उत्तराखंड विधानसभा चुनावः कांग्रेस की सजग और आक्रामक रणनीति
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2017 में भी सत्ताधारी दल होने के बावजूद कांग्रेस अपनी तैयारी को लेकर बेहद सतर्क और सजग है। साथ ही इसे आक्रामक बनाने में कसर नहीं छोड़ रही है।
देहरादून, [रविंद्र बड़थ्वाल]: विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है और सूबे में सत्ताधारी दल कांग्रेस पूरी तैयारी से चुनावी समर के लिए जुट गई है। कांग्रेस के लिए ये चुनाव कई मायनों में खास है। पार्टी दूसरी बार प्रदेश की सत्ता की बागडोर अपने हाथों में लेने को उतावली है तो इसकी सियासी वजह भी बेहद खास हैं।
कांग्रेस की असली चिंता राज्यों में सिमटते जनाधार को बचाने की है। भाजपा के प्रचंड बहुमत के साथ केंद्र की सत्ता पर बैठने के बाद कांग्रेस राज्यों पर अपनी पकड़ मजबूत बनाए रख आने वाले समय में केंद्रीय सत्ता पर अपनी दावेदारी को और मजबूत करने की कोशिशों में जुटी है।
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इस लिहाज से विधानसभा चुनाव में भी सत्ताधारी दल होने के बावजूद कांग्रेस अपनी तैयारी को लेकर बेहद सतर्क और सजग तो है ही, उसे आक्रामक बनाने में कसर नहीं छोड़ रही है।
मिशन 2017 को लेकर कांग्रेस की संजीदगी का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि एक फरवरी, 2014 को मुख्यमंत्री पद संभालते ही हरीश रावत ने चुनावी एजेंडे पर ही फोकस किया। सरकार की तर्ज पर ही सत्तारूढ़ दल भी अपनी रणनीति को इसी आधार पर अंजाम देने में जुटा है।
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सत्ता वापसी के लिए कांग्रेस जिन बिंदुओं पर खास फोकस कर चल रही है, उनमें सरकार की ओर से विभिन्न वर्गों, समुदायों को लेकर लिए जाने वाले फैसले ही हैं। पार्टी इन्हें आगे रखकर ही चुनाव में भुनाने की कोशिश कर रही है। पार्टी की रणनीति भी यही है कि विपक्षी दलों खासकर भाजपा को किसी भी मुद्दे पर हावी न होने दिया जाए।
इसे लेकर पार्टी पिछले लंबे अरसे से चौकन्नी है। राज्य के छोटे-बड़े वर्गों के हित में किए जाने फैसलों के तुरंत बाद ही पार्टी की ओर से संबंधित समुदायों और क्षेत्रों में सम्मेलनों और बैठकों के जरिए लाभार्थियों के साथ संवाद कायम करने की दिशा में कदम बढ़ाए गए।
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इस सिलसिले ने बीते मार्च माह में सरकार पर संकट गहराने के बाद और तेजी पकड़ी, जब कांग्रेस ने प्रदेशभर में रैलियां आयोजित कर भाजपा को निशाने पर लिया। संकट से उबरकर प्रदेश में सरकार बहाली के बाद कांग्रेस ने अपने अभियान को और ज्यादा चुस्त-दुरुस्त करने पर ध्यान दिया है।
भाजपा की ओर से केंद्रीय मंत्रियों और पार्टी के शीर्ष नेताओं के राज्य में दौरे बढ़ाए गए तो कांग्रेस ने भी प्रदेशभर में कार्यकर्ताओं की बैठकों और जनसभाओं के जरिए जवाब दिया। भाजपा ने राज्य सरकार के भ्रष्टाचार के मामलों और केंद्र सरकार की उपलब्धियों को लेकर परिवर्तन रैली की।
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इसके जवाब में कांग्रेस केंद्र सरकार की खामियों को सामने रखते हुए सतत विकास और संकल्प रैली के जरिए पलटवार करने में नहीं चूकी। चुनाव में जाने के लिए पार्टी की खास तैयारी कार्यकर्ताओं और तमाम इकाइयों को मुस्तैद करने की रही है।
पिछले दिनों पार्टी ने ग्राम, बाजार, मुहल्ले, ब्लॉक के साथ ही बूथ स्तर तक इकाइयों का बड़े पैमाने पर विस्तार किया है। बूथ पर पकड़ मजबूत कर पार्टी की मंशा चुनावी माहौल को अंतिम समय तक अपने पक्ष में बनाए रखने की है, ताकि विपक्ष को ज्यादा स्पेस न मिल सके।
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अब चुनाव के मौके पर कांग्रेस प्रचार को लेकर फूंक-फूंककर कदम आगे बढ़ा रही है। पार्टी को इसका भी अंदाजा है कि उसे भाजपा के सुव्यवस्थित और व्यापक प्रचार मुहिम से जूझना होगा।
लिहाजा पार्टी इसकी काट ढूंढते हुए प्रशांत किशोर की मदद ले रही है। प्रशांत किशोर प्रचार की आक्रामक और नियोजित रणनीति अपनाने के लिए जाने जाते हैं। भाजपा की परिवर्तन रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सुनने के लिए जिसतरह भीड़ उमड़ी, उसे देखते हुए पार्टी प्रशांत किशोर की मदद से पलटवार करने की तैयारी में है।
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प्रशांत किशोर की मदद प्रत्याशियों के चयन से लेकर चुनाव प्रचार में भी नया रंग भरने में ली जा रही है। मोदी लहर की काट के लिए विशेष तौर पर विभिन्न राज्यों में जो फार्मूला कामयाब रहा, कांग्रेस उसे उत्तराखंड में भी आजमाने के भी पक्ष में है।
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इसलिए पार्टी ने विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री हरीश रावत को आगे किया है। कई दिग्गजों की सेना के साथ सूबे के चुनाव में खम ठोक रही भाजपा के लिए किसी चेहरा विशेष को आगे रखने में पसीने छूट रहे हैं। भाजपा की कमजोरी पर कांग्रेस की खास निगाहें हैं।
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कांग्रेस पूरी तरह से तैयार
उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के अनुसार कांग्रेस चुनाव के लिए पूरी तरह तैयार है। अब तक कई बार राज्य के हर हिस्से में कार्यकर्ता सम्मेलन और बैठकें हो चुकी हैं। संगठन की गांव से लेकर बूथ स्तर तक इकाइयां गठित की जा चुकी हैं। राज्य सरकार ने जनहित में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं, अब इन फैसलों पर जनता की मुहर लगाने के लिए पार्टी ने चाक-चौबंद तैयारी की है।
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