणों की जानकारी ली जाएगी। साथ ही विद्यालयों में एसएमसी के माध्यम से बिजली कनेक्शन लगाने की कार्रवाई शुरू करने के निर्देश दिए जाएंगे। जिन विद्यालयों के पास बजट नहीं है, उन्हें विभाग की ओर से बजट मुहैया कराया जाएगा।

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