उत्तराखंड के चुनावी मौसम में हड़ताल की हवा सरकार पर हावी
उत्तराखंड में स्कूल खाली हैं, विभागों में काम नहीं हो पा रहा है, अस्पतालों के काम प्रभावित हो रहे हैं। सरकार इस वक्त काफी असहज है। सख्ती करें तो कर्मचारी, न करें तो जनता नाराज।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: उत्तराखंड में चुनावी मौसम की दस्तक होते ही हड़ताल की हवा चल निकली है। कर्मचारी इस मौसम को अपने अनुकूल मान रहे हैं। इस समय आधा दर्जन से अधिक कर्मचारी संगठन हड़ताल कर रहे हैं तो कई हड़ताल का अल्टीमेटम दे चुके हैं। सरकार इन्हें मनाने का प्रयास कर रही है लेकिन कर्मचारी मानने को तैयार नहीं। नतीजतन, स्कूल खाली हैं, विभागों में काम नहीं हो पा रहा है, अस्पतालों के काम प्रभावित हो रहे हैं। यह स्थिति सरकार के लिए काफी असहज हो रही है। सख्ती करें तो कर्मचारी नाराज न करें तो जनता नाराज।
प्रदेश में इस समय कई कर्मचारी संगठन काम धाम छोड़ कर अपनी मांगों के समर्थन में झंडा डंडा थामे बैठे हैं। चुनावी मौसम को देखते हुए संगठन अपनी मांगों को पूरा करने का अंतिम और सबसे अच्छा अवसर भी मान रहे हैं।
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पता है कि चुनावी बेला में सरकार कर्मचारियों को नाराज करने का जोखिम मोल नहीं लेगी। इस समय अतिथि शिक्षक, उपनल कर्मचारी, पीआरडी, परिवहन मिनिस्टीरियल कर्मी, उत्तराखंड पेयजल निगम कर्मचारी, यूनानी आयुर्वेद चिकित्सक आदि हड़ताल कर रहे हैं। इनकी प्रमुख मांग नियमितीकरण और उच्चीकृत वेतनमान की है।
देखा जाए तो कर्मचारियों को नियमित करने का सपना भी सरकार ने ही दिखाया है। कर्मचारियों में अधिक से अधिक पैठ जमाने के लिए सरकार ने शुरुआत में काफी लोक लुभावन फैसले लिए। इसमें पांच वर्ष से विभागों में कार्य कर रहे संविदा कर्मचारियों को नियमित करना भी शामिल था।
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यहां तक कि मार्च में जब सियासी संकट आया तो राष्ट्रपति शासन के दौरान इन कर्मचारियों के साथ आवाज से आवाज भी मिलाई गई। सरकार की वापसी के बाद कर्मचारियों को नियमितीकरण की आस जगी थी। सरकार ने इन्हें आश्वासन भी दिया।
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हालांकि, शासन ने तमाम नियमों व कानूनों का हवाला देते हुए इसमें असमर्थता जताई। बावजूद इसके सरकार यह मसला कैबिनेट तक में ले कर आई। सरकार ने बीच का रास्ता निकालने का प्रयास किया लेकिन अब कर्मचारी मानने को तैयार नहीं है।
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सरकार ने बीच-बीच में कड़ा रवैया दिखाने का भी प्रयास किया लेकिन हड़तालियों पर इसका कोई असर नहीं पड़ा। अब इनकी हड़ताल का सीधा असर जनता पर पड़ रहा है। वहीं, भाजपा भी इस मामले में अब सरकार को घेर रही है। सरकार के लिए यह स्थिति बेहद असहज भरी है। हालांकि वह अभी भी इसमें उचित हल निकालने की प्रतिबद्धता जाहिर कर रही है।
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