ट्रांसफार्मर क्षतिग्रस्त होने की जांच हुई पूरी, मिला मैन्युफैक्चरिंग फाल्ट
देहरादून के झाझरा में 160 एमवीए ट्रांसफार्मर क्षतिग्रस्त होने की जांच पूरी हो चुकी है। पिटकुल की माने तो जांच में ट्रांसफार्मर में मैन्युफैक्चरिंग फॉल्ट सामने आया है।
देहरादून, जेएनएन। झाझरा में 160 एमवीए ट्रांसफार्मर क्षतिग्रस्त होने की जांच पूरी हो चुकी है। पिटकुल की माने तो जांच में ट्रांसफार्मर में मैन्युफैक्चरिंग फॉल्ट सामने आया है। इसके साथ ही ट्रांसफार्मर के अंदर ब्लैक स्पॉट भी दिखे हैं। चूंकि अब ट्रांसफार्मरों का गारंटी पीरियड़ खत्म हो चुका है, इसलिए पिटकुल को अपने स्तर से ही ट्रांसफार्मर की मरम्मत आदि करानी पड़ेगी। वहीं, जांच के बाद आइएमपी कंपनी के ट्रांसफार्मरों की गुणवत्ता पर तो सवाल खड़े हो ही गए हैं, साथ ही पिटकुल की ओर से ट्रांसफार्मरों की खरीद पर भी संदेह के घेरे में है।
विगत दो जून को 220 केवी उपसंस्थान झाझरा में आइएमपी कंपनी से खरीदा गया 160 एमवीए का ट्रांसफार्मर क्षतिग्रस्त हो गया था। इसी कंपनी का एक और ट्रांसफार्मर इसी सब-स्टेशन पर पहले फुंक चुका है। इसलिए ट्रांसफार्मर के क्षतिग्रस्त होने पर सवाल खड़े हो गए थे। जिसके बाद सचिव ऊर्जा राधिका झा ने एमडी पिटकुल को तुरंत इस मामले में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के साथ ही आइएमपी के विभिन्न ट्रांसफार्मरों की पॉवर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया से जांच करवाने के निर्देश दिए थे।
जिस पर तीनों निगमों के एमडी के साथ ही निदेशक परिचालन ऊर्जा निगम की एक जांच कमेटी बनाई गई। साथ ही पीजीसीआइएल के इंजीनियरों ने भी इसकी जांच की। कमेटी की प्राथमिक जांच में ट्रांसफार्मर के फुंकने और जलने की कोई बात सामने नहीं आई, लेकिन जब पीसीसीआइएल के इंजीनियरों ने इसकी जांच की तो ट्रांसफार्मर में मैन्युफैक्चरिंग फॉल्ट सामने आ गया। साथ ही जब इंजीनियरों ने ट्रांसफार्मर के विंडों की जांच की तो अंदर कुछ ब्लैक स्पॉट भी नजर आ रहे हैं। जिसकी जांच की जा रही है। एमडी पिटकुल संदीप सिंघल ने जांच की पुष्टि करते हुए कहा कि जांच पूरी हो चुकी है और रिपोर्ट शासन को सौंपी जा रही है।
जांच के बाद खरीद पर फिर उठे सवाल
जांच के बाद मैन्युफैक्चरिंग फॉल्ट सामने आने के बाद ट्रांसफार्मर खरीद पर फिर सवाल खड़े हो गए हैं। इससे पहले भी इसी कंपनी का एक ट्रांसफार्मर इसी सब स्टेशन पर फुंक गया था। जिस पर काफी बवाल हुआ था। जिसके बाद हुई जांच में पिटकुल के 12 अधिकारियों को दोषी पाया गया। लेकिन, इसके बाद केवल चार अधिकारियों को दोषी ठहराया गया और बाकी को दोषमुक्त कर दिया गया। सवाल यह उठता है कि जब एक और ट्रांसफार्मर में मैन्युफैक्चरिंग फॉल्ट सामने आया है तो क्या दोबारा से इसकी जांच होगी। हालांकि मामले में पहले दोषी ठहराए गए एक अधिकारी को पिटकुल में डायरेक्टर पर नियुक्ति मिल चुकी है।
अब खुद करना पड़ेगा रिपेयर
पिटकुल की ओर से ट्रांसफार्मर वर्ष 2012 में खरीदे गए थे। खरीद के बाद 30 महीने तक ट्रांसफार्मरों की वारंटी थी। जो वर्ष मार्च 2015 में खत्म हो चुकी है। चूंकि अब वारंटी की अवधि खत्म हो चुकी है, इसलिए पिटकुल अपने स्तर से ही ट्रांसफार्मर की मरम्मत करनी होगी।
कंपनी ने बताया प्रोटेक्शन फॉल्ट
मैन्युफैक्चरिंग फॉल्ट की बात को आइएमपी कंपनी ने सिरे से नकार दिया है। कंपनी के मार्केटिंग मैनेजर डीपी सिंह ने कहा कि वर्ष 2012 में उन्होंने ट्रांसफार्मर सप्लाई किए थे। इसके बाद से ट्रांसफार्मर सही तरीके से चल रहे हैं। ऐसे में सात साल बाद मैन्युफैक्चरिंग फॉल्ट बताना सहीं नहीं है। दावा किया कि ट्रांसफार्मर डिफरेंसियल प्रोटेक्शन पर ट्रिप हुआ है, जो पिटकुल के प्रोटेक्शन सिस्टम पर सवाल खड़ा करता है।
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