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उत्तराखंड में हटेंगे तीन साल से ज्यादा वक्त से एक ही जगह पर जमे कार्मिक

प्रदेश के सभी जिलों में तीन साल से ज्यादा समय से एक ही पटल और स्थान पर जमे कार्मिकों को अब हटना पड़ेगा। आगामी विधानसभा चुनाव से पहले सरकार को इस कार्रवाई को अंजाम देना ही पड़ेगा। एक्ट लागू होने के बावजूद अनिवार्य तबादले लागू नहीं हो पाए हैं।

By Ritika KumariEdited By: Published: Mon, 22 Feb 2021 04:37 PM (IST)Updated: Mon, 22 Feb 2021 04:37 PM (IST)
तीन साल से ज्यादा समय से एक ही पटल और स्थान पर जमे कार्मिकों को अब हटना पड़ेगा।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। प्रदेश के सभी जिलों में तीन साल से ज्यादा समय से एक ही पटल और स्थान पर जमे कार्मिकों को अब हटना पड़ेगा। आगामी विधानसभा चुनाव से पहले सरकार को इस कार्रवाई को अंजाम देना ही पड़ेगा। प्रदेश में स्थानांतरण एक्ट लागू होने के बावजूद बीते कुछ वर्षों से अनिवार्य तबादले लागू नहीं हो पाए हैं। अलबत्ता अनुरोध के आधार पर तबादलों को तकरीबन हर साल ही अंजाम दिया जाता रहा है। अब सरकार के लिए अनिवार्य तबादलों से बचना मुमकिन नहीं है। इस साल तबादलों को एक्ट की वजह से नहीं, बल्कि चुनाव आचार संहिता की वजह से अनिवार्य तबादले करना सरकार की बाध्यता है। चुनाव से पहले सरकार के लिए जिलों से लेकर राज्य स्तर या मुख्यालयों में तीन वर्षों से ज्यादा वक्त से जमे कार्मिकों को हटाना होगा। चुनाव में निष्पक्षता को ध्यान में रखकर यह कदम उठाया जाता है।

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मुख्य सचिव ओम प्रकाश की ओर से इस संबंध में आदेश जारी किए गए हैं। सभी विभागों को अगले सत्र के लिए तबादला प्रक्रिया प्रारंभ करने को कहा जा चुका है। हालांकि सरकार ने वित्तीय संकट का हवाला देते हुए इस वर्ष भी 10 फीसद से ज्यादा तबादले नहीं करने के आदेश दिए हैं।

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प्रत्येक संवर्ग में सिर्फ 10 फीसद तबादले होंगे। अनिवार्य तबादलों की जद में आने वाले कार्मिकों को यात्रा भत्ता देना होगा। इस वजह से सरकार पर वित्तीय बोझ पड़ना तय है। ऐसे में सरकार सिर्फ आवश्यक तबादले करने के पक्ष में है। हालांकि चुनावी वर्ष में सत्तारूढ़ दल की ओर से तबादलों को लेकर सरकार पर दबाव डालना तय है।

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