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    उत्तराखंड में उपनल कर्मियों का दो दिवसीय कार्यबहिष्कार, दून अस्पताल में व्यवस्थाएं ठप; मरीजों को रही परेशानी

    By Raksha PanthriEdited By:
    Updated: Mon, 22 Feb 2021 03:04 PM (IST)

    उपनल के माध्यम से विभिन्न विभागों में कार्यरत संविदा कर्मी सरकार के खिलाफ हैं। प्रदेशभर में चल रही उनकी दो दिवसीय कार्यबहिष्कार के पहले दिन दून मेडिकल कालेज अस्पताल में मरीजों को कई स्तर पर परेशानी झेलनी पड़ी।

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    उत्तराखंड में उपनल कर्मियों का दो दिवसीय कार्यबहिष्कार।

    जागरण संवाददाता, देहरादून। उपनल के माध्यम से विभिन्न विभागों में कार्यरत संविदा कर्मी सरकार के खिलाफ हैं। प्रदेशभर में चल रही उनकी दो दिवसीय कार्यबहिष्कार के पहले दिन दून मेडिकल कालेज अस्पताल में मरीजों को कई स्तर पर परेशानी झेलनी पड़ी। सुबह काफी देर रजिस्ट्रेशन काउंटर ठप रहा।

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    दरअसल, समान कार्य समान वेतन और नियमितीकरण की मांग को लेकर उपनल कर्मचारी महासंघ ने 22 और 23 फरवरी को प्रदेशभर में कार्यबहिष्कार का एलान किया है। उपनल कर्मचारियों के कार्य बहिष्कार के कारण मरीजों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। दून अस्पताल में काफी देर तक रजिस्ट्रेशन काउंटर ठप रहा। फिर मरीजों की परेशानी को देखते हुए काउंटर पर स्थाई स्टाफ तैनात किया गया। मरीजों को हस्तलिखित पर्चे दिए गए। 

    वक्त ज्यादा लगने से मरीजों को काफी देर लाइन में लगना पड़ रहा है। अस्पताल में बिलिंग भी बंद है। साथ ही पैथोलाजी भी ठप है। इसके चलते मरीज जांच भी नहीं करा पा रहे हैं। यही हाल आयुष्मान काउंटर का है। यहां भी उपनल कर्मी तैनात रहते हैं, लेकिन वह भी कार्य बहिष्कार पर हैं। ऐसे में अटल आयुष्मान के तहत मरीज भर्ती व डिस्चार्ज करने में दिक्कत आ रही है। यही नहीं उपनल कर्मियों के कार्य बहिष्कार के कारण कोरोना जांच के लिए सैंपल भी नहीं लिए जा सके हैं। इधर, कोरोनाकाल में दून मेडिकल कालेज अस्पताल में उपनल और पीआरडी के माध्यम से रखे गए नर्सिंग, पैरामेडिकल और अन्य स्टाफ ने भी नौकरी से हटाए जाने के खिलाफ सोमवार से बेमियादी कार्य बहिष्कार शुरू कर दिया है। ऐसे में व्यवस्थाएं बुरी तरह लडखडा गई हैं।

    दरसअल, कोरोनाकाल में पीआरडी और उपनल के माध्यम से नर्सिंग, लैब तकनीशियन, वार्ड ब्वाय, चालक समेत अन्य कई पदों पर 250 से अधिक कर्मचारी रखे गए थे। अब 28 फरवरी एवं 31 मार्च को उनकी सेवा समाप्त हो रही है। कर्मचारियों का कहना है कि उन्होंने कोरोना में जान जोखिम में डालकर घर-परिवार छोड़कर कार्य किया, लेकिन अब उन्हें निकाला जा रहा है।

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