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    वाराणसी में वकील के प्रार्थना पत्र पर एडीसीपी, एसीपी समेत सौ पुलिसकर्मियों के खिलाफ वाद दर्ज

    Updated: Sat, 20 Sep 2025 03:23 PM (IST)

    वाराणसी में पुलिस और वकीलों के बीच विवाद गहरा गया है। वकील राघवेंद्र नारायण दुबे ने पुलिस अधिकारियों पर न्यायिक अधिकारियों और अधिवक्ताओं को अपशब्द कहने का आरोप लगाते हुए अदालत में वाद दायर करने की प्रार्थना की। अदालत ने मामले को दर्ज कर 29 सितंबर को अगली सुनवाई की तारीख तय की है।

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    अधिवक्ता दुबे ने कई पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की है।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। पुलिस और वकीलों के बीच चल रहे विवाद के संदर्भ में वकील राघवेंद्र नारायण दुबे ने न्यायिक अधिकारियों और अधिवक्ताओं को पुलिस अधिकारियों द्वारा अपशब्द बोलने का आरोप लगाते हुए प्रभारी मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में शुक्रवार को वाद दर्ज कराने के लिए प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया।

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    अदालत ने इसे प्रकीर्ण वाद के रूप में दर्ज करने का आदेश दिया और अगली सुनवाई की तिथि 29 सितंबर निर्धारित की। बनारस बार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष राघवेंद्र नारायण दुबे ने एडीसीपी नीतू, एसीपी नितिन तनेजा, एसीपी विदुष सक्सेना, कैंट इंस्पेक्टर शिवाकांत मिश्र के अलावा 50 दारोगा और 50 सिपाही के खिलाफ प्रार्थनापत्र देकर मुकदमा दर्ज करने का आदेश देने की अपील की थी।

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    प्रार्थना पत्र में आरोप लगाया गया है कि 16 सितंबर को दारोगा के साथ वकीलों के बीच हुए विवाद के बाद कैंट इंस्पेक्टर और कचहरी चौकी इंचार्ज ने कचहरी के गेट संख्या दो पर ताला लगा दिया और वकीलों पर पथराव किया। इसके बाद मौके पर पहुंचे उपरोक्त पुलिस अधिकारी न्यायिक अधिकारियों और वकीलों को अपशब्द बोलने लगे। शिकायत के बावजूद इन पुलिसकर्मियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।

    इस घटना ने वाराणसी में वकीलों और पुलिस के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है। वकील राघवेंद्र नारायण दुबे ने कहा कि यह घटना न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाली है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्होंने न्यायालय से मांग की कि इस मामले में उचित कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

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    इस प्रकरण ने स्थानीय वकील समुदाय में आक्रोश पैदा कर दिया है और वे पुलिस की इस कार्रवाई के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं। वकीलों का कहना है कि उन्हें अपने पेशेवर कार्य में बाधा डालने की अनुमति नहीं दी जा सकती। अब देखना यह है कि अदालत इस मामले में क्या निर्णय लेती है और पुलिस अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है। इस मामले की सुनवाई 29 सितंबर को होगी, जिसमें सभी पक्षों की दलीलें सुनी जाएंगी।

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