जुमे की नमाज को विशेष अवकाश पर कांग्रेस ने जताई आपत्ति
मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय को जुमे की नमाज के लिए दोपहर डेढ़ घंटे के विशेष अवकाश के हरीश रावत मंत्रिमंडल के फैसले पर कांग्रेस संगठन ने भी आपत्ति जताई है।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय को जुमे की नमाज के लिए दोपहर डेढ़ घंटे के विशेष अवकाश के हरीश रावत मंत्रिमंडल के फैसले की सियासी तपिश ने कांग्रेस को भी बेचैन कर दिया है। विपक्षी दल भाजपा तो इस फैसले की मुखालफत कर ही रही है, सत्तारूढ़ दल कांग्रेस भी इससे सहमत नहीं है। फैसले से नाखुश प्रदेश कांग्रेस संगठन ने सरकार से आपत्ति भी दर्ज कराई। नतीजतन राज्य सरकार को बैकफुट पर जाना पड़ा।
कांग्रेस की बीते सोमवार को हरिद्वार से शुरू हुई जनाशीष यात्रा से ऐन पहले राज्य मंत्रिमंडल ने अल्पसंख्यक समुदाय को लुभाने के लिए जुमे के दिन दोपहर 12.30 बजे से दो बजे तक डेढ़ घंटे के लिए विशेष अवकाश को मंजूरी दी। सरकार के इस फैसले ने सूबे में सियासत को गर्मा दिया। हालांकि इसकी आंच से खुद कांग्रेस को भी हाथ जलने का अंदेशा सता रहा है।
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इस फैसले के दो दिन बाद ही सरकार को बैकफुट पर जाना पड़ा तो अब कांग्रेस संगठन ने भी सरकार के फैसले का समर्थन करने के बजाए उससे हाथ झाड़ना मुनासिब समझा। वहीं सरकार भी इस मामले में लीपापोती में जुटी हुई है।
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राजीव भवन में पत्रकारों से बातचीत में किशोर उपाध्याय ने कहा कि मजहब के नाम पर सरकारी कर्मचारियों के लिए आचरण नियमावली से छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए। इस मामले में पार्टी का रुख एकदम साफ है। मंत्रिमंडल की ओर से लिए जाने वाले फैसले की पहले से पार्टी को कोई जानकारी नहीं थी।
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अगले दिन मीडिया के माध्यम से फैसले की जानकारी मिलने पर पार्टी ने सरकार से अपनी आपत्ति दर्ज कराई। इस वजह से बीते रोज सरकार की ओर से स्पष्टीकरण भी आया। पार्टी हर धर्म के लिए विशेष अवकाश की व्यवस्था किए जाने के सरकार के स्पष्टीकरण को पर्याप्त मान रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा जिस तरह इस मुद्दे का राजनीतिक लाभ उठाने का काम कर रही है, यह अच्छा नहीं है।
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उधर, संगठन की आपत्ति और बीते रोज स्पष्टीकरण के बाद मंगलवार को भी उक्त मामले में मुख्यमंत्री की ओर से दोबारा स्पष्टीकरण दिया गया।
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दून में एक कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे मुख्यमंत्री ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उक्त आदेश का आधा हिस्सा ही सामने आया। उनकी बात को पूरी तरह समझा नहीं गया। दरअसल यह छुट्टी हर जुमे के लिए नहीं बल्कि रमजान महीने के जुमे के लिए दी गई है। अगर अन्य समुदाय के लोग भी सरकार के समक्ष इस तरह की बात रखेंगे तो उनके लिए भी ऐसी व्यवस्था की जाएगी।
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