दारोगा की पिटाई के प्रकरण में साफ्टवेयर से पुलिस कर रही हमलावर वकीलों की पहचान, 16 लोगों की शिनाख्त
वाराणसी में दारोगा पिटाई प्रकरण में पुलिस ने सॉफ्टवेयर की मदद से सीसीटीवी फुटेज से 16 हमलावरों की पहचान की है। उनके नाम-पते भी खोज निकाले गए हैं और फोटो जारी किए गए हैं। पुलिस उपायुक्त प्रमोद कुमार ने बताया कि सॉफ्टवेयर से पहचाने गए चेहरों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। वकील पुलिस संघर्ष वाराणसी में अब चरम पर नजर आने लगा है। वकीलों की ओर से जहां वाद दायर किया गया है वहीं पुलिस भी अब वकीलों पर कार्रवाई की तैयारी में जुट गया है। तकनीक ने पुलिस की राह भी आसान कर दी है तो भीड़ में आसानी से पुलिस आरोपित वकीलों की शिनाख्त कर रही है। पुलिस अधिकारियों का इस बाबत दावा है कि 50 से ज्यादा लोग और पहचाने जाएंगे और उनपर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
कचहरी में दारोगा की पिटाई के मामले में साफ्टवेयर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पुलिस ने तकनीक की सहायता से सीसीटीवी फुटेज से 16 चेहरों की पहचान की है और उनके नाम-पते भी खोज निकाले हैं। पुलिस ने इन चेहरों के फोटो जारी किए हैं, जिन्हें देखकर कोई भी आसानी से पहचान सकता है। ये वही लोग हैं, जो दारोगा की पिटाई करते हुए कैमरे में कैद हुए हैं।
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पुलिस ने जिन 16 लोगों के चेहरे पहचाने हैं, उनमें शुभम चौबे, सुधांशु मिश्रा, राजन पांडेय, शेखर यादव, ईशाना, अजीत सिंह, सुमित सिंह, आलोक सौरभ, रजत उपाध्याय, प्रवीण उपाध्याय, कुलदीप सिंह, रजनीश कुमार गोंड, रतन, राहुल सिंह, गनेश श्रीवास्तव और विश्नु तिवारी शामिल हैं। पुलिस उपायुक्त प्रमोद कुमार ने बताया कि इस मामले में पुलिस का कोई सीधा रोल नहीं है। साफ्टवेयर की मदद से जो चेहरे पहचाने गए हैं, उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।
उन्हें यह भी स्पष्ट किया कि पहचाने गए 16 व्यक्तियों की पहचान और जानकारी आगे की जांच में सामने आएगी। पुलिस ने इस मामले में तथ्यों के आधार पर सच्चाई तक पहुंचने का आश्वासन दिया है। तकनीक के इस उपयोग ने पुलिस के लिए भीड़ में अपराधियों की पहचान करना आसान बना दिया है, जिससे भविष्य में ऐसे मामलों में तेजी से कार्रवाई की जा सकेगी।
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पुलिस अधिकारियों का मानना है कि आगे और भी 50 से अधिक लोगों की पहचान की जा सकती है, जो इस घटना में शामिल थे। यह घटना न केवल पुलिस के लिए, बल्कि समाज के लिए भी एक चेतावनी है कि अपराधियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।
इस प्रकार, साफ्टवेयर की मदद से पुलिस ने एक नई दिशा में कदम बढ़ाया है, जिससे अपराधियों की पहचान और उनके खिलाफ कार्रवाई में तेजी आएगी। यह घटना तकनीक के सकारात्मक उपयोग का एक उदाहरण प्रस्तुत करती है, जो समाज में सुरक्षा को बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो सकती है।
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