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    पहाड़ में कृष्णा ने बसाई गरीब महिलाओं में उम्मीदों की द्वारिका

    By BhanuEdited By:
    Updated: Fri, 10 Feb 2017 05:04 AM (IST)

    अल्मोड़ा जिले की सोमेश्वर तहसील के सौन कोटुली गांव की कृष्णा ने गरीब महिलाओं का दर्द समझा और उनकी उम्मीदों की द्वारिका बनाने में जुट गई। कई महिलों को उन्होंने स्वावलंबी बनाया।

    पहाड़ में कृष्णा ने बसाई गरीब महिलाओं में उम्मीदों की द्वारिका

    अल्मोड़ा, [चंदन नेगी]: जब भी महिला जागृति व उत्थान की बात आती है, कृष्णा बिष्ट का नाम अवश्य आता है। यह वह नाम है, जिसने पहाड़ की गरीब महिलाओं की पीड़ा को महसूस कर उनकी आर्थिक स्थिति सुधारने का संकल्प लिया और दशकों से इसे पूरा करने में जुटी हैं।

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    महिला हाट संस्था की स्थापना कर सैकड़ों महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराया। इस क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए उन्हें जानकी देवी बजाज पुरस्कार से नवाजा जा चुका है।

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    पर्वतीय क्षेत्र की गरीब-लाचार महिलाओं के दुख-दर्द को दूर कर उनका जीवन संवारने में जुटी कृष्णा मूलत: अल्मोड़ा जिले की सोमेश्वर तहसील के सौन कोटुली गांव की रहने वाली हैं। पहाड़ की महिलाओं की पीड़ा को देख कृष्णा के मन में उनके लिए कुछ करने का जज्बा जागा।

    उन्हें लगा कि बुनाई व कला में दक्ष इन महिलाओं को उचित मंच नहीं मिल पा रहा। सो, वर्ष 1987 में उन्होंने महिला हाट नामक संस्था की स्थापना की। शुरुआत कताई-बुनाई जानने वाली महिलाओं को इससे जोड़कर हुई। इन महिलाओं की आर्थिक स्थिति सुधरी तो अन्य जिलों में भी शाखाएं खोली गईं। इनसे जुड़कर कई महिलाएं भविष्य संवार रही हैं।

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    संस्था महिलाओं को कताई-बुनाई के लिए कच्चा माल समेत उनके उत्पादों को बाजार भी उपलब्ध कराती है। कौशल प्रशिक्षण मुफ्त देती है। इतना ही नहीं कृष्णा ने स्वयं सहायता समूह बनाकर महिलाओं में एकजुटता की भावना भी जगाई।

    संस्था से जुड़कर होने वाली आय को जमा करने की प्रेरणा देने के साथ ही बचत का महत्व बताया। बैंकों में खाते खुलवाए। शैक्षिक व स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम भी शुरू किए गए। वर्ष 2004 से उन्होंने संस्था के माध्यम से गरीब परिवारों की महिलाओं के बच्चों के लिए शिक्षा प्रायोजित करने का भी काम किया। आज सैकड़ों महिलाएं इस संस्था से जुड़ लाभ अर्जित कर रही हैं।

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    वर्तमान में यह संस्था महिलाओं को जल, जंगल, जमीन व पर्यावरण से संबंधित कार्यक्रमों से जोडऩे के साथ ही विधवा महिलाओं को एकजुट कर हक के प्रति जागरूक करने का काम कर रही है।

    गुजरात विश्वविद्यालय अहमदाबाद से ङ्क्षहदी में स्नातकोत्तर कृष्णा को महिला उत्थान के प्रति उनके समर्पण के लिए वर्ष 2014 में जानकी देवी बजाज पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह सम्मान ग्रामीण महिलाओं के उत्थान, जागृति व उनमें उद्यमशीलता लाने के लिए किए गए उत्कृष्ट कार्यों के लिए दिया जाता है।

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    प्रतिवर्ष देशभर से किसी एक महिला को यह पुरस्कार मिलता है, जिसमें पांच लाख रुपये नकद व प्रशस्ति पत्र शामिल है। वर्ष 2010 में उन्हें इंडियन डेवलपमेंट फाउंडेशन की ओर से महिला सशक्तीकरण व पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार दिया गया।

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    कृष्णा बिष्ट के अनुसार पहाड़ की महिलाओं की तमाम तरह की आर्थिक एवं सामाजिक समस्याएं हैं। इन समस्याओं से अधिकाधिक महिलाओं को निजात दिलाने के लिए मैंने प्रयास शुरू किए। हमारा लक्ष्य पहाड़ की महिलाओं को आर्थिक एवं सामाजिक रूप से मजबूत बनाना है।

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