वाराणसी से चित्रकूट तक छह लेन बनेगा हाईस्पीड ग्रीनफील्ड कारिडोर, जान लें इसकी विशेषता
वाराणसी से चित्रकूट तक की यात्रा अब और भी आसान होगी क्योंकि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने 249 किलोमीटर लंबे छह लेन एक्सेस नियंत्रित हाईस्पीड ग्रीनफील्ड कॉरिडोर की डिजाइन को मंजूरी दे दी है। इस परियोजना का सर्वे और डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट भोपाल की कंपनी एआइसीओएनएस इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड को सौंपा गया है।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। काशी विकास के साथ कदमताल कर सके इसके लिए चित्रकूट के घाटों तक से काशी के घाटों का संपर्क करने की तैयारी है। माना जा रहा है कि इसकी वजह से घाट से घाट औ पर्यटन के ठाट का एकीकरण होने से आर्थिकी को पंख लगना तय है।
काशी से चित्रकूट तक की यात्रा जल्द और सुगम होगी। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने वाराणसी से भदोही और प्रयागराज होते हुए चित्रकूट तक 249 किलोमीटर लंबे छह लेन एक्सेस नियंत्रित हाईस्पीड ग्रीनफील्ड कारिडोर की डिजाइन को मंजूरी दे दी है। इस परियोजना का सर्वे और डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) भोपाल की कंपनी एआइसीओएनएस इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड को सौंपा गया है।
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इसके लिए 10.37 करोड़ रुपये जारी भी किए गए हैं। कंपनी को तीन महीने में सर्वे रिपोर्ट सौंपने का निर्देश है।वर्तमान में वाराणसी से प्रयागराज तक सिक्स लेन सड़क है, लेकिन इस मार्ग पर वाहनों का दबाव बढ़ गया है।
महाकुंभ के दौरान बुंदेलखंड और कानपुर से आने वाले वाहन प्रयागराज में जाम में फंस गए थे। नया कारिडोर काशी से चित्रकूट तक निर्बाध यात्रा सुनिश्चित करेगा। यह गंगा के किनारे बनने वाला ग्रीनफील्ड राजमार्ग क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को मजबूत करेगा और बुंदेलखंड व पूर्वी उत्तर प्रदेश में आर्थिक विकास को गति देगा।
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यह लाजिस्टिक्स और परिवहन की दक्षता बढ़ाएगा, यात्रा समय कम करेगा और उच्च क्षमता वाले वाहनों के लिए सुरक्षित व सुगम मार्ग प्रदान करेगा। भीड़भाड़ में कमी और सुरक्षा मानकों में सुधार भी इस परियोजना के प्रमुख लक्ष्य हैं।परियोजना के तहत गंगा और यमुना को जोड़ने के लिए लिंक रोड बनाए जाएंगे। इनसे क्षेत्रीय कारोबार को बढ़ावा मिलेगा।
यह राजमार्ग बुंदेलखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए महत्वपूर्ण आर्थिक गलियारा बनेगा, जिससे वाराणसी और प्रयागराज जैसे शहरी केंद्रों तक तीव्र पहुंच संभव होगी। इससे अविकसित क्षेत्रों का विकास होगा, निवेश और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और पर्यटन को प्रोत्साहन मिलेगा।
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साथ ही, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और स्थानीय बाजारों तक पहुंच में सुधार होगा। एनएचएआइ के क्षेत्रीय अधिकारी एसके आर्या ने बताया कि परियोजना पर्यावरणीय नियमों का पालन करते हुए पूरी की जाएगी, ताकि पारिस्थितिकी पर प्रभाव न्यूनतम हो। यह छह लेन एक्सेस नियंत्रित कारिडोर आधुनिक राजमार्ग होगा, जिसमें तीन-तीन लेन दोनों दिशाओं में होंगी।
वाहनों की एंट्री और एग्जिट केवल निर्धारित टोल प्लाजा, इंटरचेंज या रैंप्स से होगी। इससे ट्रैफिक रुकावट और दुर्घटनाएं कम होंगी। गति सीमा 100-120 किमी प्रति घंटा होगी, जिससे वाहन बिना रुकावट लंबी दूरी तय कर सकेंगे। यह परियोजना क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक विकास में मील का पत्थर साबित होगी।
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